Comments - हम पंछी एक डाल के - Open Books Online2024-03-28T10:23:10Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A210086&xn_auth=noअद्भुतtag:openbooksonline.com,2012-05-12:5170231:Comment:2249352012-05-12T11:04:17.889ZAjay Kumar Dubeyhttp://openbooksonline.com/profile/AjayKumarDubey
<p>अद्भुत</p>
<p>अद्भुत</p> काव्य रचनाओं की सुखद संमृद्ध…tag:openbooksonline.com,2012-04-17:5170231:Comment:2151452012-04-17T06:30:20.240ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>काव्य रचनाओं की सुखद संमृद्ध फुहार के बीच ओ बी ओ पर अब कहानियाँ भी आ रही हैं और अच्छी आ रही हैं ये सुखद संकेत है ! राकेश जी आपकी कहानी सत्य के करीब और रोचक रूप से कही गयी है | इस हेतु हार्दिक शुभकामनाएं ||</p>
<p>काव्य रचनाओं की सुखद संमृद्ध फुहार के बीच ओ बी ओ पर अब कहानियाँ भी आ रही हैं और अच्छी आ रही हैं ये सुखद संकेत है ! राकेश जी आपकी कहानी सत्य के करीब और रोचक रूप से कही गयी है | इस हेतु हार्दिक शुभकामनाएं ||</p> Shri Arun ji, Aapne Kahani po…tag:openbooksonline.com,2012-04-17:5170231:Comment:2151392012-04-17T05:06:14.922Zराकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'http://openbooksonline.com/profile/RakeshTripathi667
<p>Shri Arun ji, Aapne Kahani poori padhi aur Usaki kamiyan batayin, isake liye Dhanyvaad. Jahan tak Characters ki baat hai, central char Najrool and Deenanath ko to ant tak Sakaratmak hi dikhaya hai, Haan Bache dono ke bigade the aur isaka fal bhi unhe mila. Kahani Dukhant jaroor hai, Nakaratmak nahi, Mai PremChnad se koi tulana to nahi kar raha hun, kintu Godan me mujhe bhi koi Sakaratmak Tathya nahi mila Sivaay Ucch Varg ke Shoshan evam Hori Mahato Ke kin-kartavya-vimoodhtaa ke. Agar Samaaj…</p>
<p>Shri Arun ji, Aapne Kahani poori padhi aur Usaki kamiyan batayin, isake liye Dhanyvaad. Jahan tak Characters ki baat hai, central char Najrool and Deenanath ko to ant tak Sakaratmak hi dikhaya hai, Haan Bache dono ke bigade the aur isaka fal bhi unhe mila. Kahani Dukhant jaroor hai, Nakaratmak nahi, Mai PremChnad se koi tulana to nahi kar raha hun, kintu Godan me mujhe bhi koi Sakaratmak Tathya nahi mila Sivaay Ucch Varg ke Shoshan evam Hori Mahato Ke kin-kartavya-vimoodhtaa ke. Agar Samaaj ke chitran se sahitya ko kheench liya jaay to kya koi yatharth-vaadi kahani aayegi? Saadar!</p>
<p></p> क्षमा चाहता हूँ , डिस्क्लेमर…tag:openbooksonline.com,2012-04-16:5170231:Comment:2151182012-04-16T13:48:20.753Zअरुण कान्त शुक्लाhttp://openbooksonline.com/profile/2i91or7u6w9sw
<p>क्षमा चाहता हूँ , डिस्क्लेमर के बावजूद मैं इसका समर्थन नहीं कर सकता | इस देश में ऐसी बहुत सी घटनाएं अनेक लोगों के साथ हुई होंगी , जिन्हें कहानी के रूप में पेश किया जा सकता है और यह भी कहा जा सकता है कि यह ये या वो सीख देती है , पर अंततः इससे वैमनस्य ही बढ़ता है | रचनाकार छोटा हो या बड़ा , उसे हमेशा प्रस्तुतीकरण सकारात्मक करना चाहिये | हो सकता है प्रेमचंद का जुम्मन और अलगू एक दूसरे का खून करने पर उतारू हो गए होंगे , पर प्रेमचंद ने उसे नकारात्मक नहीं रखा | जैनेन्द्र की चाकलेट पहले घासलेट थी ,…</p>
