For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Madan Mohan saxena's Blog – June 2014 Archive (3)

बचपन यार अच्छा था

जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी

बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था

बारीकी जमाने की, समझने में उम्र गुज़री

भोले भाले चेहरे में सयानापन समाता था

मिलते हाथ हैं लेकिन दिल मिलते नहीं यारों

मिलाकर हाथ, पीछे से मुझको मार जाता था

सुना है आजकल कि बह नियमों को बनाता है

बचपन में गुरूजी से जो अक्सर मार खाता था

उधर माँ बाप तन्हा थे इधर बेटा अकेला था

पैसे की ललक देखो दिन कैसे दिखाता था

जिसे देखे हुआ अर्सा , उसका हाल जब पूछा

बाकी…

Continue

Added by Madan Mohan saxena on June 23, 2014 at 1:07pm — 5 Comments

सबकी ऐसे गुजर गयी

सबकी ऐसे गुजर गयी

हिन्दू देखे ,मुस्लिम देखे इन्सां देख नहीं पाया
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में आते जाते उम्र गयी

अपना अपना राग लिए सब अपने अपने घेरे में
हर इन्सां की एक कहानी सबकी ऐसे गुजर गयी

अपना हिस्सा पाने को ही सब घर में मशगूल दिखे
इक कोने में माँ दुबकी थी , जब मेरी बहाँ नजर गयी

दुनिया जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे
तेरी इकजैसी सच्ची सूरत, दिल में मेरे उतर गयी

मौलिक और अप्रकाशित

मदन मोहन सक्सेना

Added by Madan Mohan saxena on June 13, 2014 at 4:55pm — 7 Comments

ऐसा घर बनातें हैं

इन कंक्रीटों के जंगल में नहीं लगता है मन अपना

जमीं भी हो गगन भी हो ऐसा घर बनातें हैं

ना ही रोशनी आये ना खुशबु ही बिखर पाये

हालात देखकर घर की पक्षी भी लजातें हैं

दीबारें ही दीवारें नजर आये घरों में क्यों

पड़ोसी से मिले नजरें तो कैसे मुहँ बनाते हैं

मिलने का चलन यारों ना जानें कब से गुम अब है

टी बी और नेट से ही समय अपना बिताते हैं

ना दिल में ही जगह यारों ना घर में ही जगह यारों

भूले से भी मेहमाँ को ना नहीं घर में टिकाते हैं

अब…

Continue

Added by Madan Mohan saxena on June 5, 2014 at 3:09pm — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service