Comments - ख़्याली पुलाव - Open Books Online2024-03-28T17:56:27Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1076362&xn_auth=noउत्तम शिक्षाप्रद रचना के लिए…tag:openbooksonline.com,2022-01-17:5170231:Comment:10770842022-01-17T17:30:13.632Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>उत्तम शिक्षाप्रद रचना के लिए बधाई आदरणीया...</p>
<p>उत्तम शिक्षाप्रद रचना के लिए बधाई आदरणीया...</p> आ0 शरद सिंह "विनोद" जी,आपकी स…tag:openbooksonline.com,2022-01-07:5170231:Comment:10764502022-01-07T07:09:44.501ZUsha Awasthihttp://openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>आ0 शरद सिंह "विनोद" जी,आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया पाकर अत्यन्त खुशी हुई।</p>
<p>काश, इस खूबसूरत सपने का चौथाई अंश भी सही हो जाए तो मैं स्वयं को धन्य समझूँगी</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आपका </p>
<p>आ0 शरद सिंह "विनोद" जी,आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया पाकर अत्यन्त खुशी हुई।</p>
<p>काश, इस खूबसूरत सपने का चौथाई अंश भी सही हो जाए तो मैं स्वयं को धन्य समझूँगी</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आपका </p> यही लक्ष्य है मानवता का इसीओर…tag:openbooksonline.com,2022-01-06:5170231:Comment:10765232022-01-06T12:05:13.673ZSHARAD SINGH "VINOD"http://openbooksonline.com/profile/Sharadsinghvinod
यही लक्ष्य है मानवता का इसीओर सब बढ़े चलें,<br />
सभी प्रयासरत हो करके, ख्याली सीढ़ी चढ़े चलें।<br />
आदरणीया आपकी यही ख्याली पुलाव ही मानव संस्कृत का चरम लक्ष्य होना चाहिए……सादर।
यही लक्ष्य है मानवता का इसीओर सब बढ़े चलें,<br />
सभी प्रयासरत हो करके, ख्याली सीढ़ी चढ़े चलें।<br />
आदरणीया आपकी यही ख्याली पुलाव ही मानव संस्कृत का चरम लक्ष्य होना चाहिए……सादर।