Comments - ग़ज़ल - तेरी याद माँ चाशनी है - Open Books Online2024-03-29T06:28:20Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A264088&xn_auth=noबहुत आभार आदरणीय आशीष जी आपको…tag:openbooksonline.com,2013-04-24:5170231:Comment:3524432013-04-24T04:34:27.792ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p><span>बहुत आभार आदरणीय आशीष जी आपको ये शेर पसंद आया लिखना / कहना सार्थक हुआ !!</span></p>
<p><span>बहुत आभार आदरणीय आशीष जी आपको ये शेर पसंद आया लिखना / कहना सार्थक हुआ !!</span></p> बहुत खूब हैं बेकार मतलब के र…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3517402013-04-23T05:20:53.736ZASHISH KUMAAR TRIVEDIhttp://openbooksonline.com/profile/ASHISHKUMAARTRIVEDI
<p>बहुत खूब <br/> हैं बेकार मतलब के रिश्ते ,<br/> तेरी याद माँ चाशनी है |</p>
<p>बहुत खूब <br/> हैं बेकार मतलब के रिश्ते ,<br/> तेरी याद माँ चाशनी है |</p> आदरणीय श्री बागी जी एवं श्रद्…tag:openbooksonline.com,2012-09-02:5170231:Comment:2673782012-09-02T10:26:35.613ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय श्री बागी जी एवं श्रद्धेय श्री सौरभ जी हार्दिक आभार <span id="6_TRN_d"><span id="6_TRN_q"><span id="6_TRN_r"><span id="6_TRN_s">आप </span></span></span> दोनों का आपने मेरा मार्गदर्शन किया ! अभी बदलाव कर देता हूँ !!</span></p>
<p>आदरणीय श्री बागी जी एवं श्रद्धेय श्री सौरभ जी हार्दिक आभार <span id="6_TRN_d"><span id="6_TRN_q"><span id="6_TRN_r"><span id="6_TRN_s">आप </span></span></span> दोनों का आपने मेरा मार्गदर्शन किया ! अभी बदलाव कर देता हूँ !!</span></p> पिसा पटरियों सा हमेशा , समस्य…tag:openbooksonline.com,2012-09-02:5170231:Comment:2674432012-09-02T09:25:43.109ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>पिसा पटरियों सा हमेशा ,</em><br/> <em>समस्या मेरी रेल सी है |</em></p>
<p>भाईजी, आपकी इस जागरुक कोशिश पर हृदय से बधाइयाँ. भाई गणेश जी की सलाह भी उचित प्रतीत होती है.</p>
<p></p>
<p><em>पिसा पटरियों सा हमेशा ,</em><br/> <em>समस्या मेरी रेल सी है |</em></p>
<p>भाईजी, आपकी इस जागरुक कोशिश पर हृदय से बधाइयाँ. भाई गणेश जी की सलाह भी उचित प्रतीत होती है.</p>
<p></p> मेरी जिन्दगी रेल सी है (इस पर…tag:openbooksonline.com,2012-09-02:5170231:Comment:2673022012-09-02T09:13:41.281ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>मेरी जिन्दगी रेल सी है (इस पर जरा विचार करें , शायद रुचे)</p>
<p>मेरी जिन्दगी रेल सी है (इस पर जरा विचार करें , शायद रुचे)</p> आदरणीय श्री सौरभ जी संदर्भित…tag:openbooksonline.com,2012-09-02:5170231:Comment:2675342012-09-02T08:41:44.758ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय श्री सौरभ जी संदर्भित शेर -</p>
<p>पिसा पटरियों सा हमेशा ,</p>
<p>समस्या मेरी रेल सी है |</p>
<p>कैसा रहेगा या कुछ और .. कृपया यथेष्ठ परामर्श दे कर संशोधित करदें , कृतार्थ करें अग्रिम आभार सहित - अभिनव !</p>
<p>आदरणीय श्री सौरभ जी संदर्भित शेर -</p>
<p>पिसा पटरियों सा हमेशा ,</p>
<p>समस्या मेरी रेल सी है |</p>
<p>कैसा रहेगा या कुछ और .. कृपया यथेष्ठ परामर्श दे कर संशोधित करदें , कृतार्थ करें अग्रिम आभार सहित - अभिनव !</p> परम श्रद्धेय श्री पाण्डेय जी…tag:openbooksonline.com,2012-09-02:5170231:Comment:2674342012-09-02T08:28:24.834ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
परम श्रद्धेय श्री पाण्डेय जी आपकी नजर सही जगह पर पड़ी है | "है" की जगह पर "हैं " हो गया है | हार्दिक आभार आपका आपने ध्यान दिलाया | इस को ठीक करने का प्रयत्न करता हूँ | आपने ग़ज़ल पढ़ी और टिप्पणी की हार्दिक आभार !!
