Added by जयनित कुमार मेहता on May 17, 2016 at 6:58pm — 11 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on May 12, 2016 at 8:46am — 5 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on May 8, 2016 at 7:00am — 5 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on May 7, 2016 at 6:44am — 6 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on April 30, 2016 at 9:01pm — 14 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on April 12, 2016 at 8:50pm — 3 Comments
212 212 212 212
ये है आलम अब आपस की तकरार से
गुफ़्तगू हो रही सबकी दीवार से
फिर हमें कब रहा डर किसी वार से
लफ्ज़ अपने हुए जब से हथियार से
कुछ ख़बर हो न पाई हमें, इस क़दर
जिस्म से दिल निकाला गया प्यार से
सोचिये, स्वस्थ तब देश कैसे रहे
ख़ैरख़्वाह आज सारे हैं बीमार - से
जीत को जब बनाया है मक़सद,तो फिर
मैं भला क्यों डरूं एक - दो हार…
Added by जयनित कुमार मेहता on April 5, 2016 at 10:08pm — 1 Comment
1222 1222 1222 1222
निगाहों में किसी की चंद-पल रुक कर चला आया
परिंदा क़ैद का आदी नहीं था, घर चला आया
सितमगर की ख़िलाफ़त में उछाला था जिसे हमने
हमारे आशियाने तक वही पत्थर चला आया
सभी क़समों, उसूलों, बंदिशों को तोड़कर,आखिर
मैं अरसे बाद आज उसकी गली होकर चला आया
दनादन लीलता ही जा रहा है कैसे हरियाली
कि चलकर शह्र से अब गाँव तक अजगर चला…
Added by जयनित कुमार मेहता on March 9, 2016 at 9:59pm — 10 Comments
1222 1222 1222 1222
धरा है घूर्णन में व्यस्त, नभ विषणन में डूबा है
दशा पर जग की, ये ब्रह्माण्ड ही चिंतन में डूबा है
हर इक शय स्वार्थ में आकंठ इस उपवन में डूबी है
कली सौंदर्य में डूबी, भ्रमर गुंजन में डूबा है
बयां होगी सितम की दास्तां, लेकिन ज़रा ठहरो
सुख़नवर प्रेयसी के रूप के वर्णन में डूबा है
उदर के आग की वो क्या जलन महसूस कर पाए
जो चौबीसों…
Added by जयनित कुमार मेहता on February 24, 2016 at 9:17pm — 18 Comments
212 212 212 212
शेर-सा, बाघ-सा, तेंदुआ-सा लगा
शह्र में हर कोई भागता-सा लगा
अक्स उसने दिखाया मेरा हू-ब-हू
आज कोई मुझे आइना-सा लगा
यूं मुझे ज़ीस्त के तज़्रिबे थे कई
तज़्रिबा इश्क़ का पर नया-सा लगा
क़ामयाबी मुक़द्दर के हाथ आ गई
कोशिशों से कोई ढूंढता-सा लगा
त्यौरियां हुक्मरानों की चढ़ने लगीं
जब भी आम-आदमी खुश ज़रा-सा लगा
जिस्म-ओ-जां एक कब के हुए…
ContinueAdded by जयनित कुमार मेहता on February 19, 2016 at 8:59pm — 13 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on February 17, 2016 at 9:35pm — 8 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2016 at 8:34pm — 11 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on February 2, 2016 at 8:30pm — 23 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 28, 2016 at 8:58pm — 15 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 17, 2016 at 2:42pm — 7 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 13, 2016 at 9:06pm — 4 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 10, 2016 at 10:14pm — 23 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 1, 2016 at 7:56pm — 5 Comments
छोड़ शहर की रौनक,जिसके
गाँव में बसते प्राण।
जिसकी पावन धरती ने है
जने वीर संतान।
जिसकी गौरव-गाथा का
करे विश्व गुणगान।
है देशों में वो देश महान।
अपना प्यारा हिन्दुस्तान।।
सूरत से भी ज़्यादा उनकी
होती सीरत प्यारी।
हृदय में जिनके बहती है
करुणा जग की सारी।
वक़्त पड़े तो रणभूमि में
जौहर दिखलाती नारी।
अत्याचार को देख के जिनके
दिल में उठता है तूफ़ान।।
राजतंत्र को मिटा जिन्होंने
गणतंत्र हमें…
Added by जयनित कुमार मेहता on December 13, 2015 at 9:30pm — 6 Comments
2122 2122 212
लाएगी इक दिन क़यामत,देखना..
जानलेवा है सियासत, देखना..
काम मुश्किल है बहुत संसार में,
दुसरे इंसाँ की बरकत देखना..
देख लेना खूँ-पसीना भी, अगर
आलिशाँ कोई इमारत देखना..
झाँक कर मेरी निगाहों में कभी,
आपसे कितनी है चाहत, देखना..
देखना हो गर खुदा का अक्स,तो
छोटे बच्चे की शरारत देखना..
'जय' न सिखला दे मुहब्बत,फिर कहो
दो घड़ी करके तो सुहबत देखना..
______________________________…
Added by जयनित कुमार मेहता on December 7, 2015 at 2:30pm — 12 Comments
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