For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : शुभ सजीला आपको नव साल हो.

ग़ज़ल : शुभ सजीला आपका नव साल हो.

 

गर्व से उन्नत सभी का भाल हो.

शुभ सजीला आपका नव साल हो.

 

कामना मैं शुभ समर्पित कर रहा,

देश का गौरव बढ़े खुश हाल हो.

 

आसमां हो महरबां कुछ खेत पर,

पेट को इफरात रोटी दाल हो.

 

मुल्क के हर छोर में छाये अमन,

हो तरक्की देश मालामाल हो.

 

आदमी बस आदमी बनकर रहे,

जुल्म शोषण का न मायाजाल हो.

 

मन्दिरों औ मस्जिदों को जोड़ दें,

घोष जय धुन एक ही सुरताल हो.

 

भेद फिरकों का न हो इंसान में,

एक ऐसा भी सुनहरा काल हो.    

**हरिवल्लभ शर्मा 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 791

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on December 28, 2014 at 11:44pm

आ. प्रार्थना है की नव वर्ष आपकी रचना में की गई कामनाओं को साकार करने वाला साबित हो |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 11:19pm

कामना मैं शुभ समर्पित कर रहा...  अवश्य, आदरणीय

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 11:02pm

आदरणीय शिज्जू "शकूर" साहब शेर को इस तरह करने इस्लाह चाहता हूँ.."आसमां हो महरबां कुछ खेत पर..." तो वज्न ठीक हो जाता है...सादर ..

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:24pm

आदरणीय rahul dangi साहब आपका स्नेह मिला हार्दिक आभार..सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:21pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी आपकी स्नेहिल टीप के साथ मार्गदर्शन मिला है.."कामनाएं शुभ समर्पित कर रहा ..को ..."कामना मैं शुभ समर्पित कर रहा"..कर देने शायद ठीक होगा, कृपया मार्गदर्शित कर अनुमति की अपेक्षा है.साथ ही..आदरणीय शिज्जू 'शकूर" साहब के निर्देश का भी शंका का समायोजन किया जाना है..सादर 

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:12pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहब आपकी स्नेहिल टीप का हार्दिक आभार...सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:10pm

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का  हार्दिक  आभार...सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:08pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर आभार आपने ग़ज़ल पर अनुमोदन दिया ..स्नेह बनाये रखें...

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:06pm

आदरणीय ram shiromani pathak साहब हार्दिक आभार आपका अनुमोदन मिला.

Comment by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 10:05pm

आदरणीय Er. Ganesh Ji "Bagi" जी आपका हार्दिक आभार ..आदरणीय शिज्जू "शकूर" साहब का मार्गदर्शन मिला है..महरवा मुझे म+हर+वां लगा था..इसलिए 1 22..कर लिया था...जैसा आप का निर्देश है..सादर ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service