Comments - हिन्दी सी भला मिठास कहाँ? - Open Books Online2024-03-29T12:08:06Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1002496&xn_auth=noमाफ करें , आपकी इस टिप्पणी को…tag:openbooksonline.com,2020-04-23:5170231:Comment:10048782020-04-23T18:33:17.735ZUsha Awasthihttp://openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>माफ करें , आपकी इस टिप्पणी को मैं देख नहीं पाई थी ।</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आपको</p>
<p>माफ करें , आपकी इस टिप्पणी को मैं देख नहीं पाई थी ।</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आपको</p> जी,आपसे सहमत हूँ,मैं भी इस सम…tag:openbooksonline.com,2020-03-28:5170231:Comment:10028042020-03-28T17:22:43.336ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जी,आपसे सहमत हूँ,मैं भी इस समस्या से बहुत दुखी हूँ ।</p>
<p>जी,आपसे सहमत हूँ,मैं भी इस समस्या से बहुत दुखी हूँ ।</p> आदाब,मेरा इशारा देश की किसी भ…tag:openbooksonline.com,2020-03-28:5170231:Comment:10028012020-03-28T17:13:50.395ZUsha Awasthihttp://openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>आदाब,मेरा इशारा देश की किसी भाषा की ओर नहीं है ।अग्रेंजी भाषा का प्रसार जिस तरह हमारे देश में बढ़ा है ,देश में बोली जाने वाली सभी भाषाओं पर खतरा मंडरा रहा है।निश्चय ही इसका प्रमुख कारण रोजगार है।अन्य कारण भी हैं।हमारे बहुत से बच्चे अपनी मातृ भाषा ही भूलते जा रहे हैं।जो बात अस्पष्ट रह गई थी,उसओर ध्यान दिलाने हेतु धन्यवाद।</p>
<p>आदाब,मेरा इशारा देश की किसी भाषा की ओर नहीं है ।अग्रेंजी भाषा का प्रसार जिस तरह हमारे देश में बढ़ा है ,देश में बोली जाने वाली सभी भाषाओं पर खतरा मंडरा रहा है।निश्चय ही इसका प्रमुख कारण रोजगार है।अन्य कारण भी हैं।हमारे बहुत से बच्चे अपनी मातृ भाषा ही भूलते जा रहे हैं।जो बात अस्पष्ट रह गई थी,उसओर ध्यान दिलाने हेतु धन्यवाद।</p> मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,हि…tag:openbooksonline.com,2020-03-28:5170231:Comment:10027872020-03-28T14:31:08.660ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,हिन्दी भाषा के प्रति आपकी कविता अच्छी है,मुझे तो हमारे देश में बोली जाने वाली हर भाषा बहुत मीठी लगती है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,हिन्दी भाषा के प्रति आपकी कविता अच्छी है,मुझे तो हमारे देश में बोली जाने वाली हर भाषा बहुत मीठी लगती है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> किसी भी भाषा को सीखना बुरा नह…tag:openbooksonline.com,2020-03-28:5170231:Comment:10026992020-03-28T08:52:52.392ZUsha Awasthihttp://openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>किसी भी भाषा को सीखना बुरा नहीं है।किन्तु अपने ही देशवासियों का हिन्दी को छोड़ अन्य भाषा के प्रति अत्यधिक लगाव देख कर कष्ट होता है। निश्चित ही इसके कुछ कारण अवश्य हैं , जिन्हे दूर किया जाना चाहिए।</p>
<ul>
<li style="text-align: center;">किन्तु इतनी खूबसूरती से भावो को व्यक्त करने वाली अपनी भाषा की अवहेलना असहनीय है। हार्दिक आभार आपका</li>
</ul>
<p style="text-align: left;"></p>
<p>किसी भी भाषा को सीखना बुरा नहीं है।किन्तु अपने ही देशवासियों का हिन्दी को छोड़ अन्य भाषा के प्रति अत्यधिक लगाव देख कर कष्ट होता है। निश्चित ही इसके कुछ कारण अवश्य हैं , जिन्हे दूर किया जाना चाहिए।</p>
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<li style="text-align: center;">किन्तु इतनी खूबसूरती से भावो को व्यक्त करने वाली अपनी भाषा की अवहेलना असहनीय है। हार्दिक आभार आपका</li>
</ul>
<p style="text-align: left;"></p> आदरणीय उषा मैडम, अदभुत मीठें…tag:openbooksonline.com,2020-03-28:5170231:Comment:10027662020-03-28T07:59:05.136ZDr. Geeta Chaudharyhttp://openbooksonline.com/profile/DrgeetaChaudhary
<p>आदरणीय उषा मैडम, अदभुत मीठें शब्दों में हिंदी की मिठास को व्य करती कविता, बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई आपको।</p>
<p>आदरणीय उषा मैडम, अदभुत मीठें शब्दों में हिंदी की मिठास को व्य करती कविता, बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई आपको।</p> हार्दिक आभार आपका । वाक्य के…tag:openbooksonline.com,2020-03-27:5170231:Comment:10029152020-03-27T12:08:54.875ZUsha Awasthihttp://openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>हार्दिक आभार आपका । वाक्य के अन्तिम शब्दों 'भाषा शैली . . ' समझ नहीं पा रही हूँ। धन्यवाद।</p>
<p>हार्दिक आभार आपका । वाक्य के अन्तिम शब्दों 'भाषा शैली . . ' समझ नहीं पा रही हूँ। धन्यवाद।</p> हिन्दी जैसी मिठास कहाँ जहाँ म…tag:openbooksonline.com,2020-03-27:5170231:Comment:10025982020-03-27T08:57:06.527Zदिनेश कुमार शुक्लhttp://openbooksonline.com/profile/2vlb1cz12sbr9
हिन्दी जैसी मिठास कहाँ जहाँ मिठास होती है वही प्रकृति होती है जहाँ ये दोनो हो वहां रस, छन्द एवं अलंकरण स्वयं भाषा शैली प्रस्तुत हो है
हिन्दी जैसी मिठास कहाँ जहाँ मिठास होती है वही प्रकृति होती है जहाँ ये दोनो हो वहां रस, छन्द एवं अलंकरण स्वयं भाषा शैली प्रस्तुत हो है इस खूबसूरत टिप्पणी के लिए धन्…tag:openbooksonline.com,2020-03-27:5170231:Comment:10025942020-03-27T08:25:00.179ZUsha Awasthihttp://openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>इस खूबसूरत टिप्पणी के लिए धन्यवाद</p>
<p>इस खूबसूरत टिप्पणी के लिए धन्यवाद</p> बहोत खूब उषा जी.. हिंदी सी मि…tag:openbooksonline.com,2020-03-27:5170231:Comment:10027362020-03-27T07:53:34.046ZKhan Hasnain Aaqibhttp://openbooksonline.com/profile/KhanHasnainAaqib
बहोत खूब उषा जी.. हिंदी सी मिठास कहाँ..<br />
पूरी कविता एहसास को अधोरेखित करती है
बहोत खूब उषा जी.. हिंदी सी मिठास कहाँ..<br />
पूरी कविता एहसास को अधोरेखित करती है