Comments - दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई----ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T19:14:02Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1042333&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण सर, सादर अभिवा…tag:openbooksonline.com,2021-01-16:5170231:Comment:10425502021-01-16T17:24:52.992ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर, सादर अभिवादन सहित आभार</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर, सादर अभिवादन सहित आभार</p> आ. भाई पंकज जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooksonline.com,2021-01-16:5170231:Comment:10423732021-01-16T07:28:13.259Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई पंकज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । </p>
<p>आ. भाई पंकज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । </p> क्षमा निवेदन के साथ.......बहु…tag:openbooksonline.com,2021-01-15:5170231:Comment:10426142021-01-15T18:32:58.954ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
<p>क्षमा निवेदन के साथ.......बहुत दिनों बाद ओबीओ पर हूँ, नए लोगों को ध्यान में रखलन के कारण गलती हुई।</p>
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<p>क्षमा करें</p>
<p>क्षमा निवेदन के साथ.......बहुत दिनों बाद ओबीओ पर हूँ, नए लोगों को ध्यान में रखलन के कारण गलती हुई।</p>
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<p>क्षमा करें</p> //आदरणीय समर कबीर बाउजी//
आ…tag:openbooksonline.com,2021-01-15:5170231:Comment:10426122021-01-15T15:24:49.528ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
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<p><span>//आदरणीय समर कबीर बाउजी//</span></p>
<p><span>आप मेरा नाम नहीं लेना चाहते थे,तभी तो 'बाउजी' कहना शुरू'अ किया था, आज नाम के साथ बाउजी देख कर आश्चर्य चकित हूँ ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई'</span></p>
<p><span>'ज़ह्न" शब्द की मात्रा 21होती है, रख सकते हैं ।</span></p>
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<p><span>//आदरणीय समर कबीर बाउजी//</span></p>
<p><span>आप मेरा नाम नहीं लेना चाहते थे,तभी तो 'बाउजी' कहना शुरू'अ किया था, आज नाम के साथ बाउजी देख कर आश्चर्य चकित हूँ ।</span></p>
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<p><span>'फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई'</span></p>
<p><span>'ज़ह्न" शब्द की मात्रा 21होती है, रख सकते हैं ।</span></p> आदरणीय समर कबीर बाउजी...प्रणा…tag:openbooksonline.com,2021-01-15:5170231:Comment:10424522021-01-15T15:13:36.778ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
<p>आदरणीय समर कबीर बाउजी...प्रणाम</p>
<p></p>
<p>मत्ले के उला मिसरे में मैं ज़हन शब्द याद शब्द की जगह रखना चाहता हूँ, लेकिन मात्रा को लेकर सन्देह में हूँ सो याद शब्द 2 बार इस्तेमाल हुआ है।</p>
<p></p>
<p>आखिरी शेर के लिए आपका सुझाव बहुत उचित है।</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर बाउजी...प्रणाम</p>
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<p>मत्ले के उला मिसरे में मैं ज़हन शब्द याद शब्द की जगह रखना चाहता हूँ, लेकिन मात्रा को लेकर सन्देह में हूँ सो याद शब्द 2 बार इस्तेमाल हुआ है।</p>
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<p>आखिरी शेर के लिए आपका सुझाव बहुत उचित है।</p>
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<p>सादर</p> अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,…tag:openbooksonline.com,2021-01-15:5170231:Comment:10425212021-01-15T09:27:55.502ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई</p>
<p>त्यों ही फिर दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई'</p>
<p>मतले के दोनों मिसरों में 'याद' शब्द खटकता है, इसे दुरुस्त करने का प्रयास करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'शायरी गीत सभी कुछ जो लिखा है मैंने'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहना उचित होगा:-</span></p>
<p><span>'शाइरी गीत ग़ज़ल जो भी लिखा है मैंने'</span></p>
<p>अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई</p>
<p>त्यों ही फिर दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई'</p>
<p>मतले के दोनों मिसरों में 'याद' शब्द खटकता है, इसे दुरुस्त करने का प्रयास करें ।</p>
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<p><span>'शायरी गीत सभी कुछ जो लिखा है मैंने'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहना उचित होगा:-</span></p>
<p><span>'शाइरी गीत ग़ज़ल जो भी लिखा है मैंने'</span></p>