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AMAN SINHA's Blog (146)

मन के जीते जीत है

मन के जीते जीत है मन के हारे हार

मन चाहे तो मिल जाए आँगन में हरिद्वार

क्यों चले बाज़ार में करने को चित्कार 

मन की बात जो मान गए हो जाए सब उपचार 

बस मन हिन मानिए पट दिखलाए सटीक 

वापस लौट के आ जाए पथ से भटका…

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Added by AMAN SINHA on July 2, 2023 at 8:16am — No Comments

तेरे रूठने का सिलसिला

तेरे रूठने का सिलसिला कुछ ज्यादा हीं बढ़ गया है 

लगता है मुझे दिल का किराया बढ़ाना होगा 

बहुत जिये तेरी उम्मीद के साये में अब तक 

अब खुदका एक तय आशियाँ बनाना होगा 

सब जानते है पता जिसने ताजमहल बनवाया था 

मगर उन गुमशुदा…

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Added by AMAN SINHA on June 24, 2023 at 11:24pm — 1 Comment

सभी कुछ जनता हूँ मैं

मोहब्बत है या नफरत है सभी कुछ जनता हूँ मैं 

इन लहजों को अदाओं को बहुत पहचानता हूँ मैं 

तेरे आने से फैली है जो खुशबू इन हवाओं में 

इस खुशबू से उस आहट तक तुझे पहचानता हूँ मैं 

कभी कुछ सोचना चाहा ख़यालों में तुम्ही ही आए …

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Added by AMAN SINHA on June 16, 2023 at 8:39pm — 1 Comment

कैसे कर लेते हो

दबा कर आँखों में आँसू यूं मुस्कुरा जाते हो तुम 

देकर खुशियाँ अपने हिस्से की हमें ग़म भुला जाते हो तुम 

कैसे अपने एहसासों को ज़ुबां पर आने नहीं देते 

दिल के बवंडर को क्यों बह जाने तुम नहीं देते 

कैसे हर बार तुम हीं अपने अरमानो को दबाते हो …

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Added by AMAN SINHA on June 10, 2023 at 6:47am — No Comments

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है 

मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? 

क्यों है तू फंसा हुआ, बंधनों में बंधा हुआ 

अपनी भावनाओं के रस्सी में कसा हुआ 

त्याग चिंताओं को अब चिंतन की राह धरो

स्वयं पर विश्वास कर दृढ़ हो…

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Added by AMAN SINHA on June 3, 2023 at 7:26pm — No Comments

तीन जन्म नारी के

एक जीवन मे नारी का तीन जन्म होता है 

लेकिन हर जनम मे उसका कर्म अलग होता है 

पहला रूप है पुत्री का, पिता के घर वो आती है 

संग में अपने मात-पिता का स्वाभिमान भी लाती है 

यहाँ कर्म हैं मात-पिता की सेवा निशदिन करते रहना …

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Added by AMAN SINHA on May 21, 2023 at 6:00am — No Comments

क्या रंग है आँसू का

क्या रंग है आँसू काकैसे कोई बतलाएगा
सुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा
 
कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल…
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Added by AMAN SINHA on May 14, 2023 at 8:30am — 1 Comment

मेरी खूबसूरती श्राप है

मेरी खूबसूरती श्राप है 

मेरे पूर्व जन्म का पाप है 

जितनों को मैंने छला होगा 

ये उन सबका अभिशाप है 

घर से निकल ना पाऊँ मैं 

रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं  

कपड़े गहनों की बात हीं…

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Added by AMAN SINHA on May 7, 2023 at 6:39am — 1 Comment

मैं जिया हूँ दो दफा

मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ

पर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँ

चाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदा

पर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा

 

राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थी

पर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थी

मैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थी

उसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी

 

मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास में

वो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस में

साथ…

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Added by AMAN SINHA on May 1, 2023 at 5:30am — 2 Comments

पुश्तैनी कर्ज़

चार रुपये लिए थे, मेरे दादा ने कर्ज़ में

कल तक बाबा चुका रहे थे, ब्याज उसका फर्ज़ में

 

