Comments - चरित्रहीनता: विकराल सामाजिक समस्या - Open Books Online2024-03-29T08:20:42Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A304757&xn_auth=noभारतीय योग विज्ञान की वैज्ञान…tag:openbooksonline.com,2012-12-31:5170231:Comment:3053542012-12-31T15:12:53.278Zseema agrawalhttp://openbooksonline.com/profile/seemaagrawal8
<p>भारतीय योग विज्ञान की वैज्ञानिकता और सार्थकता पूरी तरह से प्रतिस्थापित हो जाती है जब कोई इस प्रकार की मानसिक बीमारी और उसका इतना भयंकर परिणाम सामने आता है जिसका मूल ही चरित्र निर्माण ,नियम और संयम पर आधारित है </p>
<p>एक अच्छी रचना के लिए बधाई </p>
<p>भारतीय योग विज्ञान की वैज्ञानिकता और सार्थकता पूरी तरह से प्रतिस्थापित हो जाती है जब कोई इस प्रकार की मानसिक बीमारी और उसका इतना भयंकर परिणाम सामने आता है जिसका मूल ही चरित्र निर्माण ,नियम और संयम पर आधारित है </p>
<p>एक अच्छी रचना के लिए बधाई </p> verma ji system par teekha pr…tag:openbooksonline.com,2012-12-31:5170231:Comment:3053402012-12-31T10:50:31.008ZDr.Ajay Kharehttp://openbooksonline.com/profile/DrAjayKhare
<p>verma ji system par teekha prahar kiya he badhai</p>
<p>verma ji system par teekha prahar kiya he badhai</p> भाई रवि वर्मा जी हाँ जरूरी है…tag:openbooksonline.com,2012-12-31:5170231:Comment:3051382012-12-31T03:10:12.702ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>भाई रवि वर्मा जी हाँ जरूरी है अब इस विषय पर बात चले और समाज में अन्य क्षेत्रों में तरक्की के साथ ही नैतिकता के पतन को रोकने के लिए भी बात हो. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.</p>
<p>भाई रवि वर्मा जी हाँ जरूरी है अब इस विषय पर बात चले और समाज में अन्य क्षेत्रों में तरक्की के साथ ही नैतिकता के पतन को रोकने के लिए भी बात हो. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.</p> इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मा…tag:openbooksonline.com,2012-12-30:5170231:Comment:3050072012-12-30T11:04:33.897ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p><span>इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,</span><br></br><span>जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और बुद्ध ने,</span><br></br><span>अपने चरित्र के बल पर,..................................बिलकुल सही बात पर कलम राखी है आपने रवि वर्मा जी, </span></p>
<p><span><span>चरित्र निर्माण ही है समाधान,</span><br></br><span>यही तो है जो कमजोर हो गया है,</span><br></br><span>आधुनिकता, वैश्वीकरण, </span><br></br><span>धन लोलुपता की चाह में |...................हार्दिक बधाई आक्रोश को सकारात्मक अभिव्यक्ति देने के…</span></span></p>
<p><span>इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,</span><br/><span>जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और बुद्ध ने,</span><br/><span>अपने चरित्र के बल पर,..................................बिलकुल सही बात पर कलम राखी है आपने रवि वर्मा जी, </span></p>
<p><span><span>चरित्र निर्माण ही है समाधान,</span><br/><span>यही तो है जो कमजोर हो गया है,</span><br/><span>आधुनिकता, वैश्वीकरण, </span><br/><span>धन लोलुपता की चाह में |...................हार्दिक बधाई आक्रोश को सकारात्मक अभिव्यक्ति देने के लिए.</span></span></p>