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Vijay nikore's Blog – November 2018 Archive (3)

माँ शारदा का वरदान है प्यार

माँ शारदा का वरदान  है प्यार

[ श्री रामकृष्ण अस्पताल सेवाश्रम, कंखल (उत्तरखंड, भारत) से ]

ऐसी ही ...  प्रिय

लेटी रहो न मेरे घुटने पर सर टेके

भावनायों के निर्जन समुद्र तट पर आज

बहें हैं आँसू बहुत मध्य-रात्रि के अंधेरे में

कभी अनेपक्षित बह्ते कभी रुक्ते-रुकते

पहले इससे कि तुम्हारा  एक और आँसू

मेरे अस्तित्व पर टपक कर मुझको

नि:स्तब्ध,…

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Added by vijay nikore on November 25, 2018 at 7:16pm — 8 Comments

प्रणय-हत्या

प्रणय-हत्या

किसी मूल्यवान "अनन्त" रिश्ते का अन्त

विस्तरित होती एक और नई श्यामल वेदना का

दहकता हुया आशंकाहत आरम्भ

है तुम्हारे लिए शायद घूम-घुमाकर कुछ और "बातें"

या है किसी व्यवसायिक हानि और लाभ का समीकरण

सुनती थी क्षण-भंगुर है मीठे समीर की हर मीठी झकोर

पर "अनन्त" भी धूल के बवन्डर-सा भंगुर है

क्या करूँ ... मेरे साँवले हुए प्यार ने यह कभी सोचा न…

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Added by vijay nikore on November 9, 2018 at 6:30am — 6 Comments

अंतर्द्वन्द्व

अंतर्द्वन्द्व

 

कितने बर्फ़ीले दर्द दिल में  छिपाए

किन-किन  बहानों  से  मन  को  बहलाए

भीतर  की गहरी गुफ़ा से  आकर

तुम्हारे सम्मुख आते ही हर बार

हँस देता हूँ ,  हँसता चला जाता हूँ

स्वयं को  छल-छल  ऐसे

तुमको  भी... छलता चला जाता हूँ 

 

ऐसे  में  मेरी हर हँसी में  तुम  भी

हँस देती हो ... नादान-सी

मेरे उस मुखौटे से अनभिज्ञ

न जानती  हो, न जानना चाह्ती  हो

कि अपने सुनसान अकेलों…

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Added by vijay nikore on November 6, 2018 at 2:00pm — 14 Comments

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