Comments - ग़ज़ल-दिल दिया हमने - Open Books Online2024-03-19T01:36:22Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1063849&xn_auth=noआदरणीया रचना जी सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2021-07-23:5170231:Comment:10644182021-07-23T07:42:38.194Zसालिक गणवीरhttp://openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीया रचना जी <br/>सादर अभिवादन <br/>एक उम्दः ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ स्वीकार करें</p>
<p>आदरणीया रचना जी <br/>सादर अभिवादन <br/>एक उम्दः ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ स्वीकार करें</p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी हौसला ब…tag:openbooksonline.com,2021-07-23:5170231:Comment:10645162021-07-23T06:34:47.325ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी हौसला बढ़ाने के लिए आभार। आदरणीय बहुत ध्यान रखती हूँ फिर भी नुक़्ते कहीं न कहीं रह जाते हैं। मैं सुधार कर लेती हूँ। आभार।</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी हौसला बढ़ाने के लिए आभार। आदरणीय बहुत ध्यान रखती हूँ फिर भी नुक़्ते कहीं न कहीं रह जाते हैं। मैं सुधार कर लेती हूँ। आभार।</p> आदरणीय समर कबीर सर् आदाब।सर्…tag:openbooksonline.com,2021-07-23:5170231:Comment:10643232021-07-23T06:32:48.069ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् आदाब।सर् हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।सर् फेयर में आपके कहे अनुसार सुधार कर लिया है।</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् आदाब।सर् हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।सर् फेयर में आपके कहे अनुसार सुधार कर लिया है।</p>
<p>सादर</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2021-07-21:5170231:Comment:10642072021-07-21T09:34:51.354ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p><span>'एक बेहिस को दिल दिया हमने</span></p>
<p><span>कह के अपना उसे ख़ुदा हमने'</span></p>
<p><span>मतले के ऊला को सानी और सानी को ऊला कर लें ।</span></p>
<p><span>खफ़ा--"ख़फ़ा"</span></p>
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<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p><span>'एक बेहिस को दिल दिया हमने</span></p>
<p><span>कह के अपना उसे ख़ुदा हमने'</span></p>
<p><span>मतले के ऊला को सानी और सानी को ऊला कर लें ।</span></p>
<p><span>खफ़ा--"ख़फ़ा"</span></p>
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<p></p> नमन, आदेरया, ग़ज़ल का मजमून न…tag:openbooksonline.com,2021-07-16:5170231:Comment:10637732021-07-16T15:23:24.942ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>नमन, आदेरया, ग़ज़ल का मजमून निश्चय ही प्रशंसनीय है, उसके लिए आप बधाई की पात्र है ंं! लेकिन <u>मुझे ख़ुदा, खफ़ा और ख़शियों पर नुक़तेओ लगाए जाने को लेकर संदेह है! सादर.. </u></p>
<p>नमन, आदेरया, ग़ज़ल का मजमून निश्चय ही प्रशंसनीय है, उसके लिए आप बधाई की पात्र है ंं! लेकिन <u>मुझे ख़ुदा, खफ़ा और ख़शियों पर नुक़तेओ लगाए जाने को लेकर संदेह है! सादर.. </u></p> भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooksonline.com,2021-07-16:5170231:Comment:10638562021-07-16T09:43:38.525ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी, हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p>
<p>भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी, हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p> आ. रचना बहन, अच्छी गजल हुई है…tag:openbooksonline.com,2021-07-16:5170231:Comment:10640302021-07-16T07:27:19.528Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. रचना बहन, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. रचना बहन, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>