Comments - अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-28T11:31:16Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1081766&xn_auth=noआदरणीय सौरभ पांडेय जी गजल पर…tag:openbooksonline.com,2022-04-28:5170231:Comment:10830182022-04-28T12:06:39.959Zमनोज अहसासhttp://openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय सौरभ पांडेय जी गजल पर आपकी उपस्थिति को देख कर मन बड़ा हर्षित हुआ एक समय वह था जब आप हमारी हर गजल पर इसी तरह इस्लाह करते थे लेकिन इस समय आप भी बिजी हैं हम भी बिजी हैं लेकिन आप आए तो बहुत अच्छा लगा मैं आपकी बात को पूरा पूरा मान देता हूं और इस को सुधारने का प्रयास करता हूं सादर</p>
<p>आदरणीय सौरभ पांडेय जी गजल पर आपकी उपस्थिति को देख कर मन बड़ा हर्षित हुआ एक समय वह था जब आप हमारी हर गजल पर इसी तरह इस्लाह करते थे लेकिन इस समय आप भी बिजी हैं हम भी बिजी हैं लेकिन आप आए तो बहुत अच्छा लगा मैं आपकी बात को पूरा पूरा मान देता हूं और इस को सुधारने का प्रयास करता हूं सादर</p> भाई मनोज जी, मात्रिक बहर पर क…tag:openbooksonline.com,2022-04-04:5170231:Comment:10822622022-04-04T17:13:17.951ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई मनोज जी, मात्रिक बहर पर की गयी कोशिश पर बधाई स्वीकार करें. </p>
<p>सुधार की जहाँ आवश्यकता थी, आदरणीय समर साहब ने इंगित कर ही दिया है. मेरा बस इतना ही कहना है कि मिसरों में संबंध और तार्किकता साथ-साथ निभायी जाती हैं. मेरा इशारा आखिरी शेर को लेकर है.</p>
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<p>कहने का तात्पर्य यह है, कि, जब आपने कारण जान ही लिया कि बच्चे कागज की नाव लेकर निकले हैं तो फिर 'जाने क्यों याद आया मुझको' कहने की क्या जरूरत है ? आपको तो उला के अनुसार पता ही है कि सपना क्यों याद आया. </p>
<p>विश्वास है, आप आशय…</p>
<p>भाई मनोज जी, मात्रिक बहर पर की गयी कोशिश पर बधाई स्वीकार करें. </p>
<p>सुधार की जहाँ आवश्यकता थी, आदरणीय समर साहब ने इंगित कर ही दिया है. मेरा बस इतना ही कहना है कि मिसरों में संबंध और तार्किकता साथ-साथ निभायी जाती हैं. मेरा इशारा आखिरी शेर को लेकर है.</p>
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<p>कहने का तात्पर्य यह है, कि, जब आपने कारण जान ही लिया कि बच्चे कागज की नाव लेकर निकले हैं तो फिर 'जाने क्यों याद आया मुझको' कहने की क्या जरूरत है ? आपको तो उला के अनुसार पता ही है कि सपना क्यों याद आया. </p>
<p>विश्वास है, आप आशय समझ रहे होंगे. मैं शायद कह पाया. या, न कह पाया होऊँ. आप अन्यथा मत लीजिएगा.</p>
<p>शुभ-शुभ</p> बहुत-बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश…tag:openbooksonline.com,2022-03-31:5170231:Comment:10820792022-03-31T14:35:34.037Zमनोज अहसासhttp://openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश जी मंच पर आपकी उपस्थिति सुखद है आपका मार्गदर्शन मिलता रहे तो बड़ी कृपा होगी</p>
<p>सादर</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश जी मंच पर आपकी उपस्थिति सुखद है आपका मार्गदर्शन मिलता रहे तो बड़ी कृपा होगी</p>
<p>सादर</p> बहुत-बहुत आभार आदरणीय समर कबी…tag:openbooksonline.com,2022-03-31:5170231:Comment:10819932022-03-31T14:34:38.004Zमनोज अहसासhttp://openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब आपका आशीर्वाद मिल जाता है तो ग़ज़ल पूरी हो जाती है बाकी हम प्रयास करेंगे जो आपने इस्लाह दी है उस पर पूरा पूरा अमल होगा</p>
<p>सादर</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब आपका आशीर्वाद मिल जाता है तो ग़ज़ल पूरी हो जाती है बाकी हम प्रयास करेंगे जो आपने इस्लाह दी है उस पर पूरा पूरा अमल होगा</p>
<p>सादर</p> बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार…tag:openbooksonline.com,2022-03-29:5170231:Comment:10819322022-03-29T17:35:06.821Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई।</p> जनाब मनोज अह्सास जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2022-03-29:5170231:Comment:10817682022-03-29T10:15:58.047ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज अह्सास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p>'हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी'</p>
<p>इस मिसरे में 'तरहा' शब्द को 22 पर लेना उचित नहीं होता 'तरह' शब्द को 12 या 21 पर लिया जा सकता है 22 पर नहीं , सुधार का प्रयास करें I </p>
<p><span>'कागज़ की इक नाव को लेकर निकले देखे कुछ बच्चे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को उच्जित लगे तो यूँ कहें :-</span></p>
<p><span>'काग़ज़ की इक नाव लिये जब घर से निकले कुछ बच्चे '</span></p>
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<p>जनाब मनोज अह्सास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p>'हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी'</p>
<p>इस मिसरे में 'तरहा' शब्द को 22 पर लेना उचित नहीं होता 'तरह' शब्द को 12 या 21 पर लिया जा सकता है 22 पर नहीं , सुधार का प्रयास करें I </p>
<p><span>'कागज़ की इक नाव को लेकर निकले देखे कुछ बच्चे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को उच्जित लगे तो यूँ कहें :-</span></p>
<p><span>'काग़ज़ की इक नाव लिये जब घर से निकले कुछ बच्चे '</span></p>
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