Comments - अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-29T05:40:07Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1097935&xn_auth=noआदरणीय सिंह जी गजल पर अपनी म…tag:openbooksonline.com,2023-02-10:5170231:Comment:10986052023-02-10T17:16:58.154Zमनोज अहसासhttp://openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय सिंह जी गजल पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक आभार आपकी बताई हुई बातों पर गौर कर रहा हूं थोड़ा समय लगेगा तो निष्कर्ष पर पहुंच जाऊंगा आपने बहुमूल्य समय निकालकर इतने ध्यान से गजल को पड़ा इसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार</p>
<p>आदरणीय सिंह जी गजल पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक आभार आपकी बताई हुई बातों पर गौर कर रहा हूं थोड़ा समय लगेगा तो निष्कर्ष पर पहुंच जाऊंगा आपने बहुमूल्य समय निकालकर इतने ध्यान से गजल को पड़ा इसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार</p> आदरणीय मनोज अहसास जी इस अच्छी…tag:openbooksonline.com,2023-01-29:5170231:Comment:10978822023-01-29T11:20:25.476ZGurpreet Singh jammuhttp://openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
<p>आदरणीय मनोज अहसास जी इस अच्छी ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई। ग़ज़ल पढ़ते हुए जो प्वाइंट मन में आए वो साझा कर रहा हूं। अगर कुछ गलत कहूं तो कृपया क्षमा कीजिएगा।</p>
<p>मतले के सानी में पूरी ज़ीस्त का जिक्र है तो फिर ऊला में मुझे लगता है कि दिन और रात को हर दिन/रात बताना पड़ेगा। और सानी में उल्फत की जगह मुझे लगता है हसरत ज़्यादा फिट बैठेगा।</p>
<p>टुकड़ों में हर दिन बीता है पर्वत सी हर रात कटी<br></br>तेरी हसरत में यूं सारी उम्र मेरी बेबात कटी<br></br> और इस तरह आपका ऊला मिसरा का पहला हिस्सा जो मीना…</p>
<p>आदरणीय मनोज अहसास जी इस अच्छी ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई। ग़ज़ल पढ़ते हुए जो प्वाइंट मन में आए वो साझा कर रहा हूं। अगर कुछ गलत कहूं तो कृपया क्षमा कीजिएगा।</p>
<p>मतले के सानी में पूरी ज़ीस्त का जिक्र है तो फिर ऊला में मुझे लगता है कि दिन और रात को हर दिन/रात बताना पड़ेगा। और सानी में उल्फत की जगह मुझे लगता है हसरत ज़्यादा फिट बैठेगा।</p>
<p>टुकड़ों में हर दिन बीता है पर्वत सी हर रात कटी<br/>तेरी हसरत में यूं सारी उम्र मेरी बेबात कटी<br/> और इस तरह आपका ऊला मिसरा का पहला हिस्सा जो मीना कुमारी जी की ग़ज़ल की मिसरे जैसा हो गया है, वो भी अलग हो जाएगा।</p>
<p><br/>तीसरा शेर मुझे बहुत पसंद आया, वाह वाह क्या बात है। बस इस शेर के ऊला में मुझे लगता है पुरानी की जगह पहली ज़्यादा सही रहेगा।</p>
<p>छठे शेर के ऊला में मेरी तकतीय के मुताबिक एक मात्रा कम पढ़ रही है। आप देख लें। अगर आपके मुताबिक भी कम हो तो इस मिसरे को ऐसे कह सकते हैं</p>
<p> क्या हासिल होगा अब गज़लों में लिख लिख कर दिल की बात</p>
<p> (इसके सानी में भी सारी बात की जगह मुझे लगता है हर इक बात ज़्यादा ठीक रहेगा)</p>
<p>आठवें शेर के ऊला में भी मुझे एक मात्रा कम लग रही है।</p>
<p>ये मुझ अनजान की अल्प बुद्धि अनुसार जो समझ में आया वो कहने की कोशिश की है। बाकी गुणिजन बेहतर बता पाएंगे।</p>