Comments - ग़ज़ल (किसी की याद में...) - Open Books Online2024-03-28T15:21:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1015460&xn_auth=noजनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब…tag:openbooksonline.com,2021-04-11:5170231:Comment:10584622021-04-11T12:54:55.978Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।</p>
<p>जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।</p> बहुत खूब ग़ज़ल कही आदरणीय हार्द…tag:openbooksonline.com,2021-04-08:5170231:Comment:10578832021-04-08T11:35:47.136Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत खूब ग़ज़ल कही आदरणीय हार्दिक बधाई...</p>
<p>बहुत खूब ग़ज़ल कही आदरणीय हार्दिक बधाई...</p> आदाब, अमीर साहब, आप ठीक कह र…tag:openbooksonline.com,2021-04-06:5170231:Comment:10578662021-04-06T05:23:57.540ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p> आदाब, अमीर साहब, आप ठीक कह रहे हैं, अलिफ वस्ल दोहरा है! आभार! </p>
<p> आदाब, अमीर साहब, आप ठीक कह रहे हैं, अलिफ वस्ल दोहरा है! आभार! </p> //कृपया, मकते की बह्र "'अमीर'…tag:openbooksonline.com,2021-04-06:5170231:Comment:10580752021-04-06T03:59:33.712Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>//कृपया, मकते की बह्र "'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं," देखें !//</p>
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया।</p>
<p>1 2 1 2 - 1 1 2 2 - 1 2 1 2 - 1 1 2 </p>
<p>अमी र बिश् - क़ में ख़ुद को - जला के दे- ख ते हैं</p>
<p>(अलिफ़ वस्ल) </p>
<p>'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं'। दो शब्द कहें आदरणीय चेतन प्रकाश जी। सादर। </p>
<p>//कृपया, मकते की बह्र "'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं," देखें !//</p>
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया।</p>
<p>1 2 1 2 - 1 1 2 2 - 1 2 1 2 - 1 1 2 </p>
<p>अमी र बिश् - क़ में ख़ुद को - जला के दे- ख ते हैं</p>
<p>(अलिफ़ वस्ल) </p>
<p>'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं'। दो शब्द कहें आदरणीय चेतन प्रकाश जी। सादर। </p> आदाब, कृपया, मकते की बह्र "'अ…tag:openbooksonline.com,2021-04-06:5170231:Comment:10579632021-04-06T01:01:00.902ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, कृपया, मकते की बह्र "'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं," देखें !</p>
<p>आदाब, कृपया, मकते की बह्र "'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं," देखें !</p> जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़…tag:openbooksonline.com,2021-04-04:5170231:Comment:10580512021-04-04T11:17:56.399Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p>
<p>जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p> सादर प्रणाम आदरणीय अमीर जी
य…tag:openbooksonline.com,2021-04-03:5170231:Comment:10579532021-04-03T18:46:32.006ZAazi Tamaamhttp://openbooksonline.com/profile/AaziTamaa
<p>सादर प्रणाम आदरणीय अमीर जी</p>
<p></p>
<p>ये ज़िंदगी फ़ना कर दी..... बेहद पसंद आया </p>
<p>सुंदर ग़ज़ल से रू ब रू कराने के लिये आभार</p>
<p>सादर प्रणाम आदरणीय अमीर जी</p>
<p></p>
<p>ये ज़िंदगी फ़ना कर दी..... बेहद पसंद आया </p>
<p>सुंदर ग़ज़ल से रू ब रू कराने के लिये आभार</p> आदरणीय Harash Mahajan साहिब आ…tag:openbooksonline.com,2020-08-28:5170231:Comment:10160732020-08-28T14:37:31.656Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय Harash Mahajan साहिब आदाब, जनाब ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p>
<p>आदरणीय Harash Mahajan साहिब आदाब, जनाब ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p> जनाब रूपम कुमार जी आदाब, ग़ज़…tag:openbooksonline.com,2020-08-28:5170231:Comment:10159702020-08-28T14:34:14.514Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब रूपम कुमार जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p>
<p>जनाब रूपम कुमार जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p> वाह आदरणीय बहुत ही सुंदर शेरो…tag:openbooksonline.com,2020-08-27:5170231:Comment:10157262020-08-27T15:08:12.264ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>वाह आदरणीय बहुत ही सुंदर शेरों से पेश की गई ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद।</p>
<p>वाह आदरणीय बहुत ही सुंदर शेरों से पेश की गई ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद।</p>