Comments - नेता कम - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल) - Open Books Online2024-03-29T11:04:01Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1026022&xn_auth=noआ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2020-10-17:5170231:Comment:10327102020-10-17T03:57:22.219Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:openbooksonline.com,2020-10-16:5170231:Comment:10319712020-10-16T06:42:54.308Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> जी सादर नमस्कार </span></p>
<p><span>अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें </span></p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> जी सादर नमस्कार </span></p>
<p><span>अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें </span></p> आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2020-10-07:5170231:Comment:10263302020-10-07T05:30:46.300Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, अनुमोदन व मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार । </p>
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<p>मतले में सुधार का प्रयास करता हूँ । यदि आपके विचार में कोई शोधन हो तो सुझाईएगा । सादर...</p>
<p>आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, अनुमोदन व मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार । </p>
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<p>मतले में सुधार का प्रयास करता हूँ । यदि आपके विचार में कोई शोधन हो तो सुझाईएगा । सादर...</p> आ. लक्ष्मण जी आपकी रचना के भा…tag:openbooksonline.com,2020-10-07:5170231:Comment:10262932020-10-07T03:30:46.029ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. लक्ष्मण जी <br/>आपकी रचना के भाव उत्कृष्ट हैं लेकिन ग़ज़ल के लिहाज़ से काफ़िया दुरुस्त नहीं है मतले में.<br/>रचने और बनने दोनों योजित शब्द हाँ यानी रच और बन के एक्सटेंशन्स. चूँकि रच और बन दोनों में काफ़िया नहीं है और दोनों सार्थक ही है (जिनका अर्थ है) अत यह काफ़िया दोषपूर्ण है.<br/>सादर </p>
<p>आ. लक्ष्मण जी <br/>आपकी रचना के भाव उत्कृष्ट हैं लेकिन ग़ज़ल के लिहाज़ से काफ़िया दुरुस्त नहीं है मतले में.<br/>रचने और बनने दोनों योजित शब्द हाँ यानी रच और बन के एक्सटेंशन्स. चूँकि रच और बन दोनों में काफ़िया नहीं है और दोनों सार्थक ही है (जिनका अर्थ है) अत यह काफ़िया दोषपूर्ण है.<br/>सादर </p>