Comments - ग़ज़ल - इस तरफ इंसान कड़की में - Open Books Online2024-03-29T02:40:11Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1008037&xn_auth=noआदरणीय डा़.छोटेलाल सिंह जी ग़ज़…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10084372020-05-25T08:28:54.560ZRam Awadh VIshwakarmahttp://openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>आदरणीय डा़.छोटेलाल सिंह जी ग़ज़ल सराहना एवं उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय डा़.छोटेलाल सिंह जी ग़ज़ल सराहना एवं उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक धन्यवाद</p> आदरणीय समर कबीर साहब बहुत बहु…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10084362020-05-25T08:26:36.874ZRam Awadh VIshwakarmahttp://openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>आदरणीय समर कबीर साहब बहुत बहुत धन्यवाद ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिये।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब बहुत बहुत धन्यवाद ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिये।</p> गुम हुई मुस्कान कड़की में,आदरण…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083582020-05-25T03:27:11.396Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>गुम हुई मुस्कान कड़की में,आदरणीय राम अवध जी यथार्थ को जमी पर लाकर रख दिया आपने ,सच्चाई को बयां करती इस शानदार गजल के लिए बहुत बहुत बधाई</p>
<p>गुम हुई मुस्कान कड़की में,आदरणीय राम अवध जी यथार्थ को जमी पर लाकर रख दिया आपने ,सच्चाई को बयां करती इस शानदार गजल के लिए बहुत बहुत बधाई</p> जनाब राम अवध जी आदाब, अच्छी ग़…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10081822020-05-25T00:57:35.571ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राम अवध जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब राम अवध जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ…tag:openbooksonline.com,2020-05-23:5170231:Comment:10081232020-05-23T11:03:52.960ZRam Awadh VIshwakarmahttp://openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिए सादर आभार।</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिए सादर आभार।</p> आ. भाई राम अवध जी, उम्दा गजल…tag:openbooksonline.com,2020-05-23:5170231:Comment:10079822020-05-23T10:54:49.439Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राम अवध जी, उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई राम अवध जी, उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>