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Vijay nikore's Blog – September 2014 Archive (3)

जाओ पथिक तुम जाओ ... (विजय निकोर)

जाओ पथिक तुम जाओ

(किसी महिला के घर छोड़ जाने पर लिखी गई रचना)

पैरों तले जलती गरम रेत-से

अमानवीय अनुभवों के स्पर्श

परिवर्तन के बवन्डर की धूल में

मिट गईं बनी-अधबनी पगडंडियाँ

ज़िन्दगी की

परिणति-पीड़ा के आवेशों में

मिटती दर्दीली पुरानी पहचानें

छूटते घर को मुड़ कर देखती

बड़े-बड़े दर्द भरी, पर खाली

बेचैनी की आँखें

माँ के लिए  कांपती

अटकती एक और पागल पुकार

इस…

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Added by vijay nikore on September 18, 2014 at 5:30pm — 16 Comments

आसमानी फ़ासले .... (विजय निकोर)

आसमानी फ़ासले

बच्चों-सा स्वप्निल स्वाभाविक संवाद

हमारी बातों में मिठास की आभाएँ

ताज़े फूलों की खुशबू-सी निखरती

सुखद अनुभवों की छवियाँ ...

हो चुकीं इतिहास

समय-असमय अब अप्रभाषित

शून्य-सा मुझको लघु-अल्प बनाती

अस्तित्व को अनस्तित्व करती

निज अहं को आदतन संवारती

आलोचनाशील असंवेदनशीलता तुम्हारी

अब बातें हमारी टूटी कटी-कटी ...

बीते दिनों की स्मर्तियाँ पसार

मानवीय…

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Added by vijay nikore on September 7, 2014 at 2:00pm — 21 Comments

अमृता प्रीतम जी ... दर्द की दर्द से पहचान (विजय निकोर)

अमृता प्रीतम जी ... दर्द की दर्द से पहचान

स्मृतियों की धूल का बढ़ता बवन्डर ... पर उस बवन्डर में कुछ भी वीरान नहीं। कण-कण परस्पर जुड़ा-जुड़ा, कण-कण पहचाना-सा। प्रत्येक स्मृति से जुड़ी सुखद अनुभूति, बीते पलों को जीवित रखती उनको बहुत पास ले आती है, अमृता जी को बहुत पास ले आती है...कि जैसे बीते पल बारिश की बूंदों में घुले, भीगी ठँडी हवा में तैरते, लौट आते हैं, आँखों को नम कर जाते हैं...

आज ३१ अगस्त ... मेरी परम प्रिय अमृता जी का पुण्य जन्म-दिवस ... वह…

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Added by vijay nikore on September 1, 2014 at 5:00pm — 10 Comments

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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