Comments - अंदाज़ नया - Open Books Online2024-03-28T09:53:02Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A14650&xn_auth=noमुझको यह रचना रुची.tag:openbooksonline.com,2010-08-17:5170231:Comment:149992010-08-17T14:21:15.999Zsanjiv verma 'salil'http://openbooksonline.com/profile/sanjivvermasalil
मुझको यह रचना रुची.
मुझको यह रचना रुची. खेत की हरियालियों में बारुदों…tag:openbooksonline.com,2010-08-16:5170231:Comment:147362010-08-16T04:00:49.736ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
खेत की हरियालियों में बारुदों के बीज क्यों<br />
शांति खातिर हैं जगह जो बौखलाती खीज क्यों<br />
उन्नत जहाँ की संस्कृति हो संतति नाचीज़ क्यों<br />
खोखली परिपाटियाँ हैं, दोगली है सभ्यता ये.<br />
<br />
बहुत खूब, सौरभ भाई साहब,<br />
<br />
बातो बातो और इशारों मे कह गये हर बात आप,<br />
क्या है भावना उनके मन की साफ़ कर गये है आप,<br />
<br />
बहुत ही ससक्त और उम्द्दा रचना, बधाई इस खुबसूरत रचना पर,
खेत की हरियालियों में बारुदों के बीज क्यों<br />
शांति खातिर हैं जगह जो बौखलाती खीज क्यों<br />
उन्नत जहाँ की संस्कृति हो संतति नाचीज़ क्यों<br />
खोखली परिपाटियाँ हैं, दोगली है सभ्यता ये.<br />
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बहुत खूब, सौरभ भाई साहब,<br />
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बातो बातो और इशारों मे कह गये हर बात आप,<br />
क्या है भावना उनके मन की साफ़ कर गये है आप,<br />
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बहुत ही ससक्त और उम्द्दा रचना, बधाई इस खुबसूरत रचना पर,