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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – September 2019 Archive (5)

देखा इतना दर्द दिलों का इस बेदर्द ज़माने में(६४)

देखा इतना दर्द दिलों का इस बेदर्द ज़माने में

बस थोड़ा सा वक़्त बचा है सैलाबों को आने में

**

अपनापन का जज़्बा खोया और मरासिम भी टूटे

कंजूसी करते हैं सारे थोड़ा प्यार दिखाने में

**

उनकी फ़ितरत कैसी होगी ये अंदाज़ा मुश्किल है

जिनको खूब मज़ा आता है गहरी चोट लगाने में

**

वादा पूरा करना अपना इस सावन में आने का

वरना दिलबर क्या रक्खा है सावन आने जाने में

**

बात…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 23, 2019 at 7:30am — 6 Comments

ये ज़ीस्त रोज़ सूरत-ए-गुलरेज़ हो जनाब(६३)

ये ज़ीस्त रोज़ सूरत-ए-गुलरेज़ हो जनाब

राह-ए-गुनाह से सदा परहेज़ हो जनाब

**

मंज़िल कहाँ से आपके चूमें क़दम कभी

कोशिश ही जब तलक न जुनूँ-ख़ेज़ हो जनाब

**

क्या लुत्फ़ ज़िंदगी का लिया आपने अगर

मक़सद ही ज़िंदगी का न तबरेज़ हो जनाब

**

मुमकिन कहाँ कि ज़िंदगी की पीठ पर कभी

लगती किसी के ग़म की न महमेज़ हो जनाब

**

उस जा पे फ़स्ल बोने की ज़हमत न कीजिये

जिस जा अगर ज़मीं ही न ज़रखेज़ हो…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 15, 2019 at 4:00pm — 2 Comments

अरसा गुज़र गया है कोई गुफ़्तुगू नहीं (६२ )

अरसा गुज़र गया है कोई गुफ़्तुगू नहीं 

ख़त भी नहीं ख़बर नहीं है जुस्तजू नहीं 

***

दरिया-ए-इश्क़ जो कि उफ़नता था थम गया

यूँ लग रहा है जैसे कि दिल में लहू नहीं

***

ख़ामोश ताकते हैं दरीचा तिरा सनम
हालाँकि इल्म है कि वहां पे भी तू नहीं
***

यादें हैं ख्वाब भी है तस्सवुर भी है तेरा

अफ़सोस बस यही है कि तू…
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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 10, 2019 at 12:00am — 2 Comments

रब है ज़रूर आपको दिखता भले न हो (६१)

ग़ज़ल(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )

.

रब है ज़रूर आपको दिखता भले न हो

हर सू है नूर आपको दिखता भले न हो

**

होता ज़रूर है किसी में कम किसी में ख़ूब

दिल का गुरूर आपको दिखता भले न हो

**

जोश-ओ-जुनून से किये हासिल कई मुक़ाम

होता फ़ितूर आपको दिखता भले न हो

**

मौज़ूदगी है उनकी तसव्वुर में आपके

जलवा-ए-हूर आपको दिखता भले न हो

**

अनजान कोई रह सके क्या उसके दर्द से

दिल चूर चूर आपको दिखता भले न हो

**

हर वक़्त डोलता रहे…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 6, 2019 at 11:30pm — 3 Comments

कभी देखा नहीं सुनते रहे सैलाब आएगा (६० )



कभी देखा नहीं सुनते रहे सैलाब आएगा

हमारे गाँव की चौपाल तक अब आब आएगा

**

खिलौना जानकर कुछ लोग उसको तोड़ डालेंगे

अगर तालाब की तह में उतर महताब आएगा

**

हमेशा ख़्वाब देखें और मेहनत भी करेंगे तो

हक़ीक़त में उतर कर एक दिन वो ख़्वाब आएगा

**

नहीं था इल्म हमको ये कि जिस फ़रज़न्द को पाला

वही बेआब करने सूरत-ए-कस्साब आएगा

**

ग़रीबी से दिलाएगा  निज़ात अब कौन और कैसे

अमीरी का रियाया को कभी क्या ख़्वाब आएगा …

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 2, 2019 at 11:00pm — 5 Comments

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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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