Comments - उस बेवफ़ा से (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T08:30:28Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1008175&xn_auth=noआदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम, सादर…tag:openbooksonline.com,2020-06-03:5170231:Comment:10093122020-06-03T15:26:25.022Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम, सादर प्रणाम। आपकी हौसला-अफ़ज़ाई और इस्लाह के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ सर। जवाब देने में जो ताख़ीर हुई उसके लिए माज़रतख़्वाह हूँ।</p>
<p></p>
<p>//पहले मतले के दोनों मिसरों में रब्त पैदा नहीं हो सका, देखियेगा//<br></br>जी दोबारा ग़ौर करता हूँ जनाब।</p>
<p></p>
<p>//मैं इस मिसरे को यूँ कहता:-<br></br>'हम चलते चलते दूर निकल आये इस क़दर'//<br></br>जी बेहतर है।</p>
<p></p>
<p>//'ख़ुद से भी कोई रोज़ मुलाक़ात कीजिये'<br></br>इस मिसरे में 'कोई' की जगह "आप" शब्द उचित होगा,ग़ौर…</p>
<p>आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम, सादर प्रणाम। आपकी हौसला-अफ़ज़ाई और इस्लाह के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ सर। जवाब देने में जो ताख़ीर हुई उसके लिए माज़रतख़्वाह हूँ।</p>
<p></p>
<p>//पहले मतले के दोनों मिसरों में रब्त पैदा नहीं हो सका, देखियेगा//<br/>जी दोबारा ग़ौर करता हूँ जनाब।</p>
<p></p>
<p>//मैं इस मिसरे को यूँ कहता:-<br/>'हम चलते चलते दूर निकल आये इस क़दर'//<br/>जी बेहतर है।</p>
<p></p>
<p>//'ख़ुद से भी कोई रोज़ मुलाक़ात कीजिये'<br/>इस मिसरे में 'कोई' की जगह "आप" शब्द उचित होगा,ग़ौर करें//<br/>उस्ताद जी, यहाँ 'कोई' को 'किसी' के अर्थ से इस्तेमाल किया था। अगर सहीह नहीं है तो दोबारा ग़ौर करता हूँ।</p>
<p></p>
<p>//आहट सुनाई देती है अब इंक़लाब की<br/>इस शैर का ऊला मिसरा और कसावट चाहता है, ग़ौर करें//<br/>जी शे'र के ऊला को यूँ कहा जाए तो सहीह रहेगा?<br/>221 / 2121 / 1221 / 212<br/>आहट मैं सुन रहा हूँ नए इंक़लाब की<br/>ज़ालिम के आगे सर को झुकाना बहुत हुआ [7]</p> आदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान "अमीर"…tag:openbooksonline.com,2020-06-03:5170231:Comment:10093112020-06-03T15:09:26.295Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान "अमीर" साहिब, आपकी हौसला-अफ़ज़ाई के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ। जवाब देने में जो ताख़ीर हुई उसके लिए माज़रतख़्वाह हूँ।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान "अमीर" साहिब, आपकी हौसला-अफ़ज़ाई के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ। जवाब देने में जो ताख़ीर हुई उसके लिए माज़रतख़्वाह हूँ।</p> जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083872020-05-25T14:39:39.102ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>पहले मतले के दोनों मिसरों में रब्त पैदा नहीं हो सका, देखियेगा ।</p>
<p></p>
<p><span>'चलते ही चलते दूर निकल आये इस क़दर'</span></p>
<p><span>मैं इस मिसरे को यूँ कहता:-</span></p>
<p><span>'हम चलते चलते दूर निकल आये इस क़दर'</span></p>
<p></p>
<p><span>'ख़ुद से भी कोई रोज़ मुलाक़ात कीजिये'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'कोई' की जगह "आप" शब्द उचित होगा,ग़ौर करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आहट सुनाई…</span></p>
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>पहले मतले के दोनों मिसरों में रब्त पैदा नहीं हो सका, देखियेगा ।</p>
<p></p>
<p><span>'चलते ही चलते दूर निकल आये इस क़दर'</span></p>
<p><span>मैं इस मिसरे को यूँ कहता:-</span></p>
<p><span>'हम चलते चलते दूर निकल आये इस क़दर'</span></p>
<p></p>
<p><span>'ख़ुद से भी कोई रोज़ मुलाक़ात कीजिये'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'कोई' की जगह "आप" शब्द उचित होगा,ग़ौर करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आहट सुनाई देती है अब इंक़लाब की<br/>ज़ालिम के आगे सर को झुकाना बहुत हुआ'</span></p>
<p><span>इस शैर का ऊला मिसरा और कसावट चाहता है, ग़ौर करें ।</span></p>
<p><span>बाक़ी शुभ शुभ ।</span></p> जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब,…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10084502020-05-25T14:02:21.152Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब, शानदार ग़ज़ल कहने के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब, शानदार ग़ज़ल कहने के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p> आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, आप…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083002020-05-25T09:44:48.534Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, आपकी ज़र्रा-नवाज़ी के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ!</p>
<p>आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, आपकी ज़र्रा-नवाज़ी के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ!</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। प्र…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10082012020-05-25T09:41:03.115Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार। जी भाई, हालात कुछ ऐसे बन गए थे कि शाइरी पे ध्यान लग नहीं रहा था। आशा है कि अब नियमित रूप से उपस्थित रहूँगा। आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:!</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार। जी भाई, हालात कुछ ऐसे बन गए थे कि शाइरी पे ध्यान लग नहीं रहा था। आशा है कि अब नियमित रूप से उपस्थित रहूँगा। आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:!</p> यूँ जिंदगी से आँख चुराना बहुत…tag:openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10081862020-05-25T03:18:45.443Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>यूँ जिंदगी से आँख चुराना बहुत हुआ,कमाल की गज़ल आदरणीय रवि भसीन साहब मंत्रमुग्ध हो गया पढ़कर ,दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए</p>
<p>यूँ जिंदगी से आँख चुराना बहुत हुआ,कमाल की गज़ल आदरणीय रवि भसीन साहब मंत्रमुग्ध हो गया पढ़कर ,दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए</p> आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooksonline.com,2020-05-24:5170231:Comment:10083512020-05-24T14:04:42.632Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>मंच पर काफी दिनों बाद दिखाई दिये । कहीं ब्यस्त थे क्या ?</p>
<p>आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>मंच पर काफी दिनों बाद दिखाई दिये । कहीं ब्यस्त थे क्या ?</p>