For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog (210)

जय! जय! जय! बजरंग बली!

जय! जय! जय! बजरंग बली!

हे! बजरंगी दया तुम्हारी, सदा राम नाम गुन गाया है!

तेरी ही कृपा से मैंने, प्रभु पाद सरस रस पाया है!! जय.....

तेरे अन्तरमन में ज्यों, सिया राम छवि सुख छाई है!

मन उत्कण्ठा अविकार लिये, मैंने भी अलख जगाई है!! जय.....

कृपा करो हे! पवन पुत्र, फिर वरद तुम्हारा आया है!

तेरी ही कृपा दृष्टि से, यह सम्मान पुनः मिल पाया है!!

जय जय जय बजरंग बली, जय जय जय बजरंग बली!

जय जय जय बजरंग बली, जय जय जय बजरंग बली!!

के’पी’सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 6:42pm — 4 Comments

--छन्द --

--छन्द --


तन जरत, मन बरत, लगत सर, टप-टप टपकत चलत रकत धर।
हरत न भव-भय मन इरष कर, हर-हर बरषत झरत छपर घर।।
तन क्षरत मन कस न ठगत नर, जल घट भर-भर भरत नगर सर।
तन-मन-धन सब धरन कंत घर,हस-हस मरकर सरग चलत नर।।4
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाषित रचना

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 10:40am — 7 Comments

दोहा --:ःबम-बम भोलेःः--

दोहा --:ःबम-बम भोलेःः--


तन मन भय रगड़ भसम, सब गण करत बखान!
कण कण सत रज तम रमत,समरथ सकल इशान!!1

चरण कमल रज लख करत,शत शत नमन महेश!
भजत भजन हर हर भवम, भय तज मरम गणेश!!2

सगर-तगड़-तरवर-तरन, हर जन धरत परान!
अलख झलक नर मन समझ,पल क्षण बनत महान!!3

जनत झरत लट पट उड़़त, हलचल अवघड़ जान!
तमस शमन भव भय हरत, सत मन बरगद शान!!4

सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 10:30am — 6 Comments

कलियुग मंथन

कलियुग मंथन

कलिकाल अकाल बढ़ा जग मा। अस मात विक्राल हलाहल सा।।

जन जीव अजीव समीर दुःखी । जगती तल अम्बर ताल बसी।।

सब देव अदेव गंधर्ब डरे । ब्रहमा - विशनू - महदेव कहे ।।

अब तो बस एक उपाय करें। गुरू नाम जपें सब राम रटे ।।

जग मा रस गंध सुगन्ध बहे । भजनादि संकीर्तन गूॅज रहे ।।

मन -मान समान धरे उर मा। सतसंग उमंग अनन्य रस मा।।

कह गीत सुनीति कही सुनहीं। पर मान बढ़ाहि बुझाइ सही ।।

इतना कहिके प्रभु जोरि हॅसें । कलि काल सुमीत मिले जिनसे।।

चित शान्ति विचार उठा नभ…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 11, 2013 at 9:56pm — No Comments

!! टीका !! ’’ढोल गवार शूद्र पशु नारी। यह सब ताड़न के अधिकारी।‘‘

जस गॅवार गुण हीन अज्ञानी। आशा विपरीत सदा दुःख मानी।।

उलटि भजे सुनि कर्म भय ताहू। क्षमा राखि इच्छित फल पाहू।।

ज्यों ढोल मढि़ पोल उर राखा। गावहिं सगुन भवानहि भाषा।।

ढमढम ढोल ताल बिनु बाजा। नटसि नाथ हिय सुर ताल साजा।।

जनम जनम सेवा शूद्र वारे। दुःख दरिद्र त्यों जीवन धारे।।

कबहु न सीस मान अधिकारी। निषाद मित्र शबरी पय वारी।।

ज्यों समाज पशु धन श्री साजे। शत विधि भला असत रस राजे।।

बलि शीशा नर क्षुधा मिटाही। गिघ्द भालु कपि प्रभु जिय माही।

सकल ब्रहम संग रहे…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 11, 2013 at 10:30am — No Comments

हरि-महिमा

                        हरि-महिमा

तिनका तिनका हरि नाम धरै, महिखंड समूल रसातल को!

