Comments - ग़ज़ल-और तुम हो - Open Books Online2024-03-28T23:08:06Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1052838&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर…tag:openbooksonline.com,2021-02-22:5170231:Comment:10546992021-02-22T17:55:56.970Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर जी संशय दूर करने के लिए।दरअसल पहले आंख रखा था लेकिन वो भी ठीक नही था।सुधार करता हूँ सादर</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर जी संशय दूर करने के लिए।दरअसल पहले आंख रखा था लेकिन वो भी ठीक नही था।सुधार करता हूँ सादर</p> जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आद…tag:openbooksonline.com,2021-02-22:5170231:Comment:10548722021-02-22T15:34:12.199ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'आज फिर से चश्म-ए-नम हैं और तुम हो'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'चश्म' एक वचन है,और रदीफ़ का 'हैं' बहुवचन में,इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'आज फिर से आँखें नम हैं और तुम हो'</span></p>
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'आज फिर से चश्म-ए-नम हैं और तुम हो'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'चश्म' एक वचन है,और रदीफ़ का 'हैं' बहुवचन में,इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'आज फिर से आँखें नम हैं और तुम हो'</span></p> आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके खूब…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10540532021-02-20T15:01:43.924Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके खूबसूरत शब्दों से अति प्रसन्नता का अनुभव हुआ..शुक्रिया आपका..सादर</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके खूबसूरत शब्दों से अति प्रसन्नता का अनुभव हुआ..शुक्रिया आपका..सादर</p> आदरणीय धामी जी हार्दिक अभिनंद…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10541112021-02-20T15:00:44.862Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय धामी जी हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...</p>
<p>आदरणीय धामी जी हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...</p> हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शु…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10538842021-02-20T15:00:16.759Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुमनाम जी....</p>
<p>हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुमनाम जी....</p> ग़ज़ल पसंदगी के लिए शुक्रिया भा…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10541102021-02-20T14:59:35.455Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>ग़ज़ल पसंदगी के लिए शुक्रिया भाई कृष मिश्रा जी...</p>
<p>ग़ज़ल पसंदगी के लिए शुक्रिया भाई कृष मिश्रा जी...</p> ग़ज़ल पे आपकी हौसलाफजाई के लिए…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10540512021-02-20T14:58:11.556Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>ग़ज़ल पे आपकी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया मित्र आजी तमाम जी...</p>
<p>ग़ज़ल पे आपकी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया मित्र आजी तमाम जी...</p> जनाब बृजेश कुमार जी आदाब, शान…tag:openbooksonline.com,2021-02-20:5170231:Comment:10537302021-02-20T04:36:26.251Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब बृजेश कुमार जी आदाब, शानदार ग़ज़ल पेश की है आपने, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p>
<p>जनाब बृजेश कुमार जी आदाब, शानदार ग़ज़ल पेश की है आपने, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p> आ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अ…tag:openbooksonline.com,2021-02-19:5170231:Comment:10532842021-02-19T13:48:06.231Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई <span>बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</span></p>
<p>आ. भाई <span>बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</span></p> वाह शानदार ग़ज़ल हुई है बधाई। अ…tag:openbooksonline.com,2021-02-19:5170231:Comment:10532812021-02-19T13:13:38.724Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>वाह शानदार ग़ज़ल हुई है बधाई। <br/>अच्छी लगी वाह। ...... </p>
<p>वाह शानदार ग़ज़ल हुई है बधाई। <br/>अच्छी लगी वाह। ...... </p>