For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Somesh kumar's Blog – March 2018 Archive (11)

रातरानी और भौरा(कहानी )

 “ रात महके तेरे तस्सवुर में

 दीद हो जाए तो फिर सहर महके “

“अमित अब बंद भी करो !बोर नहीं होते |कितनी बार सुनोगे वही गजल |” सुनिधि ने चिढ़ते हुए कहा

प्रतिक्रिया में अमित ने ईयरफोन लगाया और आँखें बंद कर लीं |

कुछ देर बाद सुनिधि ने करवट बदली और अपना हाथ अमित की छाती पर रख दिया |पर अमित अपने ही अहसासों में खोया रहा और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी |

“ऐसा लगता है तुम मुझे प्यार नहीं करते |” सुनिधि ने हाथ हटाते हुए कहा पर अमित अभी भी अपने ख्यालों में खोया…

Continue

Added by somesh kumar on March 30, 2018 at 12:00am — 2 Comments

इश्क ने हाल पूछा

रात भर महकती रही यादें

लुत्फ़ आया बहुत जुदाई का

विरह से उठा रोग दबा हुआ

पता लेता हूँ अब दवाई का |

 

सिक्के जेब को काटने लगे

खर्च ने हाल पूछा कमाई का

नमक-मिर्च से मुँह जलाकर

पूछा भाव फिर से मिठाई का |

 

हर रात सिराहन से शिकायतें

ढिंढोरा कब तलक ढिठाई का

हथेलियाँ-हथेलियों के लिए तड़पी

इश्क ने हाल पूछा रुसवाई का  |

 

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

 

 

Added by somesh kumar on March 25, 2018 at 2:30pm — No Comments

शुतरमुर्ग(लघुकथा )

तीसरे माले पर वो करवट बदलते हैं तो खटिया चर्र-चर्र बोलती है |अंगोछा उठाकर पहले पसीना पोंछते है फिर उस से हवा करने लगते हैं |

“साsला पंखा भी ---“ बड़बड़ा कर बैठ जाते हैं और एक साँस में बोतल का शेष पानी गटक जाते हैं

“अब क्या ? अभी तो पूरी रात है |”

भिनभिनाते मच्छर को तड़ाक से मसल देते हैं |

दूसरे माले का टी.वी. सुनाई देता है – “तू मेरा मैं तेरी जाने सारा हिंदुस्तान |”

“बुढ़िया को क्या पड़ी थी पहले जाने की ---“

गला फिर सूखने लगा तो जोर–जोर से खाँसना…

Continue

Added by somesh kumar on March 20, 2018 at 8:00pm — 9 Comments

घुटनें एवं छड़ी(कहानी )

रामदीन |” अख़बार एक तरफ रखते हुए और चाय का घूंट भरते  हुए पासवान बाबू ने आवाज़ लगाई

“जी बाबू जी |”

“मन बहुत भारी हो रहा है |दीपावली गुजरे भी छह महीने हो गए | सोचता हूँ दोनों बेटे बहुओं से मिल लिया जाए|---- ज़िन्दगी का क्या भरोसा !”

“ऐसा क्यों कहते हैं बाबूजी !हम तो रोज़ रामजी से यही प्रार्थना करते हैं की बाबूजी को लंबा और सुखी जीवन दे |”

“ये दुआ नहीं मुसीबत है |बुढ़ापा ---अकेलापन----तेरे माई जिंदा थी तब अलग बात थी पर अब ---“ वो गहरी साँस भरते हुए कहते हैं

“हम क्या…

Continue

Added by somesh kumar on March 18, 2018 at 11:00pm — 8 Comments

दोनों हाथ (नए ढंग से पुनःप्रस्तुति का प्रयास )

आदित्य और नियति(शादी के पहले छह महीने )

खाना लगा दूँ ?” घर लौटे आदित्य से नियति ने पूछा

“दोस्तों के साथ बाहर खा लिया |”

“बता तो देते |” नियति ने मुँह गिराते हुए कहा

“कई बार तो कह चुका हूँ कि जब दोस्तों के साथ बाहर जाता हूँ तो खाने पर इंतजार मत किया करो |”आदित्य ने तेज़ आवाज़ में कहा

नियति की आँखों में आँसू आ गए आदित्य

“अच्छा बाबा सॉरी !अब प्लीज़ ये इमोशनल ड्रामा बंद करो |” आदित्य ने कान पकड़ते हुए कहा और नियति अपने आँसू पोछने लगी

रात को…

Continue

Added by somesh kumar on March 17, 2018 at 11:25am — 4 Comments

आखिरी मुलाकात(कविता )

आखिरी मुलाकात

आखिरी लम्हा

आखिरी मुलाकात का

अथाह प्यास

जमी हुई आवाज़

उबलते अहसास

और दोनों चुप्प !

