Comments - क्षणिकाएं ( मार्च 22 ) — डॉo विजय शंकर - Open Books Online2024-03-28T21:36:29Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1080612&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी , मुसाफिर…tag:openbooksonline.com,2022-03-05:5170231:Comment:10804902022-03-05T16:39:04.790ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी , मुसाफिर जी, नमस्कार, आपकी सामयिक उपस्थिति से मन प्रफुल्लित हो जाता है। आपकी उत्साहवर्धक टिप्पड़ीं के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद. .इधर कुछ समय कम मिल पाता है , इसलिए लिखना कम हो पाता है। आप सतत लेखन से जुड़े रहते हैं , देख कर सुखद लगता है. सादर.</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी , मुसाफिर जी, नमस्कार, आपकी सामयिक उपस्थिति से मन प्रफुल्लित हो जाता है। आपकी उत्साहवर्धक टिप्पड़ीं के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद. .इधर कुछ समय कम मिल पाता है , इसलिए लिखना कम हो पाता है। आप सतत लेखन से जुड़े रहते हैं , देख कर सुखद लगता है. सादर.</p> आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooksonline.com,2022-03-05:5170231:Comment:10805322022-03-05T10:29:54.582Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन। बहतु सुंदर रचना हुई है । हर भाव यथार््थ है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन। बहतु सुंदर रचना हुई है । हर भाव यथार््थ है। हार्दिक बधाई।</p>