Comments - गार्गी की बार्बी (लघुकथा)/शेख़ शहज़ाद उस्मानी - Open Books Online2024-03-29T09:06:16Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1036878&xn_auth=noबहुत कुछ एक साथ कह देने के लो…tag:openbooksonline.com,2020-11-21:5170231:Comment:10373142020-11-21T04:05:14.965Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>बहुत कुछ एक साथ कह देने के लोभ में रचना बिखर गई है आदरणीय उस्मानी जी। पात्र और घटनाएँ उलझ गई हैं। अंत में समझ नहीं आया कि रचना कहना क्या चाह रही है। जितना मैं समझी शायद बालिका सक्षक्तिकरण संदेश है।</p>
<p>बहुत कुछ एक साथ कह देने के लोभ में रचना बिखर गई है आदरणीय उस्मानी जी। पात्र और घटनाएँ उलझ गई हैं। अंत में समझ नहीं आया कि रचना कहना क्या चाह रही है। जितना मैं समझी शायद बालिका सक्षक्तिकरण संदेश है।</p> आ. भाई शेखशहजाद जी, अच्छी कथा…tag:openbooksonline.com,2020-11-21:5170231:Comment:10372632020-11-21T01:28:59.312Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शेखशहजाद जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई शेखशहजाद जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई।</p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:openbooksonline.com,2020-11-10:5170231:Comment:10369382020-11-10T14:51:30.847ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, अच्छी लघुकथा है,लेकिन तवील बहुत है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, अच्छी लघुकथा है,लेकिन तवील बहुत है, बधाई स्वीकार करें ।</p> आदाब,जनाब शहजाद उस्मानी !आपकी…tag:openbooksonline.com,2020-11-10:5170231:Comment:10368822020-11-10T12:53:10.540ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब,जनाब शहजाद उस्मानी !आपकी लघु कथा सम्पादन की आकाँक्षी है और बिखराव भी बहुत है। कथावस्तु का विकास यदि कार्य-कारण सम्बंध पर आधारित न हो तो सुखद परिणाम नहीं मिलता। साभार !</p>
<p>आदाब,जनाब शहजाद उस्मानी !आपकी लघु कथा सम्पादन की आकाँक्षी है और बिखराव भी बहुत है। कथावस्तु का विकास यदि कार्य-कारण सम्बंध पर आधारित न हो तो सुखद परिणाम नहीं मिलता। साभार !</p>