Comments - गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ - Open Books Online2024-03-29T07:27:08Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1080744&xn_auth=noआदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, आपक…tag:openbooksonline.com,2022-03-30:5170231:Comment:10820362022-03-30T06:51:00.367ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, आपको प्रस्तुति अच्छी लगी इस हेतु धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>अनपढ़ा शब्द न होता कैसे प्रयुक्त होता ? किंतु, कृपया आप यह भी देखें कि इसका किस तरह से व्यवहार हुआ है.</p>
<p>अनपढ़ और अनपढ़ा के महीन फर्क का आपकी सुधी दृष्टि भान कर सकेगी, इसकी हमें भी अवश्य अपेक्षा है. <br/>अन्यथा हम सहज ही उक्त मिसरे को कुछ यों लिख सकते थे - या मैं अनपढ़ भला, जा तुझे इश्क हो ... </p>
<p></p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, आपको प्रस्तुति अच्छी लगी इस हेतु धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>अनपढ़ा शब्द न होता कैसे प्रयुक्त होता ? किंतु, कृपया आप यह भी देखें कि इसका किस तरह से व्यवहार हुआ है.</p>
<p>अनपढ़ और अनपढ़ा के महीन फर्क का आपकी सुधी दृष्टि भान कर सकेगी, इसकी हमें भी अवश्य अपेक्षा है. <br/>अन्यथा हम सहज ही उक्त मिसरे को कुछ यों लिख सकते थे - या मैं अनपढ़ भला, जा तुझे इश्क हो ... </p>
<p></p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> आदरणीया अनिता जी, आपका हार्दि…tag:openbooksonline.com,2022-03-30:5170231:Comment:10818562022-03-30T06:44:05.656ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया अनिता जी, आपका हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>आदरणीया अनिता जी, आपका हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p></p> वाह , क्या खूब ग़ज़ल हुईtag:openbooksonline.com,2022-03-29:5170231:Comment:10817772022-03-29T13:52:26.161ZAnita Mauryahttp://openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>वाह , क्या खूब ग़ज़ल हुई</p>
<p>वाह , क्या खूब ग़ज़ल हुई</p> आ. आपने सही कहा, परन्तु टंकण…tag:openbooksonline.com,2022-03-23:5170231:Comment:10814242022-03-23T05:17:30.468ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आ. आपने सही कहा, परन्तु टंकण त्रुटि हुई ! </p>
<p>आ. आपने सही कहा, परन्तु टंकण त्रुटि हुई ! </p> बहर-ए-मुत्दारिक मुसम्मन सालिम…tag:openbooksonline.com,2022-03-22:5170231:Comment:10812402022-03-22T15:48:30.722ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहर-ए-मुत्दारिक मुसम्मन सालिम. आदरणीय चेतन प्रकाशजी, यह है बहर का दुरुस्त नाम. </p>
<p>आपसे मिली प्रशंसा हेतु हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p></p>
<p>बहर-ए-मुत्दारिक मुसम्मन सालिम. आदरणीय चेतन प्रकाशजी, यह है बहर का दुरुस्त नाम. </p>
<p>आपसे मिली प्रशंसा हेतु हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p></p> आ. सौरभ साहब, बह्रे मुताबिक…tag:openbooksonline.com,2022-03-22:5170231:Comment:10810272022-03-22T11:38:19.943ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आ. सौरभ साहब, बह्रे मुताबिक मुसम्मन सालिम में खुबसूरत ग़ज़ल कही आपने । हाँ, शे'र न0.7 दो मुँहा जान पड़ा ! सादर </p>
<p>आ. सौरभ साहब, बह्रे मुताबिक मुसम्मन सालिम में खुबसूरत ग़ज़ल कही आपने । हाँ, शे'र न0.7 दो मुँहा जान पड़ा ! सादर </p> आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी गुण…tag:openbooksonline.com,2022-03-22:5170231:Comment:10807062022-03-22T09:25:48.026ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी गुणग्राहकता के प्रति आभार. </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p>
<p>आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी गुणग्राहकता के प्रति आभार. </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p> वाहहहहहह आदरणीय सौरभ पाण्डेय…tag:openbooksonline.com,2022-03-21:5170231:Comment:10808962022-03-21T07:40:39.219ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
वाहहहहहह आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी बहुत ही खूबसूरत गजल बनी है । शे'र दर शे'र दाद कबूल फरमाएं सर । सादर नमन
वाहहहहहह आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी बहुत ही खूबसूरत गजल बनी है । शे'र दर शे'र दाद कबूल फरमाएं सर । सादर नमन