परम श्रद्धेय श्री पाण्डेय जी आपकी नजर सही जगह पर पड़ी है | "है" की जगह पर "हैं " हो गया है | हार्दिक आभार आपका आपने ध्यान दिलाया | इस को ठीक करने का प्रयत्न करता हूँ | आपने ग़ज़ल पढ़ी और टिप्पणी की हार्दिक आभार !! भाईसाहब, आपको एक अरसे बाद देख…tag:openbooksonline.com,2012-09-01:5170231:Comment:2672522012-09-01T16:33:50.933ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाईसाहब, आपको एक अरसे बाद देख कर बड़ी प्रसन्नता हो रही है. ग़ज़ल के अश’आर अच्छे बन पड़े हैं. बधाई स्वीकारें.</p>
<p>मगर कमाल किया है मतले ने ! वाह ! इनके अलावे जिस अश’आर ने मोह लिया है वह निम्नलिखित है -</p>
<p><em>लबादे मुखौटे मुलम्मे ,</em><br></br><em>किसे हम कहें आदमी है |</em></p>
<p>वैसे कुछ अश’आर पर थोड़ी और मशक्कत और ग़ज़ब ढा देती.</p>
<p><em>पिसा पटरियों सा हमेशा ,</em><br></br> <em>मेरी मुश्किलें रेल सी हैं |</em></p>
<p>यहाँ रदीफ़ ही बदल गया है, भाईजी. विश्वास है, देख…</p>
<p>भाईसाहब, आपको एक अरसे बाद देख कर बड़ी प्रसन्नता हो रही है. ग़ज़ल के अश’आर अच्छे बन पड़े हैं. बधाई स्वीकारें.</p>
<p>मगर कमाल किया है मतले ने ! वाह ! इनके अलावे जिस अश’आर ने मोह लिया है वह निम्नलिखित है -</p>
<p><em>लबादे मुखौटे मुलम्मे ,</em><br/><em>किसे हम कहें आदमी है |</em></p>
<p>वैसे कुछ अश’आर पर थोड़ी और मशक्कत और ग़ज़ब ढा देती.</p>
<p><em>पिसा पटरियों सा हमेशा ,</em><br/> <em>मेरी मुश्किलें रेल सी हैं |</em></p>
<p>यहाँ रदीफ़ ही बदल गया है, भाईजी. विश्वास है, देख लेंगे.<em><br/></em></p>
<p></p> रूपक को अपने पसंद किया मैं धन…tag:openbooksonline.com,2012-09-01:5170231:Comment:2670582012-09-01T07:54:39.170ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>रूपक को अपने पसंद किया मैं धन्य हुआ<span id="6_TRN_1d"><span id="6_TRN_1e"> <span id="6_TRN_1f"><span id="6_TRN_1p">श्री</span> <a class="fn url" href="http://openbooksonline.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi">विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी</a> जी !! हार्दिक आभार आपका |</span></span></span></p>
<p>रूपक को अपने पसंद किया मैं धन्य हुआ<span id="6_TRN_1d"><span id="6_TRN_1e"> <span id="6_TRN_1f"><span id="6_TRN_1p">श्री</span> <a class="fn url" href="http://openbooksonline.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi">विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी</a> जी !! हार्दिक आभार आपका |</span></span></span></p> वाह अभिनव जी वाह!
पिसा पटरियो…tag:openbooksonline.com,2012-08-31:5170231:Comment:2669292012-08-31T13:13:31.110Zविन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठीhttp://openbooksonline.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi
वाह अभिनव जी वाह!<br />
पिसा पटरियों पर हमेशा।<br />
मेरी मुश्किलें रेल सी हैं॥<br />
क्या बेनजीर रुपक बांधा है।<br />
बधाई।
वाह अभिनव जी वाह!<br />
पिसा पटरियों पर हमेशा।<br />
मेरी मुश्किलें रेल सी हैं॥<br />
क्या बेनजीर रुपक बांधा है।<br />
बधाई।