Comments - हमें आजादी चाहिये -- - Open Books Online2024-03-29T11:33:56Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A214507&xn_auth=noअरुण जी आपने इस रचना के माध्य…tag:openbooksonline.com,2012-05-17:5170231:Comment:2262742012-05-17T13:48:40.063Zडॉ. सूर्या बाली "सूरज"http://openbooksonline.com/profile/02eamj4esk9aa
<p>अरुण जी आपने इस रचना के माध्यम से आम आदमी के मनोभावों और व्यथा को बखूबी प्रस्तुत किया है| आपको हार्दिक बधाई !</p>
<p>अरुण जी आपने इस रचना के माध्यम से आम आदमी के मनोभावों और व्यथा को बखूबी प्रस्तुत किया है| आपको हार्दिक बधाई !</p> ham panchi ek daal ke udte fi…tag:openbooksonline.com,2012-04-18:5170231:Comment:2158262012-04-18T17:31:46.058ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>ham panchi ek daal ke udte firte basayen apna jahan. badhai. aadarniy mahodaya ji, saadar abhivadan ke saath.</p>
<p>ham panchi ek daal ke udte firte basayen apna jahan. badhai. aadarniy mahodaya ji, saadar abhivadan ke saath.</p> भाई अरुणकांत जी, इस तेवर को स…tag:openbooksonline.com,2012-04-17:5170231:Comment:2151962012-04-17T18:19:36.941ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई अरुणकांत जी, इस तेवर को सम्भाल कर रखियेगा. अस्सी के दशक की लीकतोड़ू कविताई याद आ गयी.</p>
<p>बधाई.</p>
<p>भाई अरुणकांत जी, इस तेवर को सम्भाल कर रखियेगा. अस्सी के दशक की लीकतोड़ू कविताई याद आ गयी.</p>
<p>बधाई.</p> आदरणीय अरुण कान्त जी....नमस्क…tag:openbooksonline.com,2012-04-17:5170231:Comment:2152552012-04-17T15:32:17.552ZSarita Sinhahttp://openbooksonline.com/profile/SaritaSinha
<p><span>आदरणीय अरुण कान्त जी....नमस्कार,</span></p>
<div>बहुत सरल तरीके से आप ने बहुत गंभीर बात कही है...अभी हम आजाद कहाँ है? वास्तव में हमें यही आज़ादी चाहिए...</div>
<p><span>आदरणीय अरुण कान्त जी....नमस्कार,</span></p>
<div>बहुत सरल तरीके से आप ने बहुत गंभीर बात कही है...अभी हम आजाद कहाँ है? वास्तव में हमें यही आज़ादी चाहिए...</div> श्रद्धेय सर,
इसी आज़ादी के लिए…tag:openbooksonline.com,2012-04-17:5170231:Comment:2150932012-04-17T13:08:39.709Zसंदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'http://openbooksonline.com/profile/SandeipDwivediWahidKashiwasi
<p>श्रद्धेय सर,</p>
<p>इसी आज़ादी के लिए तो मुल्क आज तक तड़प रहा है| कविता की श़क्ल में आपने हर आम नागरिक के मनोभावों और व्यथा को बखूबी प्रस्तुत किया है| हार्दिक बधाई आपको,</p>
<p>श्रद्धेय सर,</p>
<p>इसी आज़ादी के लिए तो मुल्क आज तक तड़प रहा है| कविता की श़क्ल में आपने हर आम नागरिक के मनोभावों और व्यथा को बखूबी प्रस्तुत किया है| हार्दिक बधाई आपको,</p> आदरणीय , प्रशंसा के लिए बहुत…tag:openbooksonline.com,2012-04-15:5170231:Comment:2145482012-04-15T12:18:08.362Zअरुण कान्त शुक्लाhttp://openbooksonline.com/profile/2i91or7u6w9sw
<p>आदरणीय , प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद . आशीर्वाद बना रहे .</p>
<p>आदरणीय , प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद . आशीर्वाद बना रहे .</p> तेवर कड़े हैं, रचना एक अलग कले…tag:openbooksonline.com,2012-04-15:5170231:Comment:2145442012-04-15T11:02:22.221ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>तेवर कड़े हैं, रचना एक अलग कलेवर के साथ प्रस्तुत है, इस अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण जी |</p>
<p>तेवर कड़े हैं, रचना एक अलग कलेवर के साथ प्रस्तुत है, इस अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण जी |</p>