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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – November 2018 Archive (4)

अपना तो फर्ज एक है तदबीर कर गुजर - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" ( गजल )

221   2121   1221   212 

तुमको खबर है खूब खतावार कौन है

दो सोच कर सजाएँ गुनहगार कौन है।१।



यारो सिवा वो बात के करता ही कुछ नहीं

हाकिम से इसके बाद भी बे-ज़ार कौन है।२।



हम तो रहे जहीन कि जिस्मों पे मर मिटे

पहली नज़र का बोल तेरा प्यार कौन है।३।



सबसे बड़ा सबूत है मुंसिफ का फैसला

खाके कसम वफा की वफादार कौन है।४।



अपना तो फर्ज एक है तदबीर कर…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2018 at 1:14pm — 6 Comments

हुस्न तेरी आशिकी से कौन रखता दूरियाँ - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" ( गजल )

२१२२/ २१२२/ २१२२/२१२

आप कहते पंछियों के , 'हमने पर कतरे नहीं'

आँधियों के सामने फिर क्यों भला ठहरे नहीं।१।



जो भी देखा उस पे उँगली झट उठा देता है तू

क्यों कहा करता जमाने ख्वाब पर पहरे नहीं।२।



एक जुगनू ही बहुत है वक्त की इस धुंध में

साथ देने  चाँद  सूरज  गर  यहाँ उतरे नहीं।३।



आईना वो बनके  चल  तू  पत्थरों के शहर में

जिन्दगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 16, 2018 at 7:34pm — 8 Comments

जलूँ  कैसे  तुम्हारे बिन - लक्ष्मण धामी"मुसाफिर" ( गजल )

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२

अकेला हार जाऊँगा, जरा तुम साथ आओ तो

अमा की रात लम्बी है कोई दीपक जलाओ तो।१।



ये बाहर का अँधेरा तो  घड़ी भर के लिए है बस

सघन तम अंतसों में जो उसे आओ मिटाओ तो।२।



कहा बाती  मुझे  लेकिन  जलूँ  कैसे  तुम्हारे बिन

भले माटी, स्वयं को अब चलो दीपक बनाओ तो।३।



गरीबी, भूख,  नफरत, वासनाओं  का मिटेगा तम

इन्हें जड़ से मिटाने को सभी नित कर बटाओ तो।४।



महज दस्तूर को दीपक जलाते इस अमा को सब

बने हर जन…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 7, 2018 at 7:36am — 13 Comments

कहीं हद तोड़ कर तट भी अगर मझधार हो जाता - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२



किसी की बद्दुआ  से  गर  कोई  बीमार हो जाता

दुआ सा आखिरी वो भी बड़ा हथियार हो जाता।१।



ललक से धन की थोड़ा भी कहीं दो चार हो जाता

कसम से आईना भी तब महज अखबार हो जाता।२।



घड़ी भर को ही हमदम का अगर दीदार हो जाता

सुकूँ से मरने  का  यारो  तनिक  आधार हो जाता।३।



कहानी प्यार की  अपनी  किनारे  लग कहाँ पाती

कहीं हद तोड़ कर तट भी अगर मझधार हो जाता।४।…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2018 at 6:00am — 20 Comments

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