<p>क्षमा चाहता हूँ , डिस्क्लेमर के बावजूद मैं इसका समर्थन नहीं कर सकता | इस देश में ऐसी बहुत सी घटनाएं अनेक लोगों के साथ हुई होंगी , जिन्हें कहानी के रूप में पेश किया जा सकता है और यह भी कहा जा सकता है कि यह ये या वो सीख देती है , पर अंततः इससे वैमनस्य ही बढ़ता है | रचनाकार छोटा हो या बड़ा , उसे हमेशा प्रस्तुतीकरण सकारात्मक करना चाहिये | हो सकता है प्रेमचंद का जुम्मन और अलगू एक दूसरे का खून करने पर उतारू हो गए होंगे , पर प्रेमचंद ने उसे नकारात्मक नहीं रखा | जैनेन्द्र की चाकलेट पहले घासलेट थी , जिसमें नायक ने बच्चे का खून करके नायिका के साथ बलात्कार किया था , पर जैनेन्द्र ने उसे सकारात्मक बना कर लिखा | समाज की सच्चाईयाँ समाज को मालूम हैं | सवाल उन्हें उजागर करने का नहीं , उन्हें सुधारने और सही मार्ग दिखाने का है | मेरे हिसाब से एक बहुत ही साम्प्रदायिक , हिंसा बढाने वाली , अलगाव पैदा करने वाली वीभत्स फेंतासी , जिसे हटा लिया जाए तो बेहतर है | क्षमाप्रार्थी हूँ |</p> राकेश जी, नमस्कार,
रोंगटे खड़…tag:openbooksonline.com,2012-04-15:5170231:Comment:2147522012-04-15T15:49:38.097ZSarita Sinhahttp://openbooksonline.com/profile/SaritaSinha
<p><span>राकेश जी, नमस्कार, </span></p>
<div>रोंगटे खड़े कर देने वाला सत्य...</div>
<div>काश हमारे देश को ऐसी घृणित भावनाओं से छुटकारा मिल सके....</div>
<p><span>राकेश जी, नमस्कार, </span></p>
<div>रोंगटे खड़े कर देने वाला सत्य...</div>
<div>काश हमारे देश को ऐसी घृणित भावनाओं से छुटकारा मिल सके....</div> आज इस प्रस्तुति को देख पाया.…tag:openbooksonline.com,2012-04-14:5170231:Comment:2140792012-04-14T07:36:11.878ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आज इस प्रस्तुति को देख पाया. सही है, अविश्वास के चौरस पर ही वैमनस्य बीज अँकुरित होता है. इस बोलती कहानी को मेरी हार्दिक बधाइयाँ .. .</p>
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<p>आज इस प्रस्तुति को देख पाया. सही है, अविश्वास के चौरस पर ही वैमनस्य बीज अँकुरित होता है. इस बोलती कहानी को मेरी हार्दिक बधाइयाँ .. .</p>
<p></p> श्रद्धेया सीमा जी, एवं भाई आश…tag:openbooksonline.com,2012-04-12:5170231:Comment:2135042012-04-12T05:16:04.399Zराकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'http://openbooksonline.com/profile/RakeshTripathi667
<p>श्रद्धेया सीमा जी, एवं भाई आशीष जी, सादर नमस्कार. कहानी सराहने के लिए आभार. बात ये है की हमारा समाज हमेशा विघटित ही होता रहता है, कभी धर्म कभी जाती कभी भाषा के नाम पर. शायाद नैतिक शिक्षा ही इसका उत्तर है, मुझे तो नहीं मालूम.</p>
<p>श्रद्धेया सीमा जी, एवं भाई आशीष जी, सादर नमस्कार. कहानी सराहने के लिए आभार. बात ये है की हमारा समाज हमेशा विघटित ही होता रहता है, कभी धर्म कभी जाती कभी भाषा के नाम पर. शायाद नैतिक शिक्षा ही इसका उत्तर है, मुझे तो नहीं मालूम.</p> बहुत ही अच्छी कहानी| आज के सम…tag:openbooksonline.com,2012-04-10:5170231:Comment:2130782012-04-10T07:59:23.263Zआशीष यादवhttp://openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
