Comments - यार कब तक डरा करे कोई.........( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-29T06:39:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1050356&xn_auth=noजनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब…tag:openbooksonline.com,2021-02-22:5170231:Comment:10548712021-02-22T13:39:22.835Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>जनाब <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz" class="fn url">अमीरुद्दीन 'अमीर'</a><span> </span>साहिब <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत हौसला अफ़जाई के लिए ह्रदय से आभार।<span>सहा क़वाफ़ी वाला शैर हटा दिया है मुहतरम।</span></p>
<p>जनाब <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz" class="fn url">अमीरुद्दीन 'अमीर'</a><span> </span>साहिब <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत हौसला अफ़जाई के लिए ह्रदय से आभार।<span>सहा क़वाफ़ी वाला शैर हटा दिया है मुहतरम।</span></p> भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी …tag:openbooksonline.com,2021-02-22:5170231:Comment:10549292021-02-22T13:38:02.869Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a>जी <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत हौसला अफ़जाई के लिए ह्रदय से आभार।</p>
<p>भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a>जी <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत हौसला अफ़जाई के लिए ह्रदय से आभार।</p> उस्ताद -ए - मुहतरम Samar kabe…tag:openbooksonline.com,2021-02-22:5170231:Comment:10548702021-02-22T13:35:44.876Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>उस्ताद -ए - मुहतरम <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहिब <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत ,क़ीमती इस्लाह और हौसला अफ़जाई के मश्कूर -ओ - ममनून हूँ। सहा क़वाफ़ी वाला शैर हटा दिया है मुहतरम।</p>
<p>उस्ताद -ए - मुहतरम <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहिब <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत ,क़ीमती इस्लाह और हौसला अफ़जाई के मश्कूर -ओ - ममनून हूँ। सहा क़वाफ़ी वाला शैर हटा दिया है मुहतरम।</p> आ. भाई सलिक गणवीर जी, सादर अभ…tag:openbooksonline.com,2021-02-22:5170231:Comment:10546922021-02-22T05:27:40.058Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सलिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । </p>
<p>आ. भाई समर जी के सुझावों से गजल और निखर सकती है , देखिएगा।</p>
<p>आ. भाई सलिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । </p>
<p>आ. भाई समर जी के सुझावों से गजल और निखर सकती है , देखिएगा।</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ाल…tag:openbooksonline.com,2021-02-21:5170231:Comment:10543052021-02-21T09:03:08.613ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ालिब की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'इससे कब तक डरा करे कोई'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहें:-</span></p>
<p><span>'यार कब तक डरा करे कोई'</span></p>
<p></p>
<p>'तेरा एहसान है बहुत मुझ पर<br></br>बोझ कैसे सहा करे कोई'</p>
<p>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,</p>
<p>दूसरी बात ये कि बोझ उठाया जाता है,इसके लिये 'सहा' शब्द उचित नहीं ,ग़ौर करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मयकदा पास में नहीं…</span></p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ालिब की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'इससे कब तक डरा करे कोई'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहें:-</span></p>
<p><span>'यार कब तक डरा करे कोई'</span></p>
<p></p>
<p>'तेरा एहसान है बहुत मुझ पर<br/>बोझ कैसे सहा करे कोई'</p>
<p>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,</p>
<p>दूसरी बात ये कि बोझ उठाया जाता है,इसके लिये 'सहा' शब्द उचित नहीं ,ग़ौर करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मयकदा पास में नहीं लेकिन'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'पास' शब्द के साथ 'में' का प्रयोग उचित नहीं होता,यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'मयकदे से बताओ ऐ यारो'</span></p>
<p></p>
<p><span>'वक्त के साथ भर ही जाता है<br/>ज़ख्म फिर से हरा करे कोई'</span></p>
<p><span>इस शैर को यूँ कहें:-</span></p>
<p><span>'वक़्त के साथ भर ही जाएँगे</span></p>
<p><span>ज़ख़्म जितने दिया करे कोई' </span></p>
<p><span>'यार "सालिक" कहा करो कुछ भी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहें:-</span></p>
<p><span>'यार 'सालिक' की अब ये ख़्वाहिश है'</span></p>
<p></p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10538742021-02-20T12:33:30.102Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। रदीफ़ 'करे कोई' के साथ इन्साफ़ नहीं हो रहा है। टाईटल में त्रुटिवश सालिक गणवीर की जगह सालिम गणवीर टंकित हो गया है, देखियेेगा। </p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। रदीफ़ 'करे कोई' के साथ इन्साफ़ नहीं हो रहा है। टाईटल में त्रुटिवश सालिक गणवीर की जगह सालिम गणवीर टंकित हो गया है, देखियेेगा। </p> भाई बृजेश कुमार 'ब्रज' जी स…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10537042021-02-20T07:04:58.733Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a><span> </span> जी <br/>सादर अभिवादन <br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रिया अदा करता हूँ</p>
<p>भाई <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a><span> </span> जी <br/>सादर अभिवादन <br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रिया अदा करता हूँ</p> बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय....बधाईtag:openbooksonline.com,2021-02-18:5170231:Comment:10526022021-02-18T16:29:42.990Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय....बधाई</p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय....बधाई</p>