For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुली खिचड़ी(लघु कथा)


मामले की सुनवाई के उपरांत सजा तय हो चुकी थी।अब ऐलान होना शेष था।न्याय-प्रक्रिया के चौंकानेवाले तेवर के मद्दे नजर लोगों में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि घोटाले के इस मामले में आखिर क्या सजा होती है।बाकी के हश्र सामने थे,वही ढाक के तीन पात जैसे।और न्याय की देवी आज -कल में फँसी हुई थी,क्योंकि कभी किसी वकील की मर्सिया-सभा हो रही होती, तो कभी कुछ और कारण होता।
-फिर कल?
-‎हाँ, अब कल सजा सुनाई जायेगी।
-‎वो क्यों?
-‎पता नहीं।हाँ मुजरिम ने कुछ कम सजा की गुहार लगायी है।
-‎मतलब कि यहाँ भी आरक्षण?
-‎अरे नहीं रे चंदू,बात कुछ और लगती है',भोला बोला।
-‎हाहाहा!पब्लिक सब जानती है।लगता है खिचड़ी तवे पर पक रही है ........च्च... ओर... सब...स्सा..',चंदू नजर नचाते हुए कहता चला गया।
-‎..और महक हवा में तैर रही है,हेहेहे---',भोला ने चुटकी ली।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on January 10, 2018 at 8:01am

शुक्रिया मुसाफिर जी।

Comment by Manan Kumar singh on January 10, 2018 at 8:01am

बहुत-बहुत आभार आदरणीया राजेश जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 10, 2018 at 7:01am

बेहतरीन कथा, हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 9, 2018 at 9:22pm

हर तरफ मिली भगत सांठ गाँठ कोई सा महकमा नहीं बचा इस बीमारी से .न्याय प्रक्रिया पर बढिया कटाक्ष करती हुई लघु कथा .बहुत बहुत बधाई आद० मनन जी 

Comment by Manan Kumar singh on January 8, 2018 at 7:32pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र  जी।

Comment by Manan Kumar singh on January 8, 2018 at 7:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीयआरिफ जी।

Comment by Manan Kumar singh on January 8, 2018 at 7:30pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर जी। 'मामला' शब्द तो अब पुराना भी हो चुका है,सादर।

Comment by Manan Kumar singh on January 8, 2018 at 7:28pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मोहित जी।

Comment by Manan Kumar singh on January 8, 2018 at 7:28pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय उस्मानीजी।

Comment by नाथ सोनांचली on January 8, 2018 at 1:28pm

आद0 मनन कुमार जी सादर अभिवादन। बेहतरीन लघुकथ समसामयिक बातों के संदर्भ में,बहुत बहुत बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service