Comments - "मुद्दतें" - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T23:00:11Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A194264&xn_auth=noसराहना के लिए हार्दिक आभार वी…tag:openbooksonline.com,2012-03-23:5170231:Comment:2043152012-03-23T07:15:55.013Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>सराहना के लिए हार्दिक आभार वीनस जी! :))</p>
<p>सराहना के लिए हार्दिक आभार वीनस जी! :))</p> मुहब्बत की गहराई में डूबा इस…tag:openbooksonline.com,2012-03-23:5170231:Comment:2044092012-03-23T07:07:31.289Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p><span style="color: #ff9900;"><span style="font-size: medium;"><b>मुहब्बत की गहराई में डूबा इस क़दर यारों,<br/> कोई दरिया-समंदर हो, लगता कम ही गहरा है;</b></span></span></p>
<p style="text-align: center;"><span style="font-size: medium;"><b><br/>गहरी चोट खाई है शायर ने :)))<br/><br/>दर्द की गहराई का कुछ पता नहीं चल रहा है ...<br/>बहुत बढ़िया शेर है <br/></b></span></p>
<p><span style="color: #ff9900;"><span style="font-size: medium;"><b>मुहब्बत की गहराई में डूबा इस क़दर यारों,<br/> कोई दरिया-समंदर हो, लगता कम ही गहरा है;</b></span></span></p>
<p style="text-align: center;"><span style="font-size: medium;"><b><br/>गहरी चोट खाई है शायर ने :)))<br/><br/>दर्द की गहराई का कुछ पता नहीं चल रहा है ...<br/>बहुत बढ़िया शेर है <br/></b></span></p> आभार संदीप जी| और इस मंच पर स…tag:openbooksonline.com,2012-03-18:5170231:Comment:2022172012-03-18T12:21:17.016Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>आभार संदीप जी| और इस मंच पर स्वागत भी| :)</p>
<p>आभार संदीप जी| और इस मंच पर स्वागत भी| :)</p> प्रिय जवाहर भाई,
आप अपने ऊपर…tag:openbooksonline.com,2012-03-18:5170231:Comment:2021212012-03-18T12:20:50.146Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>प्रिय जवाहर भाई,</p>
<p>आप अपने ऊपर क्यूँ ले रहे हैं मैं तो हूँ आपके लिए| :) ये तो अपनेआप को कहा था| आपका शुक्रगुज़ार हूँ|</p>
<p>प्रिय जवाहर भाई,</p>
<p>आप अपने ऊपर क्यूँ ले रहे हैं मैं तो हूँ आपके लिए| :) ये तो अपनेआप को कहा था| आपका शुक्रगुज़ार हूँ|</p> आदरणीय राजीव जी,
आपकी दाद सहर…tag:openbooksonline.com,2012-03-18:5170231:Comment:2019982012-03-18T12:18:56.228Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>आदरणीय राजीव जी,</p>
<p>आपकी दाद सहर्ष क़ुबूल है| हार्दिक आभार,</p>
<p>आदरणीय राजीव जी,</p>
<p>आपकी दाद सहर्ष क़ुबूल है| हार्दिक आभार,</p> तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने यह…tag:openbooksonline.com,2012-03-18:5170231:Comment:2016002012-03-18T00:10:51.384ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने यह गजल बनाया! प्रिय वाहिद भाई, समझ में आया कि मैं अंधा गूंगा बहरा हूँ!...</p>
<p>बहुत ही मजेदार! होते हैं आपके अल्फाज. उर्दू का मुझे बहुत ही कम ज्ञान है फिर भी लगता जानदार है! </p>
<p>तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने यह गजल बनाया! प्रिय वाहिद भाई, समझ में आया कि मैं अंधा गूंगा बहरा हूँ!...</p>
<p>बहुत ही मजेदार! होते हैं आपके अल्फाज. उर्दू का मुझे बहुत ही कम ज्ञान है फिर भी लगता जानदार है! </p> बहुत सुन्दर गजल संदीप जी.बिलक…tag:openbooksonline.com,2012-03-17:5170231:Comment:2015662012-03-17T15:22:16.367ZRAJEEV KUMAR JHAhttp://openbooksonline.com/profile/RAJEEVKUMARJHA
<p>बहुत सुन्दर गजल संदीप जी.बिलकुल तरन्नुम में लिखा है.एक-एक शेर को दाद देने को जी चाहता है.</p>
<p><strong><font color="#FF9900">मुहब्बत की गहराई में डूबा इस क़दर यारों, कोई दरिया-समंदर हो, लगता कम ही गहरा है</font></strong></p>
<p><strong><font color="#FF9900">क्या खूब पंक्तियाँ हैं.</font></strong></p>
<p>बहुत सुन्दर गजल संदीप जी.बिलकुल तरन्नुम में लिखा है.एक-एक शेर को दाद देने को जी चाहता है.</p>
<p><strong><font color="#FF9900">मुहब्बत की गहराई में डूबा इस क़दर यारों, कोई दरिया-समंदर हो, लगता कम ही गहरा है</font></strong></p>
<p><strong><font color="#FF9900">क्या खूब पंक्तियाँ हैं.</font></strong></p> आदरणीय अजय जी,
आपने ग़ज़ल के एक…tag:openbooksonline.com,2012-03-17:5170231:Comment:2015492012-03-17T13:28:30.750Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>आदरणीय अजय जी,</p>
<p>आपने ग़ज़ल के एक शेर को भी सराहा तो लिखना सार्थक हुआ| अभी सीख रहा हूँ धीरे-धीरे सुधार आता जाएगा| हार्दिक आभार,</p>
<p>आदरणीय अजय जी,</p>
<p>आपने ग़ज़ल के एक शेर को भी सराहा तो लिखना सार्थक हुआ| अभी सीख रहा हूँ धीरे-धीरे सुधार आता जाएगा| हार्दिक आभार,</p> सुंदर प्रस्तुति ..वाह कितनी ग…tag:openbooksonline.com,2012-03-17:5170231:Comment:2015302012-03-17T10:45:51.972ZDr Ajay Kumar Sharmahttp://openbooksonline.com/profile/DrAjayKumarSharma
<p>सुंदर प्रस्तुति ..वाह कितनी गहराई है प्यार में...८ वी पंक्ति में..बखूबी बयां किया है ..बधाई संदीप जी</p>
<p>सुंदर प्रस्तुति ..वाह कितनी गहराई है प्यार में...८ वी पंक्ति में..बखूबी बयां किया है ..बधाई संदीप जी</p> आभार गुरुवर...यहाँ के ऑपरेशन्…tag:openbooksonline.com,2012-03-16:5170231:Comment:2011342012-03-16T13:49:40.952Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>आभार गुरुवर...यहाँ के ऑपरेशन्स बेहद सरल हैं| बहुत ही जल्दी समझ जाएँगे आप|</p>
<p>आभार गुरुवर...यहाँ के ऑपरेशन्स बेहद सरल हैं| बहुत ही जल्दी समझ जाएँगे आप|</p>