Comments - ग़ज़ल:आ रहा जब तक - Open Books Online2024-03-28T11:01:45Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A23549&xn_auth=noबागी जी कभी कभी जानते हुए भी…tag:openbooksonline.com,2010-10-10:5170231:Comment:260122010-10-10T02:28:47.012ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
बागी जी कभी कभी जानते हुए भी इस काफियाबंदी से बगावत को जी चाहता है .पर आइन्दा ख़याल रखूंगा .बेबाक सलाहों का स्वागत है.ओ.बी.ओ. लिखने के साथ साथ लिखने का भी मंच बने .अच्छा होगा.
बागी जी कभी कभी जानते हुए भी इस काफियाबंदी से बगावत को जी चाहता है .पर आइन्दा ख़याल रखूंगा .बेबाक सलाहों का स्वागत है.ओ.बी.ओ. लिखने के साथ साथ लिखने का भी मंच बने .अच्छा होगा. आ रहा जब तक पतन से अर्थ है,
आ…tag:openbooksonline.com,2010-10-03:5170231:Comment:246262010-10-03T15:50:58.626ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
आ रहा जब तक पतन से अर्थ है,<br />
आचरण पर बहस करना व्यर्थ है.<br />
बहुत ही खुबसूरत मतला, बढ़िया ख्याल , पर कुछ काफियाबंदी समझ मे नहीं आई अभिनव भाई , गौर फरमाइयेगा ,
आ रहा जब तक पतन से अर्थ है,<br />
आचरण पर बहस करना व्यर्थ है.<br />
बहुत ही खुबसूरत मतला, बढ़िया ख्याल , पर कुछ काफियाबंदी समझ मे नहीं आई अभिनव भाई , गौर फरमाइयेगा ,