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Dr. Vijai Shanker's Blog – May 2015 Archive (6)

वक़्त मुसाफिरी का है ,गुजार ले-- डॉo विजय शंकर

ये तू , ये मैं ,

ये साथ , ये अकेलापन,

सब यहीं है ,

यहीं का है,

एक बार यहां से गए ,

तो तू कौन,

मैं कौन,

एक नाम ही है,

सब यहीं रह जाएगा ,

बहती हवा में बह जाएगा ,

द्रव्य, दृश्य,शब्द, स्मृतियाँ, सब,

कुछ मिटटी में , कुछ

वायु में विलीन हो जाएगा ,

नष्ट नहीं होगा ,

पर साथ नहीं जाएगा ,



ये तू, ये मैं , ये साथ ,

ये रिश्ते , ये बंधन ,

ये सब यहीं के हैं ,

यहीं तक हैं ,

यहीं रह जाएंगे ,

समय में खो जाएंगे… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on May 13, 2015 at 7:04am — 24 Comments

माँ परियों की रानी है -- डॉo विजय शंकर

मातृ-दिवस पर



माँ

जिसके बिन जन्म नहीं

सुरक्षा है, सुकून है ,

शान्ति हैं ,

ज्ञान है , संस्कृति है ,

एक पूर्ण परिवेश है ,

अबोथ के लिए ,

अपना विश्वकोष है ,

ईश्वर का वरदान है।

नैसर्गिक अधिकार है ,

अमूल्य है, मूल्यरहित

उपहार है.



स्वर्ग में ,

अप्सराएं प्रतीक्षा करतीं हैं ,

स्वर्ग जाने पर मिलती हैं ,

किसने देखा है,

किसने जाना है ?



धरती पर आने पर

सबसे पहले माँ मिलती है,

माँ प्रतीक्षा… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on May 10, 2015 at 10:00am — 14 Comments

देशराज सिंह के बेटे ( लघु- कथा ) --- डॉo विजय शंकर

देशराज सिंह के चार बेटे हुए , उनमें से तीन के नाम हैं , ज्ञान सिंह, वचन सिंह ,करम सिंह ।

ये तीनों जब से अपने हाथ पाँव के हुए एक दूसरे दूर हो गए।

लोग समझते हैं कि वे एक दूसरे से बिलकुल अंजान हो गए जबकि असलियत यह है कि वे तीनों आपस में एक दूसरे की शक्ल ही नहीं देखना चाहते हैं , कभी-कभार का मिलना जुलना तो बहुत दूर की बात. तीनों एक दूसरे से बिलकुल उल्टी दिशा में चलते हैं।

और चौथा ?

चौथा , विवेक सिंह , वो तो हर समय सोया ही रहता है, कभी जागा हो, किसी ने देखा ही नहीं।…



Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on May 5, 2015 at 9:30am — 16 Comments

सौंदर्य प्रतिभा ज्ञान---डॉo विजय शंकर

सौंदर्य को सजावट ,

आभूषण ,शृंगार चाहिए ,

सादगी को…...क्या चाहिए ,

सादगी,.. वो तो, सबको चाहिए।

वो रोज सज के निकलती

लोग परेशान हो जाते थे ,

इक बार सादगी से निकली

कितने लोग बेहोश हो गए।



पहुँच से पहचान है ,

जिसकी पहचान है

वही प्रतिभावान है , अन्यथा

प्रतिभा को पहचान चाहिए ,

पहचान का एहसान चाहिए ।



ज्ञान को सम्मान चाहिए ,

जहां सब ज्ञानी हो ……… ,

जाने दीजिये, ज्ञान तो स्वयं दाता है |

तो इतना सज संवर के क्यों आता… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2015 at 10:28am — 16 Comments

टी वी पर बहस -- डॉo विजय शंकर

जैसा कि अक्सर हो जाता है , एक अज्ञानी महानुभाव ने घोर अज्ञानी वक्तव्य देकर माहौल में सनसनी फैला दी , टी वी पर तमाम विद्वान उस पर जोरदार बसह में उलझे हुए थे। दो मित्र टी वी देख कर खीझ रहे थे।
एक बोला , " चैनल बदलो।इस बहस ने तो बोर कर दिया। यार ये इतने बड़े बड़े विद्वान एक मूर्ख की बातों पर इतनी बहस क्यों करते हैं ? "
दूसरा बोला , " क्योंकि मूर्ख कुछ कह तो देते हैं , विद्वान तो कुछ कह ही नहीं पाते , इसलिए बस बहस ही कर लेते हैं ,"

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 10:09am — 20 Comments

सामान्य ज्ञान का प्रश्न---डॉo विजय शंकर

व्यवस्था का मान करें ,

उस से ज्यादा जो व्यवस्था में हैं ,

उनका सम्मान करें।

वे कौन हैं , कहाँ से आये हैं ,

पूछ कर न अपना

अपमान करें।

जो व्यवस्था में हैं ,

वे माननीय , आदरणीय हैं ,

पूज्यनीय , वन्दनीय हैं ,

ओजस्वी ,प्रकाशमान

देवतास्वरूप हैं ,

उनकें ज्ञान पर , उनकें

सामान्य ज्ञान पर प्रश्न न करें ,

वे स्वयं सामान्य ज्ञान का प्रश्न हैं,

बड़ी परीक्षाओं में सामान्य ज्ञान

के प्रश्न पत्रों में पूछे जाते हैं ,

उन पर जो सही… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 9:42am — 14 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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