आतूूर सूरज

पर्दा गिराने को

मंशा थी खेल

और बढ़ाने को

आखिरी दियासलाई

अँधेरा था घुप्प !

सुन्न थे पाँव

कानफोड़ू ताने

दुधिया उदासी पे

लांछन मुस्काने

आ गया सामने

 जो रहा छुप्प |

वक्त रुका नहीं

आँसू ढहे नहीं

पत्थर बहा…

Continue

Added by somesh kumar on March 14, 2018 at 10:33pm — 6 Comments

खुशियों का बँटवारा(लघुकथा )

खुशियों का बँटवारा

“पापा,बड़े कमरे में चलों “ मनीष ने मैच देख रहे अजीत गुप्ता का हाथ खींचते हुए कहा

“अरे चल रहा हूँ मेरे लाडले,इतनी उतावली क्या है !”

और कमरे में प्रवेश करते ही- सरप्राइज !

“क्यों पापा कैसी लगी डेकोरेशन !” मझली बेटी आनंदी ने पूछा

“एक्सीलेंट!”

“अभी एक और सरप्राइज है “ मिसीज अजीत ने चॉकलेट केक आगे बढ़ाते हुए कहा

“यार ! तुम भी बच्चों के साथ बच्ची बन रही हो |क्या यह उम्र है बर्थडे मनाने की ---केक काटने…

Continue

Added by somesh kumar on March 12, 2018 at 11:23pm — 3 Comments

अहमियत

अहमियत

“सुनते हो !” रीमा ने सहमते हुए मोबाईल पर गेम खेल रहे प्रकाश को धीरे से छूकर कहा 

“क्या यार ! तुम्हारे चक्कर में मेरा खिलाड़ी मारा गया -----बोलों क्या आफ़त आ गई |” प्रकाश ने झल्लाते हुए कहा

“मौसीं का फ़ोन आया था------नानी सीढ़ियों से गिर गईं हैं |” रीमा ने सहमते हुए कहा

“वेरी बैड ----ज़्यादा चोट तो नहीं आई ---“ प्रकाश ने बिना उसकी तरफ़ देखे गेम में लगे हुए ही कहा

“नहीं !” रीमा चुपचाप बगल में बैठ गई 

"सबकी बैंड बजा रखी है मैंने ---मुझसे अच्छा…

Continue

Added by somesh kumar on March 11, 2018 at 9:18am — 5 Comments

प्रवासी पीड़ा(कविता )

प्रवासी पीड़ा

शहर पराया गाँव भी छूटा

चाँदी के चंद टुकड़ों ने

हमको लूटा-हमको लूटा-हमको लूटा |

भूख खड़ी थी जब चौखट पे

कदम हमारे निकल पड़े थे

मिल गई रोटी शहर में आकर

पर अपनों का अपनेपन का

हो गया टोटा-हो गया टोटा-हो गया टोटा |

माल कमाया सबने देखा

रात जगे को किसने देखा

मेहमां-गाँव से ना उनको रोका

एक कमरे की ना मुश्किल समझी

दिल का हमको 

कह दिया छोटा-कह दिया छोटा-कह दिया छोटा…

Continue

Added by somesh kumar on March 8, 2018 at 6:07pm — 2 Comments

आदमी एवं नदी (कविता )

आदमी और नदी

पहाड़ों से निकलतीं थीं झूम-झूम कर

खो जाती थीं एक-दुसरे में घूम-घूम कर

विशद् धारा बन जाती थी

 एक नदी कहलाती थी

समुंदर में जाकर प्रेम करती सुरूप

हो जाती एकरूप |

आदमी भी कुछ ऐसा था

स्वीकारता दुसरे को

चाहे दूसरा जैसा था

आदमी होना प्रथम था

बाद में ज़मीन-पैसा था |

आदमी का मेल-मिलाप /सभ्यता रचता था

इसी तरह एक राज्य/एक देश बसता था |

बाद में नदी को जरूरत के…

Continue

Added by somesh kumar on March 7, 2018 at 8:00pm — 3 Comments

खोया बच्चा(कविता )

खोया बच्चा

 

हिन्दू घर से खोया बच्चा

माँ मम्मी कह रोया बच्चा

गुरूद्वारे का लंगर छक कर

मस्जिद में जा सोया बच्चा |

 

गली मोहल्ला ढूंढ रहा था

उसकों घर घर थाने थाने

दीवारें सब  हाँफ  रहीं थीं 

नींव लगी थी उन्हें बचाने |

 

खुली नींद फिर वो भागा

एक पग में दस डग नापा

थक हार देखी एक बस्ती

निकली चर्च से हँसती अंटी |

 

“तुम शायद घर भूल गया है !

चलों तुम्हें घर से…

Continue

Added by somesh kumar on March 4, 2018 at 2:00pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service