Comments - गज़ल:ज़मीर इसका .. - Open Books Online2024-03-29T15:15:33Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A22886&xn_auth=noये मेरी पसंदीदा गज़ल है. आपने…tag:openbooksonline.com,2010-10-09:5170231:Comment:256852010-10-09T02:26:15.685ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
ये मेरी पसंदीदा गज़ल है. आपने भी पसंद की , हौसला बढ़ा.आभार!!
ये मेरी पसंदीदा गज़ल है. आपने भी पसंद की , हौसला बढ़ा.आभार!! /दीवारें घर के भीतर बन गयीं ह…tag:openbooksonline.com,2010-10-03:5170231:Comment:245512010-10-03T12:31:22.551Zविवेक मिश्रhttp://openbooksonline.com/profile/VivekMishra
/दीवारें घर के भीतर बन गयीं हैं,<br />
सियासतदां सियासत कर गया है./<br />
- बड़ी गहरी बात कही है. मन 'वाह-वाह' किये बिना नहीं रह सका.
/दीवारें घर के भीतर बन गयीं हैं,<br />
सियासतदां सियासत कर गया है./<br />
- बड़ी गहरी बात कही है. मन 'वाह-वाह' किये बिना नहीं रह सका. bahut khoob waah waahtag:openbooksonline.com,2010-10-03:5170231:Comment:244882010-10-03T07:06:27.488ZHilal Badayunihttp://openbooksonline.com/profile/Hilalbadayuni
bahut khoob waah waah
bahut khoob waah waah Iss Site par Nya aaya hun. Ba…tag:openbooksonline.com,2010-10-02:5170231:Comment:241672010-10-02T08:10:40.167ZKeshav Bhatlihttp://openbooksonline.com/profile/KeshavBhatli
Iss Site par Nya aaya hun. Bahut kuch parne ko mil rha hai .AAPKI LIKHI YEH GAZAL BAHUT ACHI LAGI. BADHAI.
Iss Site par Nya aaya hun. Bahut kuch parne ko mil rha hai .AAPKI LIKHI YEH GAZAL BAHUT ACHI LAGI. BADHAI. ज़मीर इसका कभी का मर गया है ,…tag:openbooksonline.com,2010-10-01:5170231:Comment:239152010-10-01T11:10:15.915ZPREETAM TIWARY(PREET)http://openbooksonline.com/profile/preetamkumartiwary
ज़मीर इसका कभी का मर गया है ,<br />
न जाने कौन है किस पर गया है.<br />
<br />
अरुण जी बहुत ही सुंदर रचना है.....ऐसेही लिखते रहे और हमे आपकी रचना पढ़ने को मिलती रहे यही कामना है...
ज़मीर इसका कभी का मर गया है ,<br />
न जाने कौन है किस पर गया है.<br />
<br />
अरुण जी बहुत ही सुंदर रचना है.....ऐसेही लिखते रहे और हमे आपकी रचना पढ़ने को मिलती रहे यही कामना है... प्रणाम "
,तरक्की का नया नारा…tag:openbooksonline.com,2010-10-01:5170231:Comment:238752010-10-01T07:30:55.875ZPooja Singhhttp://openbooksonline.com/profile/poojasingh
प्रणाम "<br />
,तरक्की का नया नारा न दो अब ,<br />
खिलौनों से मेरा मन भर गया है."समाजिक सरोकार से परिपूर्ण यह व्यग भरीगजल बहुत बढिया है | बधाई आपको |
प्रणाम "<br />
,तरक्की का नया नारा न दो अब ,<br />
खिलौनों से मेरा मन भर गया है."समाजिक सरोकार से परिपूर्ण यह व्यग भरीगजल बहुत बढिया है | बधाई आपको | Shri Arunjee
Bahut achha.
V…tag:openbooksonline.com,2010-09-30:5170231:Comment:236432010-09-30T06:23:59.643ZBalahttp://openbooksonline.com/profile/Bala
Shri Arunjee<br />
<br />
Bahut achha.<br />
<br />
Vadhai.<br />
<br />
Bala
Shri Arunjee<br />
<br />
Bahut achha.<br />
<br />
Vadhai.<br />
<br />
Bala बहुत है क्रूर अपसंस्कृति का र…tag:openbooksonline.com,2010-09-26:5170231:Comment:230512010-09-26T08:05:39.051ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
बहुत है क्रूर अपसंस्कृति का रावण ,<br />
हमारे मन की सीता हर गया है.<br />
<br />
शहर से आयी है बेटे की चिट्ठी,<br />
कलेजा माँ का फिर से तर गया है.<br />
<br />
वाह वाह , बहुत खूब अरुण साहब, सुंदर अभिव्यक्ति है, आशिकी, मौशिकी, मैखाना, साकी से इत्तर सामाजिक संवेदनाओं से जुड़े शे'र अब कहने लगे है यह बड़ी ही ख़ुशी की बात है, बहुत बहुत बधाई इस खुबसूरत ग़ज़ल पर,
बहुत है क्रूर अपसंस्कृति का रावण ,<br />
हमारे मन की सीता हर गया है.<br />
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शहर से आयी है बेटे की चिट्ठी,<br />
कलेजा माँ का फिर से तर गया है.<br />
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वाह वाह , बहुत खूब अरुण साहब, सुंदर अभिव्यक्ति है, आशिकी, मौशिकी, मैखाना, साकी से इत्तर सामाजिक संवेदनाओं से जुड़े शे'र अब कहने लगे है यह बड़ी ही ख़ुशी की बात है, बहुत बहुत बधाई इस खुबसूरत ग़ज़ल पर,