<p><span>बहुत ही अच्छी कहानी| आज के समाज में जाति-धर्म के नाम पर ना जाने इस तरह के कितने कत्ल हो रहे हैं|</span></p>
<div><span id="6_TRN_q">baharhaal कहानी बहुत अच्छी <span id="6_TRN_u">lagi| <span id="6_TRN_v">us <span id="6_TRN_w"><span id="6_TRN_13">samay </span> <span id="6_TRN_x">ka <span id="6_TRN_y">saamyik <span id="6_TRN_z">parivesh <span id="6_TRN_10">dikh <span id="6_TRN_11">raha <span id="6_TRN_12">hai| कहानी के <span id="6_TRN_16">paatra <span id="6_TRN_17">bhi …</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></div>
<p><span>बहुत ही अच्छी कहानी| आज के समाज में जाति-धर्म के नाम पर ना जाने इस तरह के कितने कत्ल हो रहे हैं|</span></p>
<div><span id="6_TRN_q">baharhaal कहानी बहुत अच्छी <span id="6_TRN_u">lagi| <span id="6_TRN_v">us <span id="6_TRN_w"><span id="6_TRN_13">samay </span> <span id="6_TRN_x">ka <span id="6_TRN_y">saamyik <span id="6_TRN_z">parivesh <span id="6_TRN_10">dikh <span id="6_TRN_11">raha <span id="6_TRN_12">hai| कहानी के <span id="6_TRN_16">paatra <span id="6_TRN_17">bhi <span id="6_TRN_18">achchhhe <span id="6_TRN_19">se <span id="6_TRN_1a">chitrit <span id="6_TRN_1b">kiye <span id="6_TRN_1c">gye हैं|</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></div>
<div><span id="6_TRN_1e">badhai </span></div> आदरणीय प्रदीप जी, श्री बागी ज…tag:openbooksonline.com,2012-04-06:5170231:Comment:2103872012-04-06T18:07:42.559Zराकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'http://openbooksonline.com/profile/RakeshTripathi667
<p>आदरणीय प्रदीप जी, श्री बागी जी, एवं श्री जवाहर जी, सादर नमस्कार, आप अग्रजों एवं गुनी जानो ने रचना को सराहा, दिल आह्लादित हो गया. आपके अनुमोदन एवं बधाइयों के लिए हार्दिक आभार एवं अभिनन्दन. </p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी, श्री बागी जी, एवं श्री जवाहर जी, सादर नमस्कार, आप अग्रजों एवं गुनी जानो ने रचना को सराहा, दिल आह्लादित हो गया. आपके अनुमोदन एवं बधाइयों के लिए हार्दिक आभार एवं अभिनन्दन. </p> वाह क्या बात है, कही से भी इस…tag:openbooksonline.com,2012-04-06:5170231:Comment:2105952012-04-06T17:40:00.426ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>वाह क्या बात है, कही से भी इस कहानी में ढीलापन नहीं है, कथानक भी उतना ही बढ़िया , चरित्र चित्रण भी बढ़िया, कथाकाल और वातावरण सबका जिवंत चित्रण किया है आपने, एक छाप छोड़ने में यह कथा सामर्थ्यवान है, बधाई स्वीकार करें |</p>
<p>वाह क्या बात है, कही से भी इस कहानी में ढीलापन नहीं है, कथानक भी उतना ही बढ़िया , चरित्र चित्रण भी बढ़िया, कथाकाल और वातावरण सबका जिवंत चित्रण किया है आपने, एक छाप छोड़ने में यह कथा सामर्थ्यवान है, बधाई स्वीकार करें |</p>