For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूबे सिंह सुजान's Blog – August 2012 Archive (7)

ग़ज़ल--जिंदगी एक रेल होती है.......

जिंदगी एक रेल होती है
ये न समझो कि खेल होती है।

जिंदगी का सफर बहुत लम्बा,
रूक गये तो ये फेल होती है।

वो जहाँ चाहे मोड दे हमको,
हाथ उसके नकेल होती है।

आजकल जिंदगी की भागमभाग,
पानी कम ज्यादा तेल होती है।

आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है।

अब तो राशन की लाइने या सडक,
हर जगह धक्का पेल होती है।।।।

सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on August 24, 2012 at 11:00pm — 10 Comments

दो हाइकु- समय कहे।

1.

समय कहे।

जीवन रहा सदा,

जीवन रहे।।

2.

ये समंदर ।

मरता नहीं कभी,

मरी लहर।।

Added by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 12:59am — 4 Comments

प्रेम ग़ज़ल

इस तरह दूर वो आजकल हो गई।

जैसे इस शहर की बिजली गुल हो गई।

देह तेरी  किसी  बेल  जैसी लगे,

आई बरसात धुलकर नवल हो गई।

इस तरह रास्ते और लम्बे हुये,

जैसे के मेरी लम्बी ग़ज़ल हो गई।

बेवफा क्या बताऊँ तेरी बाट में,

प्यार की बर्फ पिघली,और जल हो गई।

आम की भोर पर भंवरे जो आ गये

मुस्कुराहट मधुरता  का  फल हो गई।

एक बरसात आई तुम्हारी तरह,

और जोहड में खिल कर कमल हो गई।।

                                      सूबे सिंह…

Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on August 21, 2012 at 10:18pm — 20 Comments

एक हाइकु

नाराज़गी है।

किस बात की भला,

लो मैं तो चला।।।

                  सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on August 19, 2012 at 10:58pm — 1 Comment

हवा की कोई आवाज नहीं होती।

हवा की कोई आवाज नहीं होती,

आवाज तो पेड-पौधों के पत्तों की होती है।

हवा तो चलती है

सब से मिलती है

सबसे बात भी करती है

फिर भी बोलती नहीं

सबको गुदगुदाती है,

हंसाती है,

और थपथपा कर दौड जाती है।

अकेली हो कर भी सबकी हो जाती है।

अगर तुम नाराज़ भी हो जाओ

तुम्हें झट से मना लेती है

और तुम तपाक से मान जाते हो।

लेकिन फिर भी हवा की कोई आवाज नहीं होती

आवाज आपकी होती है।

नाम आपका होता है।

काम हवा…

Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 10:22pm — 2 Comments

कविता--जीवन नहीं बीतता।

सांस चली जाती है।

क्योंकि सांस चलती है।

आत्मा चहुँ ओर व्याप्त है।

आत्मा नहीं मरती।

जीवन भी नहीं मरता।

जीवन चलता रहता है।

जीवन नहीं मरता।

जीवन नहीं बीतता।

मैं मर गया,तो जीवन थोडे ही मर जाएगा।

जीवन आत्मा स्वरूप है।

दुबारा कहूँ तो

परमात्मा स्वरूप है।

जीवन नहीं बीतता।

-----------------सूबे सिंह सुजान..............

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 5:51pm — 3 Comments

जीवन नहीं बीतता।

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 5:33pm — No Comments

Monthly Archives

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service