Comments - नज़्म (उसकी आँखें जो बोलती होतीं) - Open Books Online2024-03-29T08:51:41Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1075526&xn_auth=noधन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी…tag:openbooksonline.com,2022-01-05:5170231:Comment:10764262022-01-05T15:34:17.384Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी। सादर। </p>
<p>धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी। सादर। </p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooksonline.com,2022-01-05:5170231:Comment:10763682022-01-05T03:36:17.694Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी नज्म हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी नज्म हुई है । हार्दिक बधाई।</p> मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, न…tag:openbooksonline.com,2021-12-30:5170231:Comment:10762742021-12-30T18:18:39.347Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, नज़्म पर आपकी आमद, इस्लाह और दाद-ओ-तहसीन के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ। देखता हूँ कहाँ कमी रह गई है। सादर। </p>
<p>मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, नज़्म पर आपकी आमद, इस्लाह और दाद-ओ-तहसीन के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ। देखता हूँ कहाँ कमी रह गई है। सादर। </p> जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदा…tag:openbooksonline.com,2021-12-27:5170231:Comment:10756072021-12-27T09:32:41.840ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, नज़्म का प्रयास अच्छा है,लेकिन नज़्म अभी और कसावट चाहती है, बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, नज़्म का प्रयास अच्छा है,लेकिन नज़्म अभी और कसावट चाहती है, बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>