Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T08:56:11Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1066092&xn_auth=noजनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी…tag:openbooksonline.com,2021-08-30:5170231:Comment:10675192021-08-30T06:13:48.182ZMd. Anis armanhttp://openbooksonline.com/profile/Mdanissheikh
<p>जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया </p> जनाब रवि शुक्ला जी ग़ज़ल तक आने…tag:openbooksonline.com,2021-08-30:5170231:Comment:10676142021-08-30T06:12:58.421ZMd. Anis armanhttp://openbooksonline.com/profile/Mdanissheikh
<p>जनाब रवि शुक्ला जी ग़ज़ल तक आने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब रवि शुक्ला जी ग़ज़ल तक आने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया </p> आ. भाई अनीस जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooksonline.com,2021-08-26:5170231:Comment:10673092021-08-26T07:53:45.625Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अनीस जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई । </p>
<p>आ. भाई अनीस जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई । </p> उम्दा गजल कही आपने आदरणीय अन…tag:openbooksonline.com,2021-08-26:5170231:Comment:10670032021-08-26T06:47:56.872ZRavi Shuklahttp://openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>उम्दा गजल कही आपने आदरणीय अनीस जी रदीफ का बेहतर इस्तेमाल हुआ । मुबारक बाद कुबूल करें </p>
<p>उम्दा गजल कही आपने आदरणीय अनीस जी रदीफ का बेहतर इस्तेमाल हुआ । मुबारक बाद कुबूल करें </p> जनाब सौरभ पाण्डेय जी ग़ज़ल पर आ…tag:openbooksonline.com,2021-08-26:5170231:Comment:10670172021-08-26T04:13:57.273ZMd. Anis armanhttp://openbooksonline.com/profile/Mdanissheikh
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी ग़ज़ल पर आपकी इस प्रतिक्रिया ने ऊर्जा से भर दिया है मुझे, सच कहूँ तो ऐसे प्रयोग करते वक़्त एक डर भी बना रहता है इसे किस तरह लिया जाएगा पर आपने मेरा डर दूर कर दिया, इस ऊर्जा से कुछ और बेहतर लिख सकूँगा अब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी ग़ज़ल पर आपकी इस प्रतिक्रिया ने ऊर्जा से भर दिया है मुझे, सच कहूँ तो ऐसे प्रयोग करते वक़्त एक डर भी बना रहता है इसे किस तरह लिया जाएगा पर आपने मेरा डर दूर कर दिया, इस ऊर्जा से कुछ और बेहतर लिख सकूँगा अब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया </p> वाह, क्य बात है दो मिनट में !…tag:openbooksonline.com,2021-08-23:5170231:Comment:10669572021-08-23T06:48:16.376ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह, क्य बात है <strong>दो मिनट में</strong> ! </p>
<p></p>
<p>आदरणीय अनीस अरमान साहब, इस ग़ज़ल के कुछ शेरों के अंदाज पर मैं दंग हूँ. क्या खूब मिसर् हुए हैं. यथा, </p>
<p></p>
<p>थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला<br></br>हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में ... ..... क्या खूब. क्या दम </p>
<p></p>
<p>जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक<br></br>पक रहा है आज खाना दो मिनट में ....... ..... याद रखने और सुनाने लायक शेर हुआ है यह</p>
<p></p>
<p>ऐसे में, मक्ते पर अलग से…</p>
<p>वाह, क्य बात है <strong>दो मिनट में</strong> ! </p>
<p></p>
<p>आदरणीय अनीस अरमान साहब, इस ग़ज़ल के कुछ शेरों के अंदाज पर मैं दंग हूँ. क्या खूब मिसर् हुए हैं. यथा, </p>
<p></p>
<p>थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला<br/>हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में ... ..... क्या खूब. क्या दम </p>
<p></p>
<p>जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक<br/>पक रहा है आज खाना दो मिनट में ....... ..... याद रखने और सुनाने लायक शेर हुआ है यह</p>
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<p>ऐसे में, मक्ते पर अलग से बधाई. </p>
<p></p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p> </p> जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने…tag:openbooksonline.com,2021-08-15:5170231:Comment:10663042021-08-15T15:15:02.372ZMd. Anis armanhttp://openbooksonline.com/profile/Mdanissheikh
<p>जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, देर से जवाब देने के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ </p>
<p>जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, देर से जवाब देने के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ </p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी ग़ज़ल तक…tag:openbooksonline.com,2021-08-15:5170231:Comment:10665632021-08-15T15:13:46.934ZMd. Anis armanhttp://openbooksonline.com/profile/Mdanissheikh
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया देर से प्रतिक्रिया के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ </p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया देर से प्रतिक्रिया के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ </p> जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2021-08-07:5170231:Comment:10662602021-08-07T13:11:16.033ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p> आदाब, भाई अनीस अरमान, छोटी बह…tag:openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10662042021-08-05T13:06:58.547ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, भाई अनीस अरमान, छोटी बह्र, लेकिन सहज भाव अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारक हो! </p>
<p>आदाब, भाई अनीस अरमान, छोटी बह्र, लेकिन सहज भाव अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारक हो! </p>