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गीत... ओ बरसते मेघ प्यारे-बृजेश कुमार 'ब्रज'

मनोरम छंद SISS SISS पे आधारित गीत

ओ बरसते मेघ प्यारे

चल रही पुरवा सुहानी
प्रीत की कहती कहानी
नीर जो अम्बर से बरसे
आसुओं की है रवानी
बात ये उनको बता रे
ओ बरसते मेघ प्यारे

खुशनुमा कुछ पल चुरा लूँ
संग तेरे मैं भी गा लूँ
बीत जायेगा ये मौसम
आँख में तुझको समा लूँ
रुक जरा सा हे सखा रे
ओ बरसते मेघ प्यारे

राह तेरी तकते तकते
साल बीता है बिलखते
जो बसे थे उर नगर में
रह गये सपने सुलगते
मोर दादुर भी पुकारे
ओ बरसते मेघ प्यारे

पतझरों की आँधियों में
पुष्प की बरबादियों में
चीखता उपवन अकेला
मौन सी आबादियों में
है क़यामत ये सदा रे
ओ बरसते मेघ प्यारे

माह वो मधुमास का था
छीजते विस्वास का था
था किया रोपण जतन से
वृक्ष जो इक आस का था
सूख के काँटा हुआ रे
ओ बरसते मेघ प्यारे रे
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment

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Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 4:15pm
आ. बृजेश जी,
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 1:13pm

वाह आदरणीय बृजेश जी बहुत ही सरस और मधुर गीत की रचना हुई है।  हार्दिक बधाई सर। 

Comment by Mohammed Arif on November 15, 2017 at 10:51am
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, बहुत ही ख़ूबसूरत अहसासों की बगिया से निकला प्यारा मनोरम छंद । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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