Comments - ( बेजान था मैं फिर भी तो मारा गया मुझे......(ग़ज़ल :- सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-29T05:33:05Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1057874&xn_auth=noआदरणीय भाई ब्रजेश कुमार जी
सा…tag:openbooksonline.com,2021-04-21:5170231:Comment:10588602021-04-21T10:24:03.996Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई ब्रजेश कुमार जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p>आदरणीय भाई ब्रजेश कुमार जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.</p> आदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा ज…tag:openbooksonline.com,2021-04-21:5170231:Comment:10588592021-04-21T10:21:48.224Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p>आदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.</p> आदरणीय भाई आजी तमाम जी
आदाब
ग़…tag:openbooksonline.com,2021-04-21:5170231:Comment:10588582021-04-21T10:19:22.177Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई आजी तमाम जी</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय भाई आजी तमाम जी</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooksonline.com,2021-04-19:5170231:Comment:10588412021-04-19T07:13:55.472Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><span>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन ।अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई </span></p>
<p><span>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन ।अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई </span></p> सहृदय बधाई स्वीकारें आदरणीय ग…tag:openbooksonline.com,2021-04-16:5170231:Comment:10585062021-04-16T09:51:43.951ZAazi Tamaamhttp://openbooksonline.com/profile/AaziTamaa
<p>सहृदय बधाई स्वीकारें आदरणीय गनवीर जी बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई है</p>
<p>सहृदय बधाई स्वीकारें आदरणीय गनवीर जी बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई है</p> क्या कहने वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई…tag:openbooksonline.com,2021-04-16:5170231:Comment:10584922021-04-16T03:32:56.958Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>क्या कहने वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई आदरणीय...हरिक शे'र लाजबाब</p>
<p>क्या कहने वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई आदरणीय...हरिक शे'र लाजबाब</p> जी, उला मिसरा में होती लग रही…tag:openbooksonline.com,2021-04-07:5170231:Comment:10579822021-04-07T12:21:39.902Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>जी, उला मिसरा में होती लग रही है..</p>
<p>जी, उला मिसरा में होती लग रही है..</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी
सा…tag:openbooksonline.com,2021-04-07:5170231:Comment:10578762021-04-07T12:02:47.308Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हृदय से आभार. आप सहीह कह रहे हैं हमेशा की बजाय "सदा ही" लिखना उचित होगा।</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हृदय से आभार. आप सहीह कह रहे हैं हमेशा की बजाय "सदा ही" लिखना उचित होगा।</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooksonline.com,2021-04-07:5170231:Comment:10580932021-04-07T11:54:44.771Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन ।अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई । मुझे छटे शेर में लय बाधित होती लग रही है । देखिएगा । सादर</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन ।अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई । मुझे छटे शेर में लय बाधित होती लग रही है । देखिएगा । सादर</p>