For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – October 2015 Archive (4)

प्रणय को आकार दिया ....

दृग

शृंगार करते रहे

आंसुओं से

तृषित मन

आस की मरीचिका में

भटकता रहा

व्यथा

दूर तक फ़ैली नदी में

वायु वेग को सहती

बिन पाल की नाव सी

किसी किनारे की तलाश में

व्यथित रही

दृष्टि स्पर्श

प्रणय अस्तित्व को

नागपाश सा

स्वयंम में लपेटे रहा

अंतर्कथा के मौन पृष्ठों में

जीवन के इक मोड़ की त्रासदी

स्मृति सीप में

कराहती रही

कदम

धूप की तपन को

मन के अंतर्नाद में डूबे 

एक क्षितिज की तलाश में…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 21, 2015 at 5:43pm — 12 Comments

अंजामे मुहब्बत .....

अंजामे मुहब्बत .......

कितनी अज़ीब हैं ज़िंदगी की राहें

हर मोड़

एक उलझी पहेली

हर राह पर फिसलन

हर नफ़स एक चुभन

गर्द में दफ़्न

वफ़ा और ज़फ़ा के अनसुने अनकहे

वो अफ़साने

जिन्हें सुनना चाहे

ये दिल बार बार

हर बार

कोई लफ्ज़ लबे दहलीज़ पे

इज़हार से शरम खाता है

और अश्के रवां रुखसार पे रुक जाता है

कह देती है सांस

साँसों में तपते अहसासों को

दे देती है खामोश धड़कनों को

अपनी धड़कनों की आवाज़

वो बात मुहब्बत की…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 14, 2015 at 2:16pm — 10 Comments

तुम न समझ पाओगे .....

तुम न समझ पाओगे .....

तुम न समझ पाओगे

मुहब्बत की ज़मीन पर

कतरा कतरा बिखरते

रूमानी अहसासों के सायों का दर्द

तुम तो बुत हो

सिर्फ बुत

जिसपर कोई रुत असर नहीं करती

तुम से टकराकर

हर अहसास संग -रेज़ों में तक़सीम जाता है

और साथ चलते साये का वज़ूद

सिफर में तब्दील हो जाता है

रह जाते हैं बस शानों पर

स्याह शब में गुजरे चंद लम्हे

जो आज मुझे किसी माहताब में

लगे दाग़ की तरह लगते हैं

तुम्हारी याद का हर अब्र

मेरी चश्म…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 6, 2015 at 9:42pm — 10 Comments

ख़ौफ़ खाता हूँ …

ख़ौफ़ खाता हूँ …

ख़ौफ़ खाता हूँ 

तन्हाईयों के फर्श पर रक्स करती हुई

यादों की बेआवाज़ पायल से

ख़ौफ़ खाता हूँ

मेरे जज़्बों को अपाहिज़ कर

अश्कों की बैसाखी पर

ज़िंदा रहने को मज़बूर करती

बेवफा साँसों से

ख़ौफ़ खाता हूँ

हयात को अज़ल के पैराहन से ढकने वाली

उस अज़ीम मुहब्बत से

जो आज भी इक साया बन

मेरे जिस्म से लिपट

मेरे बेजान जिस्म में जान ढूंढती है

और ढूंढती है

ज़मीं से अर्श तक

साथ निभाने की कसमों के…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 3, 2015 at 8:30pm — 12 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service