For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वीनस केसरी's Blog – April 2013 Archive (5)

परेशां है समंदर तिश्नगी से - ग़ज़ल

परेशां है समंदर तिश्नगी से 

मिलेगा क्या मगर इसको नदी से



अमीरे शहर उसका ख़ाब देखे  

कमाया है जो हमने मुफलिसी से

 …

Continue

Added by वीनस केसरी on April 25, 2013 at 10:00pm — 12 Comments

किसी दिन मर न जाएँ हम खुशी से - वीनस

मुलाकातें हमारी, तिश्नगी से

किसी दिन मर न जाएँ हम खुशी से



महब्बत यूँ मुझे है बतकही से

निभाए जा रहा हूँ खामुशी से



उन्हें कुछ काम शायद आ पड़ा है

तभी मिलते हैं मुझसे खुशदिली से



उजाला बांटने वालों के सदके

हमारी निभ रही है तीरगी से



ये कैसी बेखुदी है जिसमे मुझको

मिलाया जा रहा हैं अब मुझी से



उतारो भी मसीहाई का चोला

हँसा बोला…

Continue

Added by वीनस केसरी on April 19, 2013 at 12:14am — 16 Comments

इंसान

जीतने के सौ तरीके खोजने वाले,

ग्लूकान-डी के सहारे

सूरज से लड़ने वाले हम इंसान

उजले सच को भी बर्दाशत नहीं कर पाते



प्रकृति पर विजय की लालसा लिए,

हम इंसान

पर्वत विजय का जश्न मनाते हैं,

इंगलिश चैनल को तैर कर पार करते हैं,

भू-गर्भ की गहराइयों को 'मीटर' में नापते हैं, 

'मीटर' के ऊपर के सारे पैमाने जाने कहाँ चले जाते हैं उस समय !!!



चाहते हैं,

चाँद पर खेती करें,

मंगल पर पानी मिल जाए,

नए तारों की खोज में ,

हमने…

Continue

Added by वीनस केसरी on April 12, 2013 at 12:52am — 10 Comments

सच मन को आहत करता है - वीनस केसरी

सच बोलने वालो

तुमको हमेशा सूली पर लटकाया गया

मगर यह गलत कहाँ है

तुम्हारे कारण

आहत होती हैं कितनी भावनाएँ,

शून्य से शिखर तक पहुँचते-पहुँचते

कितने शीशे टूट जाते है



सच बोलने वालो

तुम अलगाव वादी हो   

तुमसे बर्दाशत नहीं होती

अखंडता की भावना

तुम्हें मसीहाई सूझती है

तुम्हें अप्राकृतिक सुन्दर अट्टालिकाएँ नहीं दिखतीं

केवल भूखे लोग दीखते हैं

जोर से बोलने पर

सच भी जोरदार माना जा रहा है

तारे भी सूरज है…

Continue

Added by वीनस केसरी on April 9, 2013 at 5:00pm — 5 Comments

नई कविता - वीनस केसरी

नई कविता जो आज रात पुरानी हो गई



मैं चाहता था

ख़्वाब मखमली हों और उनमें परियां आएँ

सूरज की तरह किस्मत हर दिन चमकदार हो

और जब सलोना चाँद रास्ता भटक जाए,

तो तारों से राह पूछने में उसे शर्म न लगे

 

ये भी चाहा कि,

मैं पूरी शिद्दत से किसी को पुकारूं

और वो मुड कर मुझे देख कर मुस्कुराए  

हम सुलझते सुलझते, थोडा सा फिर उलझ जाएँ

प्यार करते करते लड़ पड़ें

और…

Continue

Added by वीनस केसरी on April 9, 2013 at 3:11am — 10 Comments

Monthly Archives

2014

2013

2012

2011

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
32 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
35 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
37 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
39 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
48 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service