Comments - दोहा त्रयी. . . . . .राजनीति - Open Books Online2024-03-29T06:49:20Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1077841&xn_auth=noअच्छा प्रयास हुआ है, आदरणीय. …tag:openbooksonline.com,2022-02-06:5170231:Comment:10784992022-02-06T03:36:27.082ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>अच्छा प्रयास हुआ है, आदरणीय. </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p>
<p>अच्छा प्रयास हुआ है, आदरणीय. </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p> आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब…tag:openbooksonline.com,2022-01-31:5170231:Comment:10783612022-01-31T08:04:30.811ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - स्थिति स्पष्ट करने के लिए हार्दिक आभार
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - स्थिति स्पष्ट करने के लिए हार्दिक आभार आ. अमीर साहब, इस तरह की आधारह…tag:openbooksonline.com,2022-01-30:5170231:Comment:10785302022-01-30T22:47:16.849ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आ. अमीर साहब, इस तरह की आधारहीन टिप्पणी करना आपकी कदाचित आदत बन गयी है! अभी सम्पन्न मुशायरे में भी आप मुझे ज्ञान दे रहे थे कि " ग़ज़ल "उर्दू की विधा है! " और, जब मैं ने बताया कि उर्दू मूलतः भारत में विकसित हिन्दी</p>
<p>की बोली है जिसे पहले हिन्दुस्तानी, हिन्दवी और तत्पश्चात उर्दू कहा जाने लगा तो आप ने मुझे मंच पर असत्य भाषण का आरोप लगाते हुए चेतावनी जारी कर दी! इतना ही नहीं ग़ज़ल उर्दू की विधा यह झूठ और बोला बिना यह समझे हुए कि कोई भी विधा किसी भाषा विशेष की मोहताज नहीं होती! </p>
<p>के लिए…</p>
<p>आ. अमीर साहब, इस तरह की आधारहीन टिप्पणी करना आपकी कदाचित आदत बन गयी है! अभी सम्पन्न मुशायरे में भी आप मुझे ज्ञान दे रहे थे कि " ग़ज़ल "उर्दू की विधा है! " और, जब मैं ने बताया कि उर्दू मूलतः भारत में विकसित हिन्दी</p>
<p>की बोली है जिसे पहले हिन्दुस्तानी, हिन्दवी और तत्पश्चात उर्दू कहा जाने लगा तो आप ने मुझे मंच पर असत्य भाषण का आरोप लगाते हुए चेतावनी जारी कर दी! इतना ही नहीं ग़ज़ल उर्दू की विधा यह झूठ और बोला बिना यह समझे हुए कि कोई भी विधा किसी भाषा विशेष की मोहताज नहीं होती! </p>
<p>के लिए चेतावनी देते हुए मेरे प्रोफेसर होने पर व्यंग किया है! </p>
<p></p> आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्…tag:openbooksonline.com,2022-01-30:5170231:Comment:10786212022-01-30T17:21:15.835Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्षमा पूर्वक निवेदित है कि मैंने त्रुटिवश दोहे के चरण "बड़ी अज़ब है रेल" का प्रारम्भ 'जगण' से होना मानकर टिप्पणी की थी। वास्तव में उक्त चरण दोष रहित है। 'जगण' तीन अक्षरों का ऐसा समूह (शब्द) जिसका पहला अक्षर लघु दूसरा दीर्घ तथा तीसरा लघु हो, जैसे रमेश, गरीब, अजीब, मशीन, किसान आदि हो, को कहते हैं। मेरे द्वारा इंगित चरण में दो अलग-अलग शब्दों के अक्षरों को मिला कर त्रुटिवश जगण मानकर टिप्पणी की गयी जो कि ग़लत है। पुन: क्षमा सहित। सादर। </p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्षमा पूर्वक निवेदित है कि मैंने त्रुटिवश दोहे के चरण "बड़ी अज़ब है रेल" का प्रारम्भ 'जगण' से होना मानकर टिप्पणी की थी। वास्तव में उक्त चरण दोष रहित है। 'जगण' तीन अक्षरों का ऐसा समूह (शब्द) जिसका पहला अक्षर लघु दूसरा दीर्घ तथा तीसरा लघु हो, जैसे रमेश, गरीब, अजीब, मशीन, किसान आदि हो, को कहते हैं। मेरे द्वारा इंगित चरण में दो अलग-अलग शब्दों के अक्षरों को मिला कर त्रुटिवश जगण मानकर टिप्पणी की गयी जो कि ग़लत है। पुन: क्षमा सहित। सादर। </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन क…tag:openbooksonline.com,2022-01-30:5170231:Comment:10783502022-01-30T11:13:26.045ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब…tag:openbooksonline.com,2022-01-30:5170231:Comment:10783482022-01-30T11:13:04.346ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को मान एवं सुझाव के लिए दिल से आभार । सहमत एवं भविष्य के लिए अवगत हुआ सर ।
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को मान एवं सुझाव के लिए दिल से आभार । सहमत एवं भविष्य के लिए अवगत हुआ सर । आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2022-01-29:5170231:Comment:10782002022-01-29T07:14:30.093Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहावली हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहावली हुई है । हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, तु…tag:openbooksonline.com,2022-01-25:5170231:Comment:10778932022-01-25T14:52:48.028Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, तुच्छ राजनीति पर कटाक्ष करते सुंदर दोहे रचे हैं आपने, हार्दिक बधाई।</p>
<p>'<strong>बड़ी अ</strong>ज़ब है रेल' दोहे में चरणों का प्रारम्भ जगण से होने का निषेध है, 'अजब' शब्द में नुक़्ता नहीं लगेगा, सादर। </p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, तुच्छ राजनीति पर कटाक्ष करते सुंदर दोहे रचे हैं आपने, हार्दिक बधाई।</p>
<p>'<strong>बड़ी अ</strong>ज़ब है रेल' दोहे में चरणों का प्रारम्भ जगण से होने का निषेध है, 'अजब' शब्द में नुक़्ता नहीं लगेगा, सादर। </p>