Comments - ग़ज़ल मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-29T06:00:27Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1000934&xn_auth=noआ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई…tag:openbooksonline.com,2020-02-17:5170231:Comment:10012092020-02-17T05:43:22.564Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।</p>
<p><span>'बेटी जब कालेज में पढ़ने' कर लीजिएगा ...सादर</span></p>
<p>आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।</p>
<p><span>'बेटी जब कालेज में पढ़ने' कर लीजिएगा ...सादर</span></p> आदरणीय रवि भसीन शाहिद जी बहुत…tag:openbooksonline.com,2020-02-14:5170231:Comment:10007912020-02-14T11:29:58.521Zमनोज अहसासhttp://openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय रवि भसीन शाहिद जी बहुत-बहुत शुक्रिया मेरे दिमाग में भी यह बात थी और कई लोगों ने भी सुझाव दिया आपका सुझाव उत्तम है मुझ को स्वीकार करता हूं</p>
<p>आदरणीय रवि भसीन शाहिद जी बहुत-बहुत शुक्रिया मेरे दिमाग में भी यह बात थी और कई लोगों ने भी सुझाव दिया आपका सुझाव उत्तम है मुझ को स्वीकार करता हूं</p> आदरणीय मनोज भाई, आपको इस ख़ूबस…tag:openbooksonline.com,2020-02-14:5170231:Comment:10007852020-02-14T10:52:53.936Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय मनोज भाई, आपको इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई। ख़ास तौर से मुझे आपका ये शेर बहुत अच्छा लगा:<br/>पापा की आंखों ने उसको जाने क्या क्या समझाया<br/>बेटी जब कालेज की खातिर घर से पहली बार गई<br/>एक सुझाव देना चाहूँगा कि "कालेज की ख़ातिर" की जगह "कालेज पढ़ने को" लगा कर देखियेगा।</p>
<p>आदरणीय मनोज भाई, आपको इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई। ख़ास तौर से मुझे आपका ये शेर बहुत अच्छा लगा:<br/>पापा की आंखों ने उसको जाने क्या क्या समझाया<br/>बेटी जब कालेज की खातिर घर से पहली बार गई<br/>एक सुझाव देना चाहूँगा कि "कालेज की ख़ातिर" की जगह "कालेज पढ़ने को" लगा कर देखियेगा।</p> बेहद ध्यान से गज़ल पढ़कर आपने…tag:openbooksonline.com,2020-02-12:5170231:Comment:10007782020-02-12T16:27:48.420Zमनोज अहसासhttp://openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>बेहद ध्यान से गज़ल पढ़कर आपने इस्लाह की है बेहदशुक्रगुज़ार हूँ</p>
<p>इन कमियों को दूर करने का प्रयास करूंगा</p>
<p>हार्दिक आभार</p>
<p>बेहद ध्यान से गज़ल पढ़कर आपने इस्लाह की है बेहदशुक्रगुज़ार हूँ</p>
<p>इन कमियों को दूर करने का प्रयास करूंगा</p>
<p>हार्दिक आभार</p> जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2020-02-12:5170231:Comment:10006922020-02-12T09:53:16.182ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस घर की सारी बातें अब दीवारों के पार गई'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में रदीफ़ बदल कर "गईं" हो रही है,ग़ौर करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आज मगर तकदीर के आगे सब तदबीरें हार गई'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में रदीफ़ बदल कर "गईं" हो रही है,ग़ौर करें ।</span></p>
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस घर की सारी बातें अब दीवारों के पार गई'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में रदीफ़ बदल कर "गईं" हो रही है,ग़ौर करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आज मगर तकदीर के आगे सब तदबीरें हार गई'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में रदीफ़ बदल कर "गईं" हो रही है,ग़ौर करें ।</span></p>