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Khursheed khairadi's Blog – November 2014 Archive (4)

खेतों की हरियाली गुम है

खेतों की हरियाली गुम है

गाँवों की खुशहाली गुम है

 

बंद जहाँ है खुशियाँ सारी

उस ताले की ताली गुम है

 

जाने किस जंगल में गुम हूं

दुनिया देखी भाली गुम है

 

कैसी फ़सलें बोयी माधो

बूटे गायब बाली गुम है

 

शहरों में मजदूरी करते

बागों के सब माली गुम है

 

झूलों वाला सावन गुमसुम

अमुवे वाली डाली गुम है

 

क्यूं पलकें ‘खुरशीद’ हुई नम

वो अलकें घुँघराली गुम है 

मौलिक व…

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Added by khursheed khairadi on November 12, 2014 at 9:30am — 7 Comments

दिल्ली के दावेदारों

दिल्ली के दावेदारों तुम , देहातों में जाकर देखो

तकलीफ़ों की लहरें देखो ,गम का गहरा सागर देखो

 

सूरज अंधा चंदा अंधा , दीप बुझे हैं आशाओं के

रातें काली हैं सदियों से , और दुपहरें धूसर देखो

 

निर्धन की झोली में है दुख ,मौज दलालों के हिस्से में

कुटिया देखो दुखिया की तुम ,वैभव मुखिया के घर देखो

 

मोती निपजाने वाले तन ,धोती को तरसे बेचारे

गोदामों में सड़ता गेंहूं , भूखे बेबस हलधर देखो

 

आँसू गाँवों के भरते हो ,…

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Added by khursheed khairadi on November 11, 2014 at 9:00am — 8 Comments

दीनों का बस एक गुज़ारा ठाकुरजी

दीनों का बस एक गुज़ारा ठाकुरजी

कष्टनिवारक नाम तुम्हारा ठाकुरजी

 

जग ने हमको दुत्कारा है हर युग में

रखना तुम तो ध्यान हमारा ठाकुरजी

 

साख भराऊं तुमरे सूरज चंदा से

देहातों में है अँधियारा  ठाकुरजी

 

युगों युगों से खोज रहा हूं मैं ख़ुद को

दर दर भटकूं मारा मारा ठाकुरजी

 

सप्त सिंधु है बेबस तेरी अँजुरी में

मेरे होठों पर अंगारा ठाकुरजी

 

बीच भँवर में नैया डोले टेर सुनो

टूटा चप्पू दूर…

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Added by khursheed khairadi on November 10, 2014 at 2:30pm — 7 Comments

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है

 

ज़माना भी खड़ा है हाथ में शमशीरें लेकर

मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है

 

गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो

चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है

 

उदासी  की फटी चिलमन हटाकर फैंक दूंगा

जिऊँगा अब तबस्सुम  ओढ़कर तै कर लिया है

 

हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ

अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है

 

खड़ा…

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Added by khursheed khairadi on November 3, 2014 at 11:30am — 9 Comments

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