For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Santosh khirwadkar's Blog – August 2017 Archive (9)

आज तू जो मुझे बदला सा नज़र आता है..............संतोष.

अरकान हैं 'फ़ाइलातून फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन

आज तू जो मुझे बदला सा नज़र आता है
दोस्ती में तिरी धोका सा नज़र आता है

तूने छोड़ा था मुझे यार किसी की शह पर
इसलिये आज तू तन्हा सा नज़र आता है

ये तो शतरंज की बाजी है बिछाई उसकी
तू तो इस खेल में मुहरा सा नज़र आता है

है शिकन साफ़,शिकस्तों की तिरे माथे पर
तू हमें कुछ डरा सहमा सा नज़र आता है
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by santosh khirwadkar on August 23, 2017 at 8:30pm — 15 Comments

कैसे कहूँ अब तुझसे कुछ कहा भी नहीं जाता,

कैसे कहूँ अब तुझसे कुछ कहा भी नहीं जाता,

तनहा ज़िंदगी में अब यूँ रहा भी नहीं जाता



चले थे जिस मोड़ तलक इस सफ़र में हम ,

रास्ता उस सफ़र का भुलाया भी नहीं जाता



उठता हैं मेरे दिल में तिरी यादों का तूफ़ाँ भी,

हादसा था जैसे ये भुलाया भी नहीं जाता



सुख गये यूँ अश्क़ भी यादों से तिरी,

ग़मों को लिये अब तो रोया भी नहीं जाता



तुम रहो कहीं भी मगर ये सच है ,

वजूद तिरा दिल से फिर मिटाया भी नहीं जाता



वो शख़्स जिसने मुझे अपना माना…

Continue

Added by santosh khirwadkar on August 10, 2017 at 8:30pm — 6 Comments

प्रेम कहलाता है .......संतोष

मैंने जो गाया था कभी,तूने जो सुना ही नहीं

स्नेह,प्रेम,गीत ,वही तो कहलाता है



सावन की फुहारों में,आसमाँ की राहों से

धरती की माटी को भी ,वो तो चूम जाता है



अख़ियों ही अख़ियों से दिल तक जाने वाला,

यही तो वो रोग है जो ,प्रेम कहलाता है



कभी नीम की निम्बोली में भी अमूवा का स्वाद दे वो,

ऐसी स्मृतियों को कोई भूल कहाँ पाता है



नयनों की बरखा में यादों का सहारा लिये,

पलकों के द्वार को भी ,वो तो भीगो जाता है



सावनों के झूलों पे… Continue

Added by santosh khirwadkar on August 9, 2017 at 11:39pm — 4 Comments

तिरी नज़रों में ....संतोष

तिरी नज़रों में ये  बात नज़र आती है
मिरी याद तो तुझे आज भी आती है

ये चाहत का मामला है जनाब,
दिल की कशिश है,लौट आती है

छुपा लो लाख इसे तुम दिल में मगर,
बात दुनियाँ को भी नज़र आती है

दिल गिरफ़्त में है और क़ैद भी'संतोष'
चाहत तिरी वो ज़ंजीर नज़र आती है
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Added by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 8:00pm — 9 Comments

चाँद ढूँढ रहे हो ??......संतोष

क्यूँ आसमां में चाँद ढूँढ रहे हो,

वो मेरे पास उतर आया है



हाँथों की इन लकीरों में जैसे मेरे,

ज़िंदगी बन के चला आया है



आईना सा था वो बिल्कुल साफ़,

छूने से मेरे ,उस पर कुछ दाग़ उभर आया है



चमकता सितारा हूँ ज़मीं पर उसका,

वो आसमाँ सा ज़मीं को सजाने आया है



ये मेरी मुहब्बत ही तो है उससे,

वो मुझसे मिलने ज़मीं तक आया है



जलते हो तो जलो ए दुनियाँ वालों तुम,

वो मुझसे ईद मुबारक़ कहने आया… Continue

Added by santosh khirwadkar on August 7, 2017 at 8:18pm — 10 Comments

चलो फिर यादों के सफ़र पर......संतोष

चलो फिर यादों के सफ़र पर हो आते हैं ,

तन्हाई का ये दौर कुछ देर को भूल आते है



बिखरे हमारे ख़्वाबों को ग़र सवाँरना हो तो,

चलो आज फिर उनसे मुलाक़ात कर आते हैं



ख़्वाबों में ही सही मगर थे हमसफ़र कभी,

यही ऐहसास को फिर पैकर किये आते है



ये कैसा मरज है कि दिलों से जाता ही नहीं,

दिल अफ़्सुर्दा है क्यूँ तुम्हारा ये भी जान आते है



सोचा नहीं था कि फिर सामना होगा तुमसे,

बिखरे ख़्वाबों का एक नया आईना बना आते हैं



उम्मीद आज भी फ़क़त… Continue

Added by santosh khirwadkar on August 6, 2017 at 12:40pm — 9 Comments

कौन है ......... संतोष

कहाँ है,कौन है, कैसा नज़र आता है ,

वो ख़ुद में कम ,अब मुझ में ज़ियादा नज़र आता है

ये कैसी इबादत है ख़ुदा को मिरी,

माँगू ख़ुदा को भी ,तो वो ही नज़र आता है

वो धड़कन है,साँस है, ज़िंदगी भी है मिरी

करूँ आँखें बंद भी तो ,चेहरा उसी का नज़र आता है



अश्क़ ,ग़म,ख़ुशी ,मौसम,सभी तो है शामिल उसमें,

वो मुझे अब मिरी, ग़ज़ल नज़र आता है



चाहता तो वजूद ही मिटा देता उसका मगर,

वो ऐसा ज़ख़्म है दिल का ,जो फिर उभर आता…

Continue

Added by santosh khirwadkar on August 2, 2017 at 9:30pm — No Comments

चले आना...संतोष

चले आ बस एक बार फिर तू ,

अब ये इंतज़ार और नहीं होता



नज़रों के फ़ासलों में है तू दूर,

दिलों के फ़ासलों से तू दूर नहीं होता



चाहते हो आज़माना मुझको तो ,आज़माओ

मगर ये दिल है ,सबका एक सा नहीं होता



तू आ जा मेरे ख़्वाबों में ही सही ,

फिर देखना दुनियाँ में क्या नहीं होता



तलाश मेरी वही है जो वो समझे तो "संतोष"

लेकिन अब मेरी मिन्नतों का भी असर उस पर नहीं होता



#संतोष खिरवड़कर

9826052771

(मौलिक एवं… Continue

Added by santosh khirwadkar on August 2, 2017 at 8:24pm — 2 Comments

इश्क़ की ज़ुबाँ....संतोष

इश्क़ की ज़ुबाँ को तूने किस क़दर आसां कर दिया,

कह न सका कभी, वो निगाहों से बयाँ कर दिया.



दिल में मुरझाये से अरमां थे मिरे,

निगाहों ने तिरे उन्हें फिर जवाँ कर दिया.



अब तो हवाओं में भी आती है ख़ुशबू तिरी,

बंजर था ये दिल मेरा,तूने गुलिस्ताँ कर दिया.



पाना था तुझे जो रुका भी नहीं मंज़िल तलक मैं,

चाहतों ने तिरे इस दुश्वार सफ़र को और आसां कर दिया.



फ़ैसला जब था मेरा तुम्हारा, तो फिर ये ऐतराज़ कैसा,

दुनियाँ वालों ने फिर क्यूँ जीना मेरा… Continue

Added by santosh khirwadkar on August 2, 2017 at 8:02pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service