Comments - कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का - Open Books Online2024-03-29T15:50:45Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1074830&xn_auth=noसुधार में ये लिखने की ज़रूरत न…tag:openbooksonline.com,2021-12-20:5170231:Comment:10753232021-12-20T15:04:41.743ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>सुधार में ये लिखने की ज़रूरत नहीं कि किसके कहने पर किया गया, सिर्फ़ एडिट करना है, इनवर्टेड कामा भी हटाएँ, फिर से एडिट करें ।</p>
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<p>सुधार में ये लिखने की ज़रूरत नहीं कि किसके कहने पर किया गया, सिर्फ़ एडिट करना है, इनवर्टेड कामा भी हटाएँ, फिर से एडिट करें ।</p>
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<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई, संज्…tag:openbooksonline.com,2021-12-20:5170231:Comment:10751962021-12-20T14:59:38.594ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई, संज्ञान के लिए बहुत धन्यवाद। सुधार हो गया।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई, संज्ञान के लिए बहुत धन्यवाद। सुधार हो गया।</p> आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी आपक…tag:openbooksonline.com,2021-12-20:5170231:Comment:10750992021-12-20T04:45:39.548ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी आपकी बात से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ पर, मुझे एडिटिंग का आप्शन नहीं दिख रहा। पिछली बार कोशिश की थी तो पोस्ट ही डीलीट हो गई थी। फ़िर भी कोशिश करती हूँ। सादर।</p>
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<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी आपकी बात से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ पर, मुझे एडिटिंग का आप्शन नहीं दिख रहा। पिछली बार कोशिश की थी तो पोस्ट ही डीलीट हो गई थी। फ़िर भी कोशिश करती हूँ। सादर।</p>
<p></p> //सर जी, फेयर में सुधार कर ले…tag:openbooksonline.com,2021-12-19:5170231:Comment:10750942021-12-19T18:38:19.202Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p><strong>//सर जी, फेयर में सुधार कर लेती हूँ।//</strong></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी, आप अक्सर ऐसा ही कहते हैं... फेयर में सुधार... ठीक है, लेकिन क्या ओ बी ओ पर ये रचना ऐसे ही त्रुटिपूर्ण ही रहेगी? ज़रा सोचें।</p>
<p>मेरे विचार से ओ बी ओ पर भी आपको अपनी रचनाओं में आवश्यक और वांछित परिमार्जन ज़रूर करना चाहिए, ताकि यहाँ आपकी रचनाओं को देखने-समझने वाले भ्रमित न हों। सादर। </p>
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<p><strong>//सर जी, फेयर में सुधार कर लेती हूँ।//</strong></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी, आप अक्सर ऐसा ही कहते हैं... फेयर में सुधार... ठीक है, लेकिन क्या ओ बी ओ पर ये रचना ऐसे ही त्रुटिपूर्ण ही रहेगी? ज़रा सोचें।</p>
<p>मेरे विचार से ओ बी ओ पर भी आपको अपनी रचनाओं में आवश्यक और वांछित परिमार्जन ज़रूर करना चाहिए, ताकि यहाँ आपकी रचनाओं को देखने-समझने वाले भ्रमित न हों। सादर। </p>
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<p></p> आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।स…tag:openbooksonline.com,2021-12-19:5170231:Comment:10750902021-12-19T08:07:41.742ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।सर्, जी, फेयर में सुधार कर लेती हूँ।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।सर्, जी, फेयर में सुधार कर लेती हूँ।</p>
<p>सादर।</p> 'नज़र से महब्बत जताना किसी का…tag:openbooksonline.com,2021-12-19:5170231:Comment:10750022021-12-19T06:13:35.641ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>'नज़र से महब्बत जताना किसी का'</span></p>
<p><span>ठीक है ।</span></p>
<p><span>'नज़र से महब्बत जताना किसी का'</span></p>
<p><span>ठीक है ।</span></p> आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी हौ…tag:openbooksonline.com,2021-12-18:5170231:Comment:10752162021-12-18T15:42:45.349ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p>
<p>आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई हौसला…tag:openbooksonline.com,2021-12-18:5170231:Comment:10749992021-12-18T15:41:39.644ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p> आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।…tag:openbooksonline.com,2021-12-18:5170231:Comment:10750832021-12-18T15:36:30.599ZRachna Bhatiahttp://openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।</p>
<p></p>
<p>//वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का ....इज़हार और जताना एक ही वंश के शब्द हैं, लगभग पर्यायवाची //</p>
<p>सहमत ।</p>
<p>सर्, क्या इस तरह सानी कर दूँ?</p>
<p>"नज़र से महब्बत जताना किसी का"</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।</p>
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<p>//वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का ....इज़हार और जताना एक ही वंश के शब्द हैं, लगभग पर्यायवाची //</p>
<p>सहमत ।</p>
<p>सर्, क्या इस तरह सानी कर दूँ?</p>
<p>"नज़र से महब्बत जताना किसी का"</p> आ.रचना बहन सादर अभिवादन। सुन्…tag:openbooksonline.com,2021-12-17:5170231:Comment:10752102021-12-17T15:29:42.083Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ.रचना बहन सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ.रचना बहन सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।</p>