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Sushil Sarna's Blog – March 2020 Archive (3)

आसमाँ .....

आसमाँ .....

बहुत ढूँढा
आसमाँ तुझे
दर्द की लकीरों में
मोहब्बत के फ़कीरों में
ख़ामोश जज़ीरों में
मगर
तू छुपा रहा
धड़कन की तड़पन में
यादों के दर्पण में
कलाई के कंगन में
वक्त सरकता रहा
सागर छलकता रहा
अब्र बरसता रहा
मगर
तू न समझा
मैं किसे ढूँढता हूँ
पागल आसमाँ
मैं तो
इस दिल की ज़मी का
आँखों की नमी का
अपनी ज़बीं का
आसमाँ ढूँढता हूँ

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on March 30, 2020 at 8:30pm — 3 Comments

होली के दोहे :

होली के दोहे :

नटखट नैनों ने किया, कुछ ऐसा हुड़दंग।

नार नशा हावी हुआ, फीकी लगती भंग।।१

साजन लेकर हाथ में, आये आज गुलाल।

बाहुबंध में शर्म से, लाल हो गए गाल।। २

अधरों पर है खेलती, एक मधुर मुस्कान।

तन पर रंगों ने रची, रिश्तों की पहचान।। ३

होली के त्योहार पर ,इतना रखना ध्यान।

नारी का अक्षत रहे ,रंगों में सम्मान।।४

गौर वर्ण पर रंग ने, ऐसा किया धमाल।

नैनों नें की मसखरी, गाल हो गए लाल।।…

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Added by Sushil Sarna on March 6, 2020 at 5:08pm — 4 Comments

ज़बान :

ज़बान :

बड़ी अजीब है ये दुनिया 

जाने कितने ताले लगाए फिरती है 

अपनी ज़बान  पर 

खूनी मंज़र चुपचाप सह जाती है 

हकीकत  में किसी के पास 

वो ज़बान  ही नहीं 

जो सच को बयाँ कर सके 

इसीलिये अक्सर लोग 

रूहानी आवाज़ को 

अपने अंदर ही दफ़्न कर लेते हैं 

घोंट देते हैं अहसासों का गला 

और छटपटाने देते हैं 

वेदना की व्याकुलता को 

किसी परकटे पंछी की तरह 

अंदर ही अंदर 

रूहानी परतों के…

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Added by Sushil Sarna on March 4, 2020 at 7:42pm — 2 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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