यमलोक सुलोक हवा पहिरे, हरि नाम जपे हरि आपन को!!

हनुमान  हरी  हरि राम  रटे, मिलगे वन मा सुग्रीव सखा ! 

रघुवीर  मिले  दुःख  दूर भये, मनमीत बने हरि राम सखा!!

कहि कोल किरात चंडाल जपे,उलिटा हरि नाम सुनाम लगे!

हरि नाम जपे कवि के रसना, सुर प्रीत बने गंगा जमुना !!

हरि नाम कथा कहहि सुनही, पर प्राण सराहि हरे दुःख को!

कही मोह बढाहि चले मद में, हरी नाम भुलाय पड़े गत…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 10, 2013 at 5:09pm — 6 Comments

दोहे

अहंकार है जड़ प्रकृति, स: ह्वै चेतन सार!

हंसा बूझि अस मूढ़मति, ज्ञानी भए भव पार!!

 

द्युलोक मा व्यापक रहत,आदित तैजस रूप!

बसुधा धारत अनल सत,वायु शून्‍य इक भूप!!

 

आदित्य सोसत सागर, गुरुत्व शून्य अस भाए!

बादल डाले  वीर्य रस, धरा उपज अति पाए!

विश्वान इक गर्भ सृजक, चेतन रहा डोलाए!!

षट घन घना कुंभ विकृत,सत जागत सुख पाए!!

 

हंस उड़त एक पाद से,इक जलाशय रहि जाए!

कर्म  पाश रस  चाहना, फिरै  सरोवर …

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 10, 2013 at 12:31pm — 2 Comments

महिला दिवस (बेटियाँ) दोहे

बेटी  ऐसी  बेल  है, ऊपर तक चढ़ जाय!

भले-बुरे संग खुश रहे,कभी न तोड़ा जाय!!

बेटी प्यारी दूब सी, नरम बिछौना जान!

गाट-गाट जोड़त रहे,खुशहाली की शान!!

बुलबुल कोकिल मैना सी,कूक रहे दिन-रात!

मात-पिता का अंतिम मन,बेटी घर ससुराल!!…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2013 at 2:30pm — 4 Comments

महिला दिवस जागरण (दोहे)

मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना

महिला दाता प्रेम की, बना भिक्षुक नर जात !
माया ममता ना मरी, मरा अहम् बड़जात !!

दामिनी भारत की बेटी, कल्पना भरे उड़ान !
इंदिरा किरण वेदी चॅढी, सुनीता गगन शान!!

बच्चे अच्छे एक या दो, जीवन का श्रृंगार!
पढ़ते - पढ़ते ग्यान दे, बेटी को मत मार !!
(के.पी.सत्यम)

मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना !

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2013 at 10:50pm — 4 Comments

महात्मा गाँधी मार्ग से कालीदास मार्ग तक

"महात्मा गाँधी मार्ग से कालीदास मार्ग तक"



भारत भ्रमण पर एक विदेशी,

जो था हिन्दी भाषा का प्रेमी!

एशो नज़ाकत का तहज़ीबी नगर!

'मुस्कराईए कि आप लखनऊ मे हैं'.

मन मे गुनता -गुनगुनाता -मुस्कराता;

खचाड़े रिक्शे का लुफ्त लेता,

गुजर रहा था अभी-

'महात्मा गाँधी मार्ग' से .

सहसा उसे नये टेम्पो पर पढ़ने को मिला-

'देखो मगर प्यार से'

वो कुछ बुदबुदाया फिर मुस्कुराया,

तभी अचानक पास से ही सनसनाती-सन्न से;

एक नयी नवेली ट्रक 'धन्नो'…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2013 at 8:30pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Apr 14
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service