For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – September 2021 Archive (7)

स्वयं को तनिक एक बच्चा बना-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२



न दे साथ जग  तो अकेला बना

नया अपने दम पर जमाना बना।१।

*

थका हूँ जतन कर यहाँ मैं बहुत

कि घर मेरा तू ही शिवाला बना।२।

*

तुझे अपना कहते बितायी सदी

न  ऐसे तो पल  में  पराया बना।३।

*

यहाँ सच की बातें तो अपराध हैं

यही सोच खुद को न झूठा बना।४।

*

बड़ों के दिलों में भरा दोष अब

स्वयं को तनिक एक बच्चा बना।५।

*

बहुत दम है साथी कहन में मगर

नहीं अपने…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 27, 2021 at 6:45am — 7 Comments

ओजोन दिवस के दोहे

परत घटे ओजोन की, बढ़े धरा का ताप

काटे हम ने पेड़ जो, बने वही अभिशाप।१।

*

छन्नी सा  ओजोन  ही,  छान  रही  है धूप

घातक किरणें रोक जो, करती सुंदर रूप।२।

*

गोला सूरज आग का, विकिरण से भरपूर

पराबैंगनी  ज्वाल  को, ओजोन  रखे  दूर।३।

*

जीवन है ओजोन से, करो न इस को नष्ट

बिन इसके धरती सहित होगा सबको कष्ट।४।

*

क्लोरोफ्लोरोकार्बन,  है जिन की सन्तान

एसी फ्रिज ये उर्वरक, दें उसको नुकसान।५।

*

कर इनका उपयोग कम, करना अच्छा काम…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2021 at 5:30pm — 4 Comments

निज भाषा को जग कहे (दोहा गजल) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

निज भाषा को जग कहे, जीवन की पहचान

मिले नहीं इसके बिना, जन जन को सम्मान।१।

*

बड़ा सरल पढ़ना जिसे, लिखना भी आसान

पुरखों से हम को मिला, हिन्दी का वरदान।२।

*

हिन्दी के प्रासाद का, वैज्ञानिक आधार

तभी बनी है आज ये, भाषा एक महान।३।

*

जैसे  धागा  प्रेम  का, बाँध  रखे  परिवार

उत्तर से दक्षिण तलक, एका की पहचान।४।

*

नियमों में बँधकर रहे, हिन्दी का हर रूप

भाषाओं में हो गयी, इस से यह विज्ञान।५।

*

गूँजे चाहे विश्व  में, हिन्दी  कितना…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2021 at 11:08pm — 3 Comments

एक दोहा गज़ल - प्रीत - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर'

एक दोहा गज़ल - प्रीत -(प्रथम प्रयास )

छूट गयी जब  से  यहाँ, सहज  प्रेम की रीत

आती तन की वासना, बनकर मन का मीत।१।

*

चलते फिरते तन करे, जब  तन से मनुहार

मन को तब झूठी लगे, मन की सच्ची प्रीत।२।

*

एक समय जब स्नेह में, जाते थे जग हार

आज सुवासित वासना, चाहे केवल जीत।३।

*

भरे सदा ही  प्रीत ने, ताजे तन मन घाव

प्रेम रहित जो हो गये, खोले घाव अतीत।४।

*

मण्डी जब  से  देह को, कर  बैठे हैं लोग

मन से मन के मध्य में, आ पसरी है…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2021 at 11:25am — 6 Comments

चर्चा प्रलय की करती हैं धर्मों की पुस्तकें -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२



नफरत ने जो दिया वो मुहब्बत न दे सकी

हमको सफलता  यार  इनायत न दे सकी।१।

*

चर्चा प्रलय की करती हैं धर्मों की पुस्तकें

पापों को किन्तु अन्त कयामत न दे सकी।२।

*

बूढ़े हुए  हैं  लोग  जो  चाहत  में  स्वर्ग के

कह दो उन्हें कि मौत भी जन्नत न दे सकी।३।

*

सोचा था एक हम ही हैं इसके सताये पर

सुनते खुशी उन्हें  भी  सराफत न दे सकी।४।

*

जो बन के सीढ़ी  खप  गये सत्ता के वास्ते

उनको कफन भी यार सियासत न दे सकी।५।

*

चाहे…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 10, 2021 at 8:39pm — 3 Comments

किये कैद बैठा हवाओं को जो भी - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२



चिढ़ा मौत से पर हँसा जिन्दगी पर

अँधेरों से डर कर  चढ़ा रौशनी पर।१।

*

किये कैद बैठा हवाओं को जो भी

बहस कर रहा है वही ताजगी पर।२।

*

बना सन्त बैठा मगर है फिसलता

कभी मेनका पर कभी उर्वशी पर।२।

*

खड़े  देवता  हैं  सभी  कठघरे में

करो चर्चा थोड़ी कभी बंदगी पर।४।

*

सभी खीझते हैं जले दीप पर तो

उठा क्रोध यारो कहाँ तीरगी पर।५।

*

अजब देवता जो डरे आदमी से

हुआ द्वंद भारी यहाँ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2021 at 9:45pm — 8 Comments

पर्व गुरुओं का मनाते आज हम -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२



पर्व गुरुओं  का  मनाते आज हम

और मन के पास आते आज हम।१।

*

पुष्प भावों के  चढ़ाते आज हम 

शीष श्रद्धा से झुकाते आज हम।२।

*

है मिला हर ज्ञान उन से ही हमें

मान उनको दे जताते आज हम।३।

*

सीख उनकी आचरण में ढालकर

कर्ज किंचित यूँ चुकाते आज हम।४।

*

आब भर कर है सितारों सा किया

हर चमक उन से, बताते आज हम।५।

*

ज्ञान दाता  बढ़  बिधाता  से हैं तो

यश उन्हीं…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 4, 2021 at 1:35pm — 13 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service