रकम बढ़ी फिर किश्त की, हर साल के अंत में

मूलधन खड़ा है अब भी, ब्याज दर के द्वंद में

 

चार बीघा ज़मीन थी, अपना खेत खलिहान था

हँसता खेलता घर हमारा, स्वर्ग के समान था

 

बाढ़ आयी सब तबाह हुआ, बाबा की हिम्मत टूट गयी

कल तक जो खिली हुई थी, किस्मत जैसे…

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Added by AMAN SINHA on April 23, 2023 at 8:32am — 2 Comments

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं

जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,

वो दौर ज़माना क्या जाने?

हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के,

कोई अपना अफसाना क्या जाने 

 

रंगमंच के पर्दे के पीछे

चरित्र सभी गढ़े जाते है 

जो कहते है जो करते है

वो बोल सभी लिखे जाते है

 

हम दोनों अपने किरदार में थे

अपनी बेचैनी कोई क्या जाने? 

जिस दौर से हम तुम गुजरे है,

वो दौर जमाना क्या जाने? 

 

है एक लम्हे का साथ सही,

पर साथ पुराना लगता है 

तुम कंधे…

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Added by AMAN SINHA on March 23, 2023 at 10:03am — No Comments

तुम ना आया करो ख्वाब मे

तुम ना आया करो ख्वाब में हमें रुलाने के लिए

टूट चुके उन नातों को फिर से तोड़ जाने के लिए

तुम जा चुके हो मान लो, इस सत्य को तुम जान लो

उस जहां से ना आया करो हमें सताने के लिए



तुम्हें गए हुए अब दो वर्ष बीत चुके है

बिन तुम्हारे जीना अब हम सीख चुके है

तुम लौटा ना करो सपनों में हमें जगाने के लिए

रात भर जाग कर बस तुम्हें भुलाने ले लिए



मुझे मालूम हैं के हम अंतिम क्षण मिल ना पाए थे

मैं खड़ा था वहीं पर मैंने कदम नहीं बढ़ाए थे

अब आगे बढ़कर तुम… Continue

Added by AMAN SINHA on March 14, 2023 at 10:12am — 1 Comment

मैं रोना चाहता हूँ

मैं रोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ

अपने आँखों को आँसुओं से

खूब भींगोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ



पता नहीं कब क्यूँ और कैसे

आँसू मेरे सुख गए

दर्द मिला है इतना के अब

दर्द के नाले सुख गए

बस रोकर उनको फिर से मैं

गीला करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ



याद पड़ा जब छोटा था

बात-बात पर रोता था

थक जाता जब रो-रो कर

माँ के गोद में सोता था

फिर एक बार मैं

उस गोद में सोना चाहता हूँ

बस… Continue

Added by AMAN SINHA on February 27, 2023 at 12:52pm — 4 Comments

तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते

तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते

करते भी हो तो इजहार नहीं करते

कहो, क्यों पहले जैसा प्यार नहीं करते?

और करते हो तो क्यों इजहार नहीं करते?



क्यूँ जुबा पर बातें तेरी आते-आते रुक जाती है?

पहले जैसी लबों से तेरी क्यूँ फिसल ना जाती है?

पहले जैसी क्यूँ अब तेरी साँसे तेज़ नहीं चलती?

मेरी जैसी तेरी आहें अब क्यों बात नहीं करती?



क्यूँ अब तुम पहले जैसा कोई शिकवा नहीं करते?

क्यूँ छोटी-छोटी बातों पर तुम मेरे साथ नहीं लड़ते?

क्यूँ अब तेरा हँसना… Continue

Added by AMAN SINHA on February 25, 2023 at 12:31pm — No Comments

हम तुम तो ऐसे ना थे

वही दिन है वही रातें जैसे वर्षों पहले थे

पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे

अब भी पुरानी तसवीरों में ऐसी है मुस्कान तेरी

जैसे कोई बांध के रख दे नज़रों से जुबान मेरी 

सन्दुक में रखे कपड़े तेरे नए आज भी लगते हैं

तेरी यादों की खुशबू से महके-महके से रहते हैं

हंसी पुरानी गयी कहाँ अब तेरे कपड़े तो ऐसे ना थे

पर अब जैसे तुम मिले…

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Added by AMAN SINHA on February 22, 2023 at 10:00am — No Comments

करूंगा याद तुम्हें इतना

करूंगा याद तुम्हें इतना, मुझे भुला ना पाओगे

जपूँगा नाम मैं इतना, कि पानी पी ना पाओगे

हरेक आहट पर ये सोचोगे, मेरी आहट कहीं ना हो

दिखूँगा ख्वाब में इतना, कभी तुम सो ना पाओगे

रहूँगा पास मैं इतना, जुदा तुम हो ना पाओगे

रहूँगा सांस में ऐसे, अकेले रह ना पाओगे

कभी जो छोड़ना चाहो, मुझे तन्हा अंधेरे में

है मेरा वायदा तुमसे, अकेले चल ना…

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Added by AMAN SINHA on February 11, 2023 at 7:17am — No Comments

वक़्त को भी चाहिए वक़्त

वक़्त को भी चाहिए वक़्त, घाव भरने के लिए

ज़ख्म कितने है लगे, हिसाब करने के लिए

बस दवाओं से हमेशा, बात बनती है नहीं

एक दुआ भी चाहिए, असर दिखाने के लिए

खींच लेता हैं समंदर, लहरों को आगोश में

सागर तो होना चाहिए, सैलाब लाने के लिए

पानी में डूबा हुआ, लोहा कभी सड़ता नहीं

बस हवा हीं चाहिए, उसे जंग खाने के…

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Added by AMAN SINHA on January 23, 2023 at 5:24pm — 1 Comment

दासतां दिल की

कभी मैं दासतां दिल की, नहीं खुल के बताता हूँ

कई हैं छंद होंठो पर, ना उनको गुनगुनाता हूँ

अभी तो पाया था मैंने, सुकून अपने तरानों से

उसे तुम भी समझ जाओ, चलो मैं आजमाता हूँ

 

जो लिखता हूँ जो पढ़ता, हूँ वही बस याद रहता है

बस कागज कलम हीं है, जो मेरे पास रहता है

भरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर है

ज़हन जो सोच लेता है, कलम वो छाप देता है

 

भले दो शब्द हीं लिक्खु, पर उसके मायने तो हो

सजाने को मेरे घर में , कोई एक आईना…

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Added by AMAN SINHA on January 16, 2023 at 11:30am — No Comments

अपनो को खो देने का ग़म - २६/११ की याद में

अपनों को खो देना का ग़म, रह रह कर हमें सताएगा

चाहे मरहम लगा लो जितना, ये घाव ना भरने पाएगा

कैसे हम भुला दे उनको, जो अपने संग हीं  बैठे थे

रिश्ता नहीं था उनसे फिर भी, अपनो से हीं लगते थे

 

कैसे हम अब याद करे ना, उन हँसते-मुस्काते चेहरों को

एक पल में हीं जो तोड़ निकल गए, अपने सांस के पहरों को

हम थे,  संग थे ख्वाब हमारे, बाकी सब दुनियादारी…

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Added by AMAN SINHA on January 10, 2023 at 9:54am — No Comments

उपकार

तेरे उपकार का ये ऋण, भला कैसे चुकाऊंगा? 

दबा हूँ बोझ में इतना, खड़ा अब हो ना पाऊँगा 

मेरी पूंजी है ये जीवन, जो तुम चाहो तो बस ले लो 

सिवा इसके तुम्हें अर्पण, मैं कुछ भी कर ना पाऊँगा 

         

दिया था हाथ जब तुमने, मैं तब डूबता हीं था 

सम्हाला था मुझे तुमने, के जब मैं टूटता हीं था 

मैं भटका सा मुसाफिर था, राह तू ने था…

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Added by AMAN SINHA on December 26, 2022 at 2:22pm — No Comments

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