Comments - देशवासियों को बधाई.........सुशील का अभिनन्दन ! - Open Books Online2024-03-29T06:51:40Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A259415&xn_auth=noआदरणीय भाई जी, एक ऑडियो/वीडि…tag:openbooksonline.com,2012-08-16:5170231:Comment:2602012012-08-16T18:22:35.990ZAlbela Khatrihttp://openbooksonline.com/profile/AlbelaKhatri
<p><b style="color: #990000;">आदरणीय भाई जी, <br/> एक ऑडियो/वीडियो अल्बम बाना रहा हूँ...उसके लिए कल मुम्बई में रेकॉर्डिंग है . थोड़ा सा व्यस्त हूँ..........लेकिन यहाँ आने का मोह नहीं छोड़ पाया...........<br/> <br/> हा हा हा हा ओ बी ओ चीज ही ऐसी है .........इसके बिना अब रहा नहीं जाता .....साईट न हुई, महबूबा हो गई....हा हा हा</b></p>
<p><b style="color: #990000;">आदरणीय भाई जी, <br/> एक ऑडियो/वीडियो अल्बम बाना रहा हूँ...उसके लिए कल मुम्बई में रेकॉर्डिंग है . थोड़ा सा व्यस्त हूँ..........लेकिन यहाँ आने का मोह नहीं छोड़ पाया...........<br/> <br/> हा हा हा हा ओ बी ओ चीज ही ऐसी है .........इसके बिना अब रहा नहीं जाता .....साईट न हुई, महबूबा हो गई....हा हा हा</b></p> अलबेला जी कहाँ हो आपके बिना .…tag:openbooksonline.com,2012-08-16:5170231:Comment:2603652012-08-16T18:07:10.557ZUMASHANKER MISHRAhttp://openbooksonline.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p>अलबेला जी कहाँ हो आपके बिना .....ब्लड प्रेसर बड़ा हुवा है भाई आपके बिना ...सबकुछ निराश पूर्ण है</p>
<p>दर्शन दो द्वारकाधीश .... हमारी अँखियाँ प्याशी रे ....................</p>
<p>अलबेला जी कहाँ हो आपके बिना .....ब्लड प्रेसर बड़ा हुवा है भाई आपके बिना ...सबकुछ निराश पूर्ण है</p>
<p>दर्शन दो द्वारकाधीश .... हमारी अँखियाँ प्याशी रे ....................</p> भाई साहेब भागते भूत की लंगोटी…tag:openbooksonline.com,2012-08-16:5170231:Comment:2601742012-08-16T14:00:32.952ZAlbela Khatrihttp://openbooksonline.com/profile/AlbelaKhatri
<p><b><span style="color: #990000;">भाई साहेब भागते भूत की लंगोटी ही सही.........कुछ तो हाथ लगा ....अपन तो संतोषी जीव हैं...थोड़े में ही ख़ुश हो लेते हैं हा हा हा हा</span><br style="color: #990000;"/><br style="color: #990000;"/><span style="color: #990000;">आपने ध्यान दिया ...आपको लाख लाख धन्यवाद</span><br style="color: #990000;"/><br style="color: #990000;"/><span style="color: #990000;">सादर</span></b></p>
<p><b><span style="color: #990000;">भाई साहेब भागते भूत की लंगोटी ही सही.........कुछ तो हाथ लगा ....अपन तो संतोषी जीव हैं...थोड़े में ही ख़ुश हो लेते हैं हा हा हा हा</span><br style="color: #990000;"/><br style="color: #990000;"/><span style="color: #990000;">आपने ध्यान दिया ...आपको लाख लाख धन्यवाद</span><br style="color: #990000;"/><br style="color: #990000;"/><span style="color: #990000;">सादर</span></b></p> आदरणीय अलबेला भाई जी जय श्री…tag:openbooksonline.com,2012-08-16:5170231:Comment:2601722012-08-16T13:12:35.791ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttp://openbooksonline.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<p><span>आदरणीय अलबेला भाई जी जय श्री राधे ..मेरी तरफ से भी सुशील जी को हार्दिक शुभ कामनाएं बड़ी तमन्ना से हम भी देख रहे थे पटखनिया लगातार जब जीते तो सब बोलने लग गए थे की अब कोई इन्हें हरा नहीं पायेगा लेकिन जापान चीन का जिमनास्ट और फुर्ती हमें शक में लपेटे थी और वही हो गया </span></p>
<div>फिर भी बहुत सुन्दर हुआ लख लख बधाईयाँ <br/><div>भ्रमर ५ </div>
</div>
<p><span>आदरणीय अलबेला भाई जी जय श्री राधे ..मेरी तरफ से भी सुशील जी को हार्दिक शुभ कामनाएं बड़ी तमन्ना से हम भी देख रहे थे पटखनिया लगातार जब जीते तो सब बोलने लग गए थे की अब कोई इन्हें हरा नहीं पायेगा लेकिन जापान चीन का जिमनास्ट और फुर्ती हमें शक में लपेटे थी और वही हो गया </span></p>
<div>फिर भी बहुत सुन्दर हुआ लख लख बधाईयाँ <br/><div>भ्रमर ५ </div>
</div> ओलम्पिक- तो ऐसे शर्मनाक थी ..…tag:openbooksonline.com,2012-08-13:5170231:Comment:2594782012-08-13T17:49:44.451ZUMASHANKER MISHRAhttp://openbooksonline.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p>ओलम्पिक- तो ऐसे शर्मनाक थी .....चलो नहीं मामा से काना मामा ही अच्छा है</p>
<p>वस्तुतः कुस्ती मेरा प्रिय खेल है इसलिए मुझे तो सुशील कुमार पर नाज़ है</p>
<p>१०० करोड से अधिक आबादी वाले इस देश में खेल को नेताई राहुओं ने ग्रश रखा है</p>
<p>अपने अपने खलपट खिलाडियों को चुन कर भेज दिया लन्दन की सैर करने</p>
<p>देशवासियों!आज झूम के ढोल बजाणा <br/>ओलम्पिक में चमका भारत का हरियाणा.... देशप्रेम प्रेम पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई</p>
<p>ओलम्पिक- तो ऐसे शर्मनाक थी .....चलो नहीं मामा से काना मामा ही अच्छा है</p>
<p>वस्तुतः कुस्ती मेरा प्रिय खेल है इसलिए मुझे तो सुशील कुमार पर नाज़ है</p>
<p>१०० करोड से अधिक आबादी वाले इस देश में खेल को नेताई राहुओं ने ग्रश रखा है</p>
<p>अपने अपने खलपट खिलाडियों को चुन कर भेज दिया लन्दन की सैर करने</p>
<p>देशवासियों!आज झूम के ढोल बजाणा <br/>ओलम्पिक में चमका भारत का हरियाणा.... देशप्रेम प्रेम पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई</p> अलबेला भैया का हर काम अनोखा।…tag:openbooksonline.com,2012-08-13:5170231:Comment:2595342012-08-13T07:25:05.748Zकुमार गौरव अजीतेन्दुhttp://openbooksonline.com/profile/KumarGauravAjeetendu
अलबेला भैया का हर काम अनोखा।<br />
हींग लगे न फिटकिरी, रंग चोखा।।<br />
बधाई बड़े भैया।
अलबेला भैया का हर काम अनोखा।<br />
हींग लगे न फिटकिरी, रंग चोखा।।<br />
बधाई बड